सोमवार, 19 जुलाई 2021

पीजीआइ खोजा अनियंत्रित डायबिटीज के इलाज का नुस्खा

 पीजीआइ  खोजा अनियंत्रित डायबिटीज के इलाज का नुस्खा






चुनिंदा मरीजों पर क्लिनिकल ट्रायल की तैयारी

 

प्रैक्रियाज से स्रावित शुगर बढ़ाने वाले हार्मोन को रोक कर होगा शुगर पर नियंत्रण

 

अब तमाम इलाज के बाद शुगर नियंत्रित न होने की परेशानी से निपटने का  नुस्खा खोज लिया  है। इसके साथ ही डायबिटीज के इलाज का नया रास्ता भी खुल गया है। वैज्ञानिकों ने इस नुस्खे को प्रयोगशाला में स्थापित किया है जिसे विश्व स्तर पर स्वीकार किया गया है। इस नुस्खे को स्थापित करने वाले संजय गांधी पीजीआइ के इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के वैज्ञानिक डा. रोहित सिन्हा के मुताबिक  चूहों और अल्फा सेल पर परीक्षण के बाद जल्दी ही कुछ चुनिन्दा शुगर के मरीजों पर भी इस दवा का परीक्षण करने की तैयारी में है।


 डा. सिन्हा के मुताबिक प्रैक्रियाज से  इंसुलिन हार्मोन का स्राव होता है जो पैंक्रियाज में स्थिति बीटा सेल करता है। इस सेल के कार्य प्रणाली में कमी आने पर इंसुलिन कम बनता है जिससे शुगर का उपापचय नहीं हो पाता है यह एक सामान्य शुगर की बीमारी होने की प्रक्रिया है। हमने देखा है कि प्रैक्रियाज से  ग्लूकागन हार्मोन का भी स्राव होता है जो पैंक्रियाज में स्थित अल्फा सेल से स्रावित होता है। यह हार्मोन  लिवर में जाकर अधिक शुगर बनाने को प्रेरित करता है।  इंसुलिन लेने के बाद भी यदि ग्लूकागन अधिक मात्रा में बनेगा तो शुगर अधिक बनेगा इससे डायबिटीज इंसुलिन देने के बाद भी कई बार अनियंत्रित रहती है। शुगर के कुल मरीजों में से 0.5 से 0.8 में अनियंत्रित शुगर की परेशानी होती है।  हमने देखा कि प्रैक्रियाज में स्थिति एमटीओआरसी1 प्रोटीन प्रैक्रियाज से ग्लूकागन को स्रावित करता है। इस प्रोटीन के ब्लाक कर दिया जाए तो यह प्रैक्रियाज से बाहर नहीं निकलेगा तो शुगर का अधिक नहीं बनेगा और शुगर का स्तर नियंत्रित रहेगा।


ऐसे किया शोध

 

हमने चूहों में खास दवा देकर पहले उनके बीटा सेल को नष्ट किया जिससे उनमें इंसुलिन बनना बंद हो गया । इनमें शुगर का स्तर बढ गया इन चूहों को ग्लूकागन हार्मोन के स्राव को रोकने के लिए रापामायसिन एक खास दवा त्वचा में सबक्यूटेनियस दिया तो देखा उनमें शुगर का स्तर कम हो गया। इसके साथ लैब में सेल पर यह प्रक्रिया कर इसे स्थापित किया गया। इस शोध के   अंतर्राष्ट्रीय जर्नल मॉलिक्यूलर मेटाबॉलिज्म ने स्वीकार किया है। इस शोध छात्र डा. संगम रजक, डा. अर्चना तिवारी और डा. सना रजा ने विशेष भूमिका निभाई । 

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