ब्रेन डेड के शिकार मनोज तीन को जिंