हार्ट फेल्योर से परेशान को फ्लूड मैनेजमेंट से मिली राहत भरी सांस
क्रोनिक हार्ट फेल्योर के मरीजों की बढ़ सकती है जिंदगी की डोर
69 वर्ष की अमरावती दो कदम भी नहीं चल पा रही थी। बैठी हो या ले'टी हो सांस इतनी तेज फूलती कि लगता था, सांस थम रही है। तेज सीने में दर्द ले परेशान रहती थी । इनके दिल की माँस पेशियां कमजोर हो गयी है जिससे दिल की पंपिंग शक्ति काफी कम हो गयी है। इस स्थिति को हार्ट फेल्योर कहती है। परेशानी बढ़ने पर परिजन संजय गांधी पीजीआइ लाए । संस्थान के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो.सुदीप कुमार इको कार्डियोग्राफी परीक्षण किया तो पता चला कि मांसपेशियाँ पहले से अधिक कमजोर हो गयी है। जिससे शरीर में रक्त संचार कम हो रहा था। तमाम परीक्षण के बाद प्रो.सुदीप ने इन्हें भर्ती कर लिया । फ्लूड मैनेजमेंट थिरेपी के जरिए शरीर में जमा पानी का दवाओं के जरिए मूत्र मार्ग से निकला हालांकि इस दौरान कई बार अमरावती की स्थिति में उतार –चढाव आया लेकिन एक सप्ताह की इस मैनेजमेंट से स्थिति में सुधार के साथ बायोमार्कर सोडियम , पोटेशियम , सीरम क्रिएटिनिन सहित अन्य में सुधार हो गया। इन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गयी। अब यह काफी राहत महसूस कर रही है। फ्लूड मैनेजमेंट के बाद के साथ पहले से चल रही कंबीनेशन थिरेपी के साथ एंजियोटेंसिन रिसेप्टर नेप्रीलाइसिन इनहिबिटर (एआरएनआई) रसायन को जोड़ दिया। प्रो.सुदीप का कहना है कि हार्ट की पंपिग कमजोर होने की वजह से शरीर में पानी जमा हो जाता है जिससे सांस लेने में परेशआनी बढ़ जाती है। पानी का इंटेक कम करने के साथ पानी को शरीर में जमा न होने पाए डाइयूरेटिक दवाओं पर रखा जाता है जिससे जिंदगी काफी आसान हो जाती है।
क्या होता है हार्ट फेल्योर
हार्ट फेलियर का मतलब है कि आपका ह्रदय कमजोर है और आपके फेफड़ों और पूरे शरीर में खून पंप नहीं कर सकता है. सांस फूलना, थकान, और आपके पैरों, टखनों, पेट और शरीर के अन्य हिस्सों में सूजन होना इसके आम लक्षण हैं।
क्यों होता है हार्ट फेल्योर
- यदि हार्ट तक ऑक्सीजन पहुंचानेवाली धमनियों (कोरोनरी आर्टरी) में किसी तरह की रुकावट पैदा हो जाती है तो हार्ट तक रक्त का प्रवाह ठीक प्रकार से नहीं हो पाता है। इसके पीछे हाई ब्लड प्रेशर, मायोकार्डिटिस(हार्ट हृदय में सूजन) हार्ट में जन्म ही खराबी,-हृदय की धड़कन का असामान्य रहना, लिवर की बीमारी, किडनी का खराब होना, थायराइड एचआईवी, शरीर में प्रोटीन का जमाव होना, वायरस ए संक्रमण, फेफड़ों में रक्त के थक्के जमना, किसी दवाई के रिएक्शन के कारण या एलर्जी।
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