रविवार, 13 दिसंबर 2020

आधार कार्ड की तरह होगा जीनोम कार्ड जो बताएगा कौन सी दवा होगी कारगर

 

आधार कार्ड की तरह होगा जीनोम कार्ड जो बताएगा कौन सी दवा होगी कारगर 
पीजीआइ ने किया है कई शोध संस्थान से समझौता बढ़ेगी रफ्तार


वह दिन दूर नहीं है जब हर व्यक्ति के पास आधार कार्ड की तरह जिनोमकार्ड होगा जिसके जरिए डाक्टर जीनोम के आधार पर पता लगा लेंगे कि किस मरीज में कौन सी दवा कारगर साबित होगी। इस दिशा में कई स्तर पर काम हो रहा है। इंजीनिंयरिंग और चिकित्सा विज्ञान की संयुक्त शोध के जरिए यह संभव होने  जा रहा है। सुपर कंप्यूटर के जरिए हम लोग डीएनए, आरएनए की गुत्थी सुलझा रहे है इसे जिनोम स्टडी कहते है। यह व्यक्ति का जीनोम अलग होता है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ इंफार्मेनशन टेक्नोलॉजी रायपुर के डा. प्रदीप सिन्हा ने संजय गांधी पीजीआइ में शोध दिवस पर आयोजित वेबीनार कम सेमिनार के मौके पर कहा कि अभी एक समान लक्षण वाले या बीमारी वाले मरीज में जो दवा प्रचलित होती है दी जाती है । इस दवा से कुछ लोगों को फायदा होता है तो कुछ लोगों को दवा से फायदा नहीं होता है। चिकित्सक फिर कारण खोज कर दूसरी दवा देता है कई बार यह दवा भी कारगर साबित नही होती है ऐसे में बीमारी बढ़ती जाती है। इस तमाम परेशानी को देखते हुए बहुत तेजी से पर्सनलाइज्ड मेडिसिन पर काम हो रहा है जिसमें व्यक्ति के जीनोम के आधार पर दवा बनेगी और मरीज को दी जाएगी। हर व्यक्ति के पास आधार कार्ड की तरह जीनोम कार्ड होगा जिसे लेकर मरीज़ डाक्टर के पास जाएगा डाक्टर रीडर में कार्ड रीड करेगा और बता देगा कौन सी दवा किस मरीज में कारगर होगी। संस्थान के पिडियाट्रिक मेडिसिन विभाग के डा.मोनिक सेन शर्मा ने सुक्षाव दिया कि लखनऊ में ही कई शोध संस्थान है जो फैकल्टी नई है उनका वहां पर कोई परिचय नहीं है इन संस्थान के साथ काम करने के लिए एक प्लेट फार्म की जरूरत है जिसके बारे में रिसर्च सेल के प्रभारी प्रो.यूसी घोषाल ने बताया कि कई संस्थान के हम लोगों शोध के लिए समझौता किया है आने वाले दिनों में जूनियर फैकल्टी को शोध के कई मार्ग खुूलेंगे। प्रो.अमित केशरी ने कहा कि संस्थान के आईआईटी कानपुर के साथ साथ काम करने के लिए संस्थान में कोर लैब की तरह लैब की जरूरत है जिस पर संस्थान प्रशासन कामकरने की बात कही। इस मौके पर रजिस्ट्रार प्रो.सोनिया नित्यांनद, डीन प्रो.एसके मिश्रा,  माइक्रोबायलोजी विभाग की प्रमुख प्रो.उज्वला घोषाल सहित अन्य संकाय सदस्यों ने शोध पर बल देते हुए कहा कि शोध के बिना इलाज की नई दिशा तय करना संभव नहीं है। 

पीजीआई में बढेगा शोध का बजट
निदेशक प्रो.आरके धीमन ने कहा कि शोध के वर्तमान बजट को तीन गुना तक बढाने के योजना पर काम शुरू कर दिया है। इंट्रामुरल शोध के लिए बजट बढने के बाद अधिक संकाय सदस्यों को शोध का मौका मिलेगा । इसके साथ जो संकाय सदस्य पीएचडी करना चाहेंगे उनके लिए शोध का मार्ग प्रसस्त किया जाएगा। 

मरीज देखने के साथ करें लैब में शोध

नेशनल मेडिकल काउंसिल के प्रमुख डा.एसके सरीन ने कहा कि चिकित्सक को हाई ब्रिड होना पड़ेगा। मरीज देखने के साथ उन्हें लैब में रिसर्च करना होगा क्योंकि दिमाग किसी का हाथ किसी का होने से शोध संभव नहीं है। संजय गांधी पीजीआईजैसे संस्थान में ही केवल चिकित्सक लैब में शोध भी कर रहे है लेकिन इनकी संख्या भी कमहै। इस लिए संकाय सदस्यों को पीएचडी करना और करने की जरूरत पूरे देश के मेडिकल संस्थानों में है।

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