टाइफाइड से प्रभावित हो गया लिवर
वायरल हेपेटाइटिस ही नहीं टाइफाइड भी हो सकता है पीलिया का कारण
इंट्रावेनस एंटीबायोटिक से संभव है इलाज
कुमार संजय
12 वर्षीय सत्यम को बुखार लंबे समय से आ रहा था डॉक्टर दवा देते कुछ कम होता लेकिन फिर एक दो दिन बाद तेज बुखार होने लगता । इस तरह 15 दिन बीतने के बाद खून की जांच हुई तो पीलिया का पता लगा। डॉक्टर ने पीजीआइ में दिखाने का सलाह दिया तो परिवार वाले संस्थान के पीडियाट्रिक गैस्ट्रोइंटेरोलाजिस्ट प्रो. मोइनक सेन शर्मा को दिखाया। पीलिया का कारण जानने के लिए वायरल हेपेटाइटिस ए, बी, सी और ई की जांच कराया जब यह संक्रमण शुरुआती जांच में नहीं मिला और बुखार में कोई कमी नहीं आयी तो अल्ट्रासाउंड के साथ विडाल की जांच सहित कई जांच बुखार का कारण जानने के लिए कराया तो पता चला कि विडाल टीएच( सैल्मोनेला टाइफी) 640 टाइटर यानि इंड टाइटर तक पॉजिटिव आया इसके साथ ही टीओ 160 टाइटर तक पॉजिटिव आया । इसके इलाज के खास एंटीबायोटिक इंट्रावेनस देने शुरू किया तब जा कर पांच दिन बुखार आना बंद हुआ । डॉक्टर का कहना है कि दस दिन तक इंट्रावेनस दवा देने के बाद खाने की गोली के रूप में एंटीबायोटिक जारी रहेगा । भारत में टाइफाइड प्रति एक लाख आबादी में 493.5 लोगों को प्रभावित करता है
यह होती है परेशानी
तेज बुखार, सिरदर्द, उबकाई आना, भूख कम होना, कब्ज और डायरिया, टाइफाइड के मुख्य लक्षण हैं। गंभीर टाइफाइड संक्रमण जटिलताओं को बढ़ा देता है और मौत तक की वजह बन सकता है। 2 से 5 वर्ष के आयु वर्ग के बच्चों पर इसका खतरा ज्यादा होता है। गंभीर टाइफाइड तो बड़े लोगों में भी हो सकता है।
ऐसे करें बचाव
पीने के पानी को पीने से पहले एक मिनट तक उबाल कर पीएं। बर्फ, बोतल के पानी या उबले पानी से बनी हुई न हो तो पेय पदार्थ बिना बर्फ के ही पीएं। स्वादिष्ट बर्फीले पदार्थ न खाएं। पूरी तरह पकाए और गर्म तथा वाष्प निकलने वाले खाद्य पदार्थ ही खाएं। कच्ची ऐसी साग सब्जियां और फल न खाएं जिन्हें छीलना संभव न हो।जब छीली जा सकने वाली कच्ची सब्जियां या फल खाएं तो स्वयं उन्हें छीलकर खाएं। (पहले हाथ साबुन से धो लें) छिलके न खाएं। पानी हमेशा उबालकर ही पियें
यह तो एक मामला है हमारे पास ऐसे मामले महीने में आठ से दस आते है। टाइफाइड का सही समय पर सही इलाज न होने पर आंत में छेद तक हो जाता है जिससे परेशानी बढ़ जाती है। टाइफाइड के कारण लिवर एंजाइम बढा होने पर सबसे पहले शक वायरल हेपेटाइटिस पर ही जाता है । इसके साथ ही बुखार के दूसरे कारणों की भी जांच करानी चाहिए... प्रो.मोइनक सेन शर्मा प्रो. पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
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