...तो पीएचसी स्तर पर संभव होगी प्रोस्टेट कैंसर की जांच
सीबीएमआर ने खोजा बायोमार्कर दक्षता जानने के लिए संस्थानों से करार
प्रोस्टेट कैंसर का पता शुरूआती दौर में वह भी पीएचसी स्तर पर लगाने के लिए सेंटर आफ बायोमेडिकल रिसर्च ने रोड मैप तैयार कर लिया है। सेंटर के निदेशक डा. आलोक धावन के मुताबिक हमने प्रोस्टेट कैंसर के लिए चार बायोमार्कर का पता लगा है जिसके आधार पर इस कैंसर का पता शुरूआती दौर में लगाने के साथ कैंसर के स्टेज का भी पता लगाना संभव है। इन बायोमार्कर का पता लगाने के लिए सेंटर ने तीन सौ अधिक मरीजों पर शोध जिसे विश्व स्तर पर मान्यता भी मिली है। इन बायोमार्कर का और अघिक मरीजों पर परीक्षण करने के लिए किंग जार्ज मेडिकल विवि, राम मनोहर लोहिया संस्थान के अलावा एम्स जोधपुर से करार किया है। अधिक मरीजों पर शोध होगा तभी इन बायोमार्कर की सेंसटिवटी और स्पेसीफिसिटी यानि टेस्ट का सटीक है यह पता लगेगा। इसके बाद हम किट बनाने वाली कंपनी से करार करेंगे जो सरल तरीके से ऐसी किट बनाएगी जिससे पीएचसी लेवल पर जांच संभव हो सके। पीएचसी स्तर पर हिपेटाइटिस , प्रिगनेंसी सहित तमाम टेस्ट कार्ड या एग्यूलिटेशन के रूप में संभव हैं।
यह परेशानी तो लें सलाह
-जलन और पेशाब में दर्द
-पेशाब करने और रोकने में कठिनाई
-रात में बार-बार पेशाब करने की इच्छा होना
-मूत्राशय के नियंत्रण में कमी
-मूत्र प्रवाह में कमी
-मूत्र में रक्त (हेमट्यूरिया)
-सीमेन में रक्त
लक्षण प्रारंभिक अवस्था में दिख सकते हैं या नहीं भी दिख सकते। अधिकांश प्रोस्टेट कैंसर का शुरुआत में पहचान करना मुश्किल है।
बेंच टू बेड निति पर काम करेगा सेंटर
प्रो.आलोक ने कहा कि यह प्रदेश का अकेला विशेष सेंटर है जो बीमारी का पता शुरूआती दौर पर लगाने के लगातार शोध कर रहा है। तमाम शोध विश्व स्तर पर स्वीकार भी किए गए । इन शोधों का फायदा मरीजों मिले इसके लिए बेंच टू बेड नीति पर काम शुरू किया है जिसका फायदा जल्दी मरीजों को मिलेगा।
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