बुधवार, 31 जुलाई 2024

स्किल लैब में ट्रेंड किए जाएंगे एक्सपर्ट देवदूत

 







पीजीआई एपेक्स ट्रामा सेंटर का स्थापना दिवस


स्किल लैब में ट्रेंड किए जाएंगे एक्सपर्ट देवदूत


दुर्घटना स्थल पर केयर न होने से बिगड़ जाती है स्थिति  


ट्रामा सेंटर में स्थापित होगा आर्थोपेडिक विभाग  




दुर्घटना के सही तरीके से उठाने, एंबुलेंस में रखने के गलत तरीके के कारण अस्पताल पहुंचने तक 25 से 30 दुर्घटनाग्रस्त व्यक्ति की स्थिति बिगड़ जाती है। फ्रैक्चर  बढ़ने, अधिक रक्तस्राव सहित कई परेशानी बढ़ जाती है। पॉइंट आफ कांटेक्ट ( दुर्घटना स्थल) पर पहुंचने वाले एक तरह के देवदूत होते हैं। इनका ट्रेंड होना जरूरी है तभी व्यक्ति सुरक्षित अस्पताल तक पहुंच सकता है। एक्सपर्ट बनाने के लिए   संजय गांधी पीजीआई का एपेक्स ट्रामा सेंटर स्किल लैब तैयार करने जा रहा है। ट्रामा सेवा में प्रदेश में काम रहे लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति में और नुकसान नहीं होगा। ट्रामा सेंटर के 6 वें स्थापना दिवस पर प्रभारी न्यूरो सर्जन प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव और चिकित्सा अधीक्षक और अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख प्रो. राजेश हर्ष वर्धन ने बताया कि आर्थोपेडिक विभाग स्थापित करने जा रहे हैं। विशेषज्ञ तो हैं लेकिन विभाग न होने के कारण शिक्षण और शोध नहीं हो पा रहा है। विभाग आर्थोपेडिक विशेषज्ञ खास तौर पर ट्रामा मैनेजमेंट के तैयार किए जा सकेंगे। इस मौके पर कई स्कूलों के दो हजार से अधिक छात्रों को सुरक्षा शपथ दिलाया गया। प्रो. राजेश हर्षवर्धन ने कहा कि बच्चों में यदि सुरक्षा का पालन करने की आदत पड़ जाए तो रोड एक्सीडेंट की आशंका कम होगी। अभी 135 बेड क्रियाशील है 35 बेड और क्रियाशील करने जा रहे हैं। 210 का लक्ष्य जल्दी पूरा करेंगे। एक साल में 2 हजार से अधिक दुर्घटना ग्रस्त लोगों में  आर्थोपैडिक, न्यूरो सर्जरी, ट्रामा सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी, चेहरे पर चोट की सर्जरी हो रही है। निदेशक प्रो.आरके धीमन ट्रामा सेंटर के कार्य पर संतोष जताया।   




एक्सीडेंट के लिए और लोग भी हों जवाबदेह


 


मुख्य अतिथि लखनऊ हाई कोर्ट के जस्टिस अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि रोड सेफ्टी को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए। एक्सीडेंट के केवल ट्रैफिक पुलिस ही नहीं नगर निगम, लोक निर्माण विभाग को जवाबदेह होना चाहिए।  


 


चार ई पर फोकस जरूरी


डीसीपी ट्रैफिक ने कहा कि चार ई पर फोकस करना इंजीनियरिंग जिसमें रोड का सही निर्माण सहित अन्य, एजूकेशन जिसमें रोड सेफ्टी का बारे में जानकारी, एनफोर्समेंट जिसमें कानूनी पहलू शामिल है, इमरजेंसी जिसमें दुर्घटना ग्रस्त व्यक्ति की सही समय पर उपचार।  हाईवे पर 1022 और अन्य जगह पर 102 पर काल कर तुरंत सेवा ली जा सकती है। रोड एक्सीडेंट व्यक्ति के मदद पर कोई सवाल किसी से नहीं पूछा जाता है। यह नैतिकता में आता है।

शनिवार, 20 जुलाई 2024

सर्जरी में ओटी टेक्नोलॉजिस्ट की आम भूमिका

 




संजय गांधी पीजीआई के एनेस्थीसिया विभाग में आठवा नेशनल एनेस्थीसिया एवं ऑपरेशन थिएटर टेक्नोलॉजिस्ट दिवस मनाया  गया ।

इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य अतिथि संस्थान के निदेशक पदम श्री प्रोफेसर राधा कृष्ण धीमन, विभागाध्यक्ष एनेस्थीसिया प्रोफेसर प्रभात तिवारी,सी एम एस  प्रोफेसर संजय धीराज  तथा मेडिकल सुपरीटेंडेंट प्रोफेसर वी के पालीवाल जी की विशिष्ट उपस्थिति रही।


  इस अवसर पर संस्थान के निदेशक महोदय ने एनेसथीसिया और ओ टी टेकनीशियनो के द्वारा  किए गए कामो एवं भूमिका को सराहा।

 प्रोफेसर प्रभात तिवारी  ने ओपन हार्ट सर्जरी के दौरान एनेस्थीसिया के चिकित्सको द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली Trans Esophgeal Echo  उपकरण की रखरखाव में तकनीकी दक्षता के बारे में बताया। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर संजय धीराज ने ऑपरेशन थिएटर असिस्टेंट के वर्क कल्चर व ओरिएंटेशन कोर्स के महत्व के बारे में बताया। चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर वी के पालीवाल ने  एनेसथीसिया और ओ टी  तकनीशियनों द्वारा परदे के पीछे रहकर किये जाने वाले तकनीकी योगदान की प्रशंसा की।


सचिव , राजीव सक्सेना ने एनेस्थीसिया टेक्नीशियन के द्वारा किए जाने वाले क्रियाकलापों , मशीनों के रखाव संबंधित और सर्जरी के दौरान उनकी भूमिका के बारे में जानकारी दी।


 कार्यक्रम की शुरुआत निदेशक महोदय द्वारा सरस्वती पूजा और दीप प्रज्ज्वलित करके की गयी। इस अवसर पर सरस्वती वंदना में विभाग की श्रद्धा , रुचि ,प्रिया ,शिवानी, मीनू  सिंह, प्रमिला तथा आयुषी ने भाग लिया।

कार्यक्रम के दौरान प्रोफेसर देवेंद्र गुप्ता, डाक्टर आशीष कनौजिया , डा सुजीत सिंह गौतम, डा अमित रस्तोगी और  डा रुद्राशीष हलदार उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में संगठन के अध्यक्ष श्री के के कौल एव मेड टेक एसोशियेशन के महामंत्री  श्री सरोज वर्मा भी उपस्थिति थे।

कार्यक्रम का संचालन श्री धीरज सिंह ने तथा धन्यवाद  प्रस्ताव श्री चंद्रेश कश्यप द्वारा दिया गया।

पीजीआई में हुई दिल के नीचे तक फैले हुए किडनी कैंसर की रोबोटिक सर्जरी

 


पीजीआई में हुई दिल के नीचे तक फैले हुए किडनी कैंसर की रोबोटिक सर्जरी 


पीजीआई में हुई जटिल किडनी कैंसर की सर्जरी


 संजय गांधी स्नातकोत्तर पीजीआई के यूरोलॉजी और गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग ने बाएं गुर्दे के कैंसर के लिए दुर्लभ और अत्यंत जटिल रोबोटिक सर्जरी सफलतापूर्वक की है, जिसमें ट्यूमर हृदय के स्तर के ठीक नीचे इन्फीरियर वीना कावा नामक मुख्य रक्त वाहिका तक फैला हुआ था। वाराणसी से

65 वर्षीय महिला को  सर्जरी के लिए भेजा गया था।

प्रो उदय प्रताप सिंह ने बताया कि   कैंसर के इनफीरियर वीना कावा   में फैलाव के कारण सर्जरी में जटिल थी।  । सर्जरी के दौरान इनफीरियर वीना  कावा के  निगरानी आवश्यक थी । कई बार थ्रोम्बस के टूट कर जाने से   पल्मोनरी  एम्बोलिज्म या मृत्यु का कारण बन सकता है।  थ्रोम्बस की स्थिति की निगरानी के लिए इंट्रा-इसोफेगल अल्ट्रासाउंड  का उपयोग किया। मरीज की जल्द स्वास्थय लाभ की वजह से सर्जरी के चार दिन बाद छुट्टी दे दी गई। 

ऑपरेशन के दौरान लिवर का कन्ट्रोल भी महत्वपूर्ण हिस्सा था ।  टीम में   डॉ. रजनीश कुमार सिंह ने  किया। एनेस्थीसिया टीम, जिसका नेतृत्व डॉ. संजय धीराज और डॉ. अमित रस्तोगी  ने सर्जरी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।



