मंगलवार, 1 मई 2018

डाक्टरों की तीन बार रिटारमेंट अायु बढी लेकिन समस्या जस की तस - फैकल्टी फोरम

डाक्टरों की तीन बार रिटारमेंट अायु बढी लेकिन समस्या जस की तस  - फैकल्टी फोरम


डाक्टरों की तीन बार रिटारमेंट अायु बढी लेकिन समस्या जस की तस  - फैकल्टी फोरम

रिटारमेंट अायु बढाना नहीं है विकल्प

 रिटारमेंट अायु बढती है तो केंद्र सरकार के नियम की अवहेलना



 डाक्टरों की रिटायरमेंट अायु बढाती है तो यह केंद्र सरकार के नियम के अवहेलना है। 2017 में केंद्र सरकार ने डाक्टरों की रियारमेंट अायु 62 से बढा कर 65 किया जिसमें साफ -साफ कहा गया कि इन लोगों को कोई भी प्रशासनिक पद नहीं दिया जाएगा । बढे तीन साल में केवल यह मरीज देखेंगे। संजय गांधी पीजीआई के फैकल्टी फोरम के अध्यक्ष प्रो. अशोक कुमार और सचिव प्रो. एमएस अंसारी सहित अन्य पदाधिकारियों  ने फोरम की बैठक के बाद कहा कि सरकार के इस प्रस्ताव का हर स्तर तक विरोध करेंगे जरूरत पडी तो कार्य बहिष्कार तक कर सकते हैं। कहा कि डाक्टरों की रियारमेंट अायु बीते सालों में तीन बार बढा चुकी है। पहले 58 से 60 किया फिर 60 से 62 किया इसके बाद 62 से 65 किया लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है। इससे साबित होता है रिटारमेंट अायु बढाना कोई सही समस्या का हल नहीं है। इससे अागे सरकार के सामने और विषम स्थिति अा सकती है। 

अाखिर क्यों पीजीआई छोड़ गए 80 से अधिक  
जूनियर डाक्टरों( फैकल्टी) को मौका न मिलने  वह संस्थान को छोड कर कारपोरेट अस्पताल का रूख कर सकते हैं। पीजीआई से बीते सालों में 80 से अधिक डाक्टर छोड़ कर जा चुके हैं। 65 से 70 रिटारमेंट अायु करने पर संस्थान से काफी  छोड़ कर कारपोरेट अस्पताल का रूख कर सकते हैं। पदाधिकारियों ने बताया कि संस्थान के एक विभाग से सात संकाय सदस्य छोड़ कर जा जुके है जिसमें डा. विजय खेर, प्रदीप अरोडा, डा. संजीव गुलाटी, डा. डीके अग्रवाल, डा. अजय प्रकाश शर्मा, डा. मुफ्फजल, डा. अालोक कुमार शामिल है। इसी तरह से हाल में  ही एक दूसे डा. अऩिल मंधानी, डा. सौऱभ वशिष्ठ छोड़ कर चले गए। संस्थान से डाकटरों को रोकने के लिए नए सिरे से सोचना होगा । सरकार के तुगलकी फरमान जारी करेंगे तो इससे संस्थान की प्रतिभा का पलायन होगा।

सालों से जमें रहे नहीं तैयार की सेकेंड लाइन

मेडिकल विवि के टीचर एसोसिएशन के सचिव प्रो.संतोष कुमार 65 के बाद डाक्टर को उनके अनुभव को देखते हुए एेसी जगह भेजा जाए जहां पर विशेषज्ञ नहीं है। डाक्टर में सेवा भाव है तो यह लोग 65 के बाद फ्री कहीं भी लोगों को सलाह दे सकते हैं। सेवा के लिए संस्थान में जमे रहने की क्या जरूरत  है। कहा कि एक 65 के बाद पांच साल अौर काम करने की चाह रखने वाले विभाग के प्रमुखों ने कहा कि एक ही पद है इनके रहने से एमसीआई से मान्यता खत्म हो जाएगी तो अाज इन्होंने सेकेंड लाइन क्यों नहीं तैयार किया यह इनका फेल्योर है।  अपने कार्य काल में पद क्यों नहीं बढवाया। 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें