रविवार, 10 जनवरी 2021

पीजीआई दीक्षा समारोह में एवार्ड विनर के शोध---गैस्ट्राइटिस ठीक होने के बाद हो सकती है परेशानी , फेफड़ें में काम में कमी पर पेट के बल करने से बढ़ता है आँख में दबाव

 

प्रो.एसआर नायक आउट स्टैंडिंग रिसर्च इनवेंशटीगेटर प्रो.यूसी घोषाल गैस्ट्रोइंट्रोलाजी

 

 

 

 

 गैस्ट्राइटिस में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर बरते सावधानी

 

 

 एक्यूट गैस्ट्राइटिस के मरीजों में यह परेशानी दूर होने के बाद 10 से 20 फीसदी मरीजों में लंबे समय तक पेट की परेशानी हो सकती है। भारत और बंगला देश में एक्यूट गैस्ट्राइटिस की परेशानी अधिक होती है। दोनो देश ने इस विषय पर शोध किया तो देखा कि गैस्ट्राइटस होने पर तुरंत एटी बायोटिक चला दी जातीहै जिसके कारण कुछ लोगों में लंबे समय के लिए पेट की परेशानी होती है। इस लिए हल्का गैस्ट्राइटस की परेशानी होते एंटीबायोटिक का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। देखा गया है कि सामान्य चिकित्सक के आलावा लोग खुद एंटीबायोटिक का इस्तेमाल कर लेते है। इस परेशानी में म्यूकोस सूजन जाती है। गैस्ट्राइटिसकी समस्या में पेट में गैस बनती है।  पेट फूल जाता है और पेट में दर्द होता है। इस विषय पर दस शोध पत्र है जिसे इंटरनेशनल स्तर पर स्वीकार किया गया है।प्रो. घोषाल के पेट की बीमारियों पर  402 शोध पत्र है। 33 एवार्ड सहित कई सम्मान इनके खाते हैं।  

 

 

 

 

 प्रो.एसएस अग्रवाल बेस्ट रिसर्च एवार्ड- डा. पी बी साई सरन सीसीएम

 

 

 आईसीयू में पेट के बल लिटाने पर सांस तो होगी ठीक लेकिन जा सकती है रोशनी

 

 

 

  आईसीयू में एक्टूट डिसट्रेस रिसपाइरेटरी सिंड्रोम(सास लेने में गंभीर परेशानी)  मरीजों कोपेट के बल लिटाने से फेफडे में ऑक्सीजन का स्तर बढ़ जाता है लेकिन इसकी वजह से आखमें दबाव बढ़ जाता है जिसके कारण आख की रोशनी जा सकती है। इस लिए प्रोन स्थिति मेंरखने के साथ आँख में दबाव पर भी ध्यान देने की जरूरत है। प्रोन स्थित में साइड इफेक्ट के बारे में शोध काफी कम हुआ है। यह  सोध इन्होंने  केयर मेडिसिन डिपार्टमेंट के डॉ मोहन गुर्जर और नेत्र रोग विभाग के विशेषज्ञों के सहयोग से किया। एक शोध में बताया कि  आईसीयू की संरचना हास्पिटल एक्वायर्ड इंफेक्शन का बडा  कारक है। रोगी के आस-पास की जगहनिर्माण और उपयोग की गई परिष्करण सामग्री फर्नीचरऔर वेंटिलेशन सिस्टम पर विशेष ध्यान देकर भविष्य में संक्रमण  को काफी हद तक कम किया जा सकता है। इसके अलावा कोविड से बचाव में हेल्थ केयर वर्कर को कैसे पीपीई किट का इस्तेमाल करना चाहिए। सुरक्षा किट के निर्माण में क्या सावधानी की जरूरत है सहित कई शोध पत्र इनके नाम है। इनके 35 शोध पत्र है। आंध्र प्रदेश के ग्रामीण परिवेश से निकले कैंसर संस्थान के सीसीएम विभाग में ज्वाइन किए है। इनकी पत्नी डा.नम्रता लोहिया संस्थान में गुर्दा रोग विशेषज्ञ है।  

 

  बेस्ट डीएम स्टुडेंट एवार्ड डा. हाफ़िज़ मुंहम्द क्लीनिकलइण्यूनोलाजी

रूमटायड अर्थराइटस दे सकता है दिल को दर्द

 

 रूमटायड अर्थराइटिस के 15 से 20 फीसदी मरीजों में दिल की बीमारी की आशंका रहती है। इस शोध के जरिए बताया कि रूमटायड अर्थराइटिस आटो इण्यूनडिजीज जिसमें शरीर के खिलाफ एंटी बाडी बन जाती है। यह एंटी बाडी शरीर के जोड़ों केअलवा दिल की रक्त वाहिकाओं को भी क्षति ग्रस्त करती है। इस लिए इस बीमारी से प्रभावित लोगों को दिल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। समय पर फालोअप पर जाना चाहिए।इनको दिल की बीमारी से बचाने के लिए पहले से ही उपाय पर विचार करने की जरूरत है।इसके आलावा रिएक्टिव अर्थराइटस के मरीजों में परेशानी का पता लगाने के लिए सीबीएमआरके साथ मिल कर खास वायो मार्कर पर शोध किया है जिससे बीमारी का पता काफी पहले लग सकता है।  

 

 

बेस्ट एमसीएच स्टुडेंट एवार्ड- डा. वी चक्रपाणि रमैया इंडोसर्जरी

 

पांच मिनट चल जाएगा स्तन कैंसर युक्त गांठ का पता

 

 

 

  स्तन कैंसर के मरीजों में स्तन के कैंसर के निकालने के दौरान कांख में स्थित लिम्फनोड कई बार निकाला जाता है। इससे हाथ में सूजम और कमजोरी कीपरेशानी होती है। कांख में स्थित उन्ही लिम्फनोड को निकालना चाहिए जिसमें कैंसर है। इन लिम्फनोड का पता लगाने के लिए फ्लोरोसिन डाई तकनीक पर शोध किया जिसमें देखा कि गांठ के पास डाई इंजेक्ट कर विशेष प्रकाश से देखने पर जहां कैंसर सेल होता हैवह नीले रंग का चमकता है केवल उन्ही गांठ को निकाला जाता है। इस तकनीक में पांच मिनट में कैंसर युक्त गांठ का पता लग जाता है। यह तकनीक काफी सस्ती है।  इसके अलावा फियोक्रोमोसाइटोमा पर भी शोध पत्र है। आंध्र प्रदेश की रहने वाली   यह परिवार की पहली चिकित्सक है। 

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