पीजीआई में हुई दिल के नीचे तक फैले हुए किडनी कैंसर की रोबोटिक सर्जरी 

पीजीआई में हुई जटिल किडनी कैंसर की सर्जरी

 संजय गांधी स्नातकोत्तर पीजीआई के यूरोलॉजी और गुर्दा प्रत्यारोपण विभाग ने बाएं गुर्दे के कैंसर के लिए दुर्लभ और अत्यंत जटिल रोबोटिक सर्जरी सफलतापूर्वक की है, जिसमें ट्यूमर हृदय के स्तर के ठीक नीचे इन्फीरियर वीना कावा नामक मुख्य रक्त वाहिका तक फैला हुआ था। वाराणसी से
65 वर्षीय महिला को  सर्जरी के लिए भेजा गया था।
प्रो उदय प्रताप सिंह ने बताया कि   कैंसर के इनफीरियर वीना कावा   में फैलाव के कारण सर्जरी में जटिल थी।  । सर्जरी के दौरान इनफीरियर वीना  कावा के  निगरानी आवश्यक थी । कई बार थ्रोम्बस के टूट कर जाने से   पल्मोनरी  एम्बोलिज्म या मृत्यु का कारण बन सकता है।  थ्रोम्बस की स्थिति की निगरानी के लिए इंट्रा-इसोफेगल अल्ट्रासाउंड  का उपयोग किया। मरीज की जल्द स्वास्थय लाभ की वजह से सर्जरी के चार दिन बाद छुट्टी दे दी गई। 
ऑपरेशन के दौरान लिवर का कन्ट्रोल भी महत्वपूर्ण हिस्सा था ।  टीम में   डॉ. रजनीश कुमार सिंह ने  किया। एनेस्थीसिया टीम, जिसका नेतृत्व डॉ. संजय धीराज और डॉ. अमित रस्तोगी  ने सर्जरी की सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 

 

पीजीआई में शुरू हुआ उत्तर भारत का पहला ट्रांसजेंडर क्लीनिक

 


पीजीआई में शुरू हुआ उत्तर भारत का पहला ट्रांसजेंडर क्लीनिक


- हर शुक्रवार को होगी ओपीडी


- 6 विभागों के विशेषज्ञ मिलकर करेंगे इलाज


- मल्टी स्पेशियलिटी की मिलेगी सुविधा




संजय गांधी पीजीआई में उत्तर भारत के पहला ट्रांसजेंडर क्लीनिक शुक्रवार को शुरू हो गया।  नोडल ऑफिसर एवं एंडोक्राइन विभाग के प्रमुख प्रो. सुशील गुप्ता ने कहा कि ट्रांसजेंडर समुदाय को हमारे समाज में पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने में एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ता है। इनकी  विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप मल्टी स्पेशिएल्टी युक्त चिकित्सा सेवाएं और व्यापक देखभाल दिया जाएगा। इसमें  हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी, रिडक्शन मैमोप्लास्टी,जननांग पुनर्निर्माण सर्जरी, परामर्श, मनोरोग सहायता और त्वचा विज्ञान सेवाएं शामिल हैं। इनके इलाज के लिए 6 विभागों की मदद ली जाएगी।  प्लास्टिक सर्जरी और बर्न विभाग के  प्रमुख प्रो. राजीव अग्रवाल,  यूरोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांटेशन विभाग के प्रमुख प्रो. एम.एस. अंसारी,  मनोरोग विभाग से  डॉ. रोमिल सैनी, त्वचाविज्ञान और यौन रोग विभाग से  डॉ. अजित कुमार और माइक्रोबायोलॉजी विभाग की प्रमुख प्रो.  रुंगमेई एस.के. मराक शामिल हैं। बताया कि ओ पी डी प्रत्येक शुक्रवार को होगी। छह बिस्तरों वाले एक वार्ड भी तैयार किया गया है।  उद्घाटन समारोह में  मुख्य अतिथि प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य एवं सलाहकार, ट्रांसजेंडर कल्याण बोर्ड, उत्तर प्रदेश सरकार  देविका देवेंद्र एस मंगलामुखी ने समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर जोर दिया। संस्थान के निदेशक प्रोफेसर राधा कृष्ण धीमन ने कहा कि इस इकाई की स्थापना से समुदाय के सभी सदस्यों को गरिमा और सम्मान के साथ सेवा मिलेगी। सीएमएस प्रो. संजय धीराज, एमएस प्रो. प्रीति दबडघाव, एंडोक्राइनोलॉजिस्ट प्रो. सुभाष यादव ने कहा कि ट्रांसजेंडर के देखभाल के लिए कई तरह पर काम करने की जरूरत है जो यहां पूरी होगी।


