रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने का विरोध कर रहे डॉक्टरों का प्रतिनिध मण्डल राज्यपाल से मिला
पीजीआई फैकल्टी फोरम ने जताया विरोध कहां संस्थान की स्वायत्तता पर खतरा
पीजीआई में डॉक्टरों की रिटायरमेंट उम्र 65 से 70 वर्ष बढ़ाने के प्रस्ताव का विरोध करे संस्थान के फैकल्टी फोरम (डॉक्टरों) का एक प्रतिनिधि मण्डल राज्यपाल राम नाईक से मिलकर इस पर तत्काल रोक लगाने की मांग उठायी। संकाय सदस्यों ने राज्यपाल को अभिलेख दिए। जिसमें कहा गया है कि पीजीआई के 80 फीसदी डॉक्टर रिटायरमेंट उम्र बढ़ाने के विरोध में हैं। संकाय सदस्यों ने राज्यपाल से कहा कि रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाना पीजीआई की स्वायत्तता पर खतरा बताया है। राज्यपाल ने फैकल्टी फोरम को भरोसा दिलाया कि इस गंभीर मुद्दे पर वो जल्द निर्णय लेंगे। उन्होंने कहा कि चंद डॉक्टरों के लिए युवा डॉक्टरों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होगा।
पीजीआई फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार, सचिव डॉ. एमएस अंसारी के अलावा डॉ. सुभाष यादव व डॉ. अमिताभ आर्या ने राज्यपाल राम नाईक से मिलकर अपना पक्ष रखा। संकाय सदस्यों ने राज्यपाल से कहा कि संस्थान के सिर्फ चार डॉक्टरों को खुश करने के लिए उनका सेवाकाल पांच वर्ष बढ़ाने का प्रस्ताव संस्थान हित में कतई ठीक नहीं है। पीजीआई में एम्स दिल्ली के सारे नियम कायदे लागू होते हैं। एम्स में रिटायरमेंट उम्र 65 वर्ष है। डॉक्टरों ने कहा कि पीजीआई एक्ट के साथ छेड़छाड़ करने से जूनियर फैकल्टी सदस्यों को संस्थान में मौका नहीं मिलेगा। इससे सीनियर और जूनियर डॉक्टरों के बीच दूरियां बढ़ेंगी। जो मरीजों के हित में कतई फायदेमंद नहीं है। सदस्यों ने कहा कि यदि विशेषज्ञ डॉक्टरों की सेवा लेनी ही है तो उन्हें संविदा पर तैनाती देकर प्रदेश के उन संस्थानों और मेडिकल कालेजों में तैनाती दी जाए जहां पर विशेषज्ञों के पद खाली हैं। बार-बार उम्र बढ़ाने को लेकर उम्र बढ़ाने से पीजीआई के एक्ट में भी तब्दीली करनी पड़ रही है जो कि उचित नहीं है क्योंकि इससे पहले 58 साल रिटायरमेंट की उम्र थी जिसे बढ़ाकर 60 किया गया फिर 62 और 65 किया गया थाl अब फिर से 4 डॉक्टरों को खुश करने के लिए रिटायरमेंट की उम्र 65 से 70 करने जा रहे हैं। हालांकि इसके विरोध में करीब 210 संकाय सदस्यों में से 175 डॉक्टरों ने इसके विरोध में हस्ताक्षर करकर दिया है।
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