गुरुवार, 23 सितंबर 2021

पित्ताशय कैंसर का नया कारण - टाइफाइड जापाना और पीजीआई लखनऊ ने मिल कर खोजा नया कारण

 




पित्ताशय कैंसर के नए कारण का लगा पता 


टाइफाइड से बचाव तो संभव है पित्ताशय कैंसर पर लगाम

 

  बुखार ही पित्ताशय कैंसर का कारण साबित हो सकता है टाइफाइड

कुमार संजय। लखनऊ

  गाल ब्लैडर कैंसर( पित्ताशय कैंसर)  का एक नया कारण पता लगाने में चिकित्सा शोध वैज्ञानिकों ने हासिल किया है। संजय गांधी पीजीआई के सर्जिकल गैस्ट्रो सर्जरीट्रांसफ्यूजन मेडिसिन ने जापान के साथ मिल कर  शोध करने बाद साबित किया है कि टाइफाइड की परेशानी पैदा करने वाले बैक्टीरिया साल्मोनेला टाइफी और सालमोनेला पैराटाइफी पित्ताशय कैंसर की आशंका आगे बढा सकते है। यह नया रिस्क फैक्टर सामने आया है।  पित्ताशय कैंसर पर लगाम लगाने के लिए टाइफाइड संक्रमण की जांच के साथ इलाज की जरूरत है। इस बैक्टीरिया के संक्रमण पर लगाम लगा कर पित्ताशय कैंसर की आशंका को कम किया जा सकता है। शोध वैज्ञानिकों ने देखा कि  पित्ताशय कैंसर सौ मरीजों में से  22 फीसदी मरीजों में पूर्व में  टाइफाइड की पुष्टि हुई । ज़ैंथोग्रानुलोमेटस कोलेसिस्टिटिस (एक्सजीसी)  जो कैंसर के पहले का रूप होता है। इस परेशानी  24 मरीजों में से 29 फीसदी में पूर्व में  टाइफाइड के संक्रमण की पुष्टि हुई । सामान्य दो सौ  (हेल्दी कंट्रोल) में संक्रमण पहले नहीं रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि टाइफाइड आंत को संक्रमित कर  केवल बुखार नहीं कैंसर का कारण साबित हो सकता है। इस लिए बचाव के उपाय पर जोर देने की जरूरत है।

 

  एक लाख में 12 को कैंसर की आशंका

 

 गॉल ब्लैडर कैंसर आम पित्त पथ( बाइल ट्रैक) का कैंसर है। इस कैंसर का  पूर्वानुमान नहीं हो पाता है। लिम्फ नोड्सयकृत और पेरिटोनियम के मेटास्टेसिस जैसे लक्षण काफी देर में प्रकट होते है। भारत में उत्तर और उत्तर-पूर्व में दक्षिण और पश्चिम की तुलना में कैंसर  मामले अधिक हैं। एक लाख में से  11.8 में इस कैंसर की आशंका होती है।  महिलाओं में तीसरा प्रमुख कैंसर प्रकार है।     

 

लंबे समय तक पित्ताशय में स्टोन से बढ़ जाती है आशंका

 

 गॉल ब्लैडर (जीबी) का   गॉल स्टोन (जीएस) से लंबे समय तक संपर्क बने रहने पर  क्रोनिक कोलेसिस्टिटिस(सीसी) होता है जो जीबीसी( गाल ब्लैडर कैंसर )  के विकास के लिए सबसे आम कारण है।  ज़ैंथोग्रानुलोमेटसकोलेसिस्टिटिस (एक्सजीसी) सीसी का एक गंभीर रूप हैजिसे एक प्री मैलिग्नेंट( कैंसर के पहले ) की  स्थिति माना जाता है। एक्सजीसी  और गाल ब्लैडर कैंसर दोनो एक साथ हो सकता है।  

 

इन्होंने ने किया शोध 

 

संजय गांधी पीजीआई के सर्जिकल गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के डा. रत्नाकर शुक्लाडा. पूजा शुक्लाप्रो. अनु बिहारीप्रो. वीके कपूरट्रांसफ्यूजन मेडिसिन के प्रो. धीरज खेतानप्रोराजेंद्र चौधरीजापान के निगाटा मेडिकल विवि के डा. यासुओ त्सुचियाडा. तोषिकाजु इकोमा,, डा. ताको असेडा. कजुतोषी नकामुरा शोध को एशिया पेस्फिक जर्नल आफ कैंसर प्रिवेंशन ने पित्ताशय की थैली के कैंसर के विकास में साल्मोनेला टाइफी और सालमोनेला पैराटाइफी की भूमिका विषय पर हुए शोध  को स्वीकार किया है।  

 

 ऐसे करें बचाव

 

-   वैक्सीन के अलावा कई अन्य उपाय ऐसे हैं   

      -  हाथों की साफ-सफाई का ख्याल रखें। खाना खाने से पहले और वॉशरूम से आने के बाद हाथों को साबुन से धोएं।

        - स्ट्रीट फूड से परहेज करें। यहां टाइफाइड बैक्टीरिया के पनपने की संभावना अधिक होती है।     

    - घर के बर्तनों को साफ-स्वच्छ पानी से धोएं।   

     - घर का बना ताजा और गर्म खाना खाएंक्योंकि उच्च तापमान में बैक्टीरिया के बढ़ने की संभावना कम हो जाती है। 

       - कच्ची सब्जीफल खाने और दूषित पानी पीने से बचें।  

      - अपने सभी घरेलू सामानों (विशेष रूप से रसोई के सामान) की साफ-सफाई करते रहें।

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