डाक्टरों की तीन बार रिटारमेंट अायु बढी लेकिन समस्या जस की तस - फैकल्टी फोरम
डाक्टरों की तीन बार रिटारमेंट अायु बढी लेकिन समस्या जस की तस - फैकल्टी फोरम
रिटारमेंट अायु बढाना नहीं है विकल्प
रिटारमेंट अायु बढती है तो केंद्र सरकार के नियम की अवहेलना
अाखिर क्यों पीजीआई छोड़ गए 80 से अधिक
जूनियर डाक्टरों( फैकल्टी) को मौका न मिलने वह संस्थान को छोड कर कारपोरेट अस्पताल का रूख कर सकते हैं। पीजीआई से बीते सालों में 80 से अधिक डाक्टर छोड़ कर जा चुके हैं। 65 से 70 रिटारमेंट अायु करने पर संस्थान से काफी छोड़ कर कारपोरेट अस्पताल का रूख कर सकते हैं। पदाधिकारियों ने बताया कि संस्थान के एक विभाग से सात संकाय सदस्य छोड़ कर जा जुके है जिसमें डा. विजय खेर, प्रदीप अरोडा, डा. संजीव गुलाटी, डा. डीके अग्रवाल, डा. अजय प्रकाश शर्मा, डा. मुफ्फजल, डा. अालोक कुमार शामिल है। इसी तरह से हाल में ही एक दूसे डा. अऩिल मंधानी, डा. सौऱभ वशिष्ठ छोड़ कर चले गए। संस्थान से डाकटरों को रोकने के लिए नए सिरे से सोचना होगा । सरकार के तुगलकी फरमान जारी करेंगे तो इससे संस्थान की प्रतिभा का पलायन होगा।
सालों से जमें रहे नहीं तैयार की सेकेंड लाइन
मेडिकल विवि के टीचर एसोसिएशन के सचिव प्रो.संतोष कुमार 65 के बाद डाक्टर को उनके अनुभव को देखते हुए एेसी जगह भेजा जाए जहां पर विशेषज्ञ नहीं है। डाक्टर में सेवा भाव है तो यह लोग 65 के बाद फ्री कहीं भी लोगों को सलाह दे सकते हैं। सेवा के लिए संस्थान में जमे रहने की क्या जरूरत है। कहा कि एक 65 के बाद पांच साल अौर काम करने की चाह रखने वाले विभाग के प्रमुखों ने कहा कि एक ही पद है इनके रहने से एमसीआई से मान्यता खत्म हो जाएगी तो अाज इन्होंने सेकेंड लाइन क्यों नहीं तैयार किया यह इनका फेल्योर है। अपने कार्य काल में पद क्यों नहीं बढवाया।
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