 


 


 


 


 


 


क्या होते हैं ट्रांसजेंडर


 ट्रांसजेंडर व्यक्ति वह होता है जिसकी लिंग पहचान जन्म के समय उसे दी गई लिंग पहचान से भिन्न होती है। भारत में लगभग 5 लाख व्यक्ति ट्रांसजेंडर हैं।

एम्स दिल्ली को पीजीआई ने 5 विकेट से हराया

 


एम्स दिल्ली को पीजीआई ने 5 विकेट से हराया



एम्स दिल्ली को संजय गांधी पीजीआई ने 5 विकेट से हराया।एम्स दिल्ली और संजय गांधी पीजीआई के क्रिकेट टीम के बीच  दिल्ली में शनिवार को फाइनल क्रिकेट मैच खेला गया जिसमें एम्स ने 10 विकेट पर 106 रन बनाया इसके मुकाबले संजय गांधी पीजीआई ने पांच विकेट पर 108 रन बनाकर जीत हासिल की पीजीआई के अजीत कुमार वर्मा मैन ऑफ द मैच घोषित हुए।  एम्स दिल्ली ने विट्रो कप का आयोजन किया था जिसमें 10 से अधिक टीम शामिल हुई थी जिसमें कई राज्यों के एम्स एस और संस्थाओं की टीम ने भाग लिया था।

गुरुवार, 4 जुलाई 2024

पीजीआई में पहली बार हुई विश्व की पहली नई तकनीक से प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी

 




पीजीआई में पहली बार हुई विश्व की पहली नई तकनीक से प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी


प्रोस्टेट ग्रंथि के सर्जरी के बाद मूत्र पर नियंत्रण की परेशानी की  आशंका होगी कमी



विश्व  की पहली ट्रांसवेसिकल मल्टीपोर्ट रोबोटिक रेडिकल प्रॉस्टेटेक्टॉमी   



संजय गांधी पीजीआई में पहली बार प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी

 एक नई तकनीक से हुई जिसका नाम है ट्रांसवेसिकल मल्टीपोर्ट रोबोटिक रेडिकल प्रॉस्टेटेक्टॉमी   । विशेषज्ञों का दावा है कि अभी तक विश्व में इस तकनीक से प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी नहीं हुई है। 

इस सर्जरी को अंजाम देने वाले यूरोलॉजी विभाग के प्रोफेसर उदय प्रताप सिंह ने बताया कि

 एक नई सर्जिकल तकनीक है जिसमें प्रोस्टेट ग्रंथि को मूत्राशय के माध्यम से रोबोट की सहायता से हटाया जाता है। यह पारंपरिक विधियों की तुलना में कम दूसरी परेशानी की आशंका रहती है।  मरीजों के लिए तेज़ी से रिकवर होती है। कम  दर्द और जटिलताओं के न्यूनतम जोखिम सहित कई लाभ प्रदान करता है।



क्या है फायदा



प्रोफेसर उदय प्रताप ने बताया कि समान तरीके से प्रोस्टेट ग्रंथि की सर्जरी के बाद मूत्र पर नियंत्रण और यौन शक्ति  में कमी की आशंका रहती है इस सर्जरी के बाद इस आशंका की संभावना बहुत कम हो जाती ।। ट्रांसवेसिकल रोबोटिक रेडिकल प्रॉस्टेटेक्टॉमी से गुजरने वाले मरीजों को जल्द ही असंयम और यौन कार्य की पुनः प्राप्ति का अनुभव होता है, जो सर्जरी के बाद उनकी जीवन गुणवत्ता को काफी बढ़ाता है।

 ट्रांसवेसिकल विधि आस-पास के ऊतकों और नसों को नुकसान पहुँचाने से बचाती है, जिससे मरीज जल्द ही मूत्राशय पर नियंत्रण प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही 

 न्यूरोवास्कुलर बंडलों को संरक्षित करने में मदद करती है जो इरेक्टाइल फंक्शन के लिए जिम्मेदार होते हैं, जिससे यौन स्वास्थ्य की जल्दी और पूरी तरह से पुनः प्राप्ति होती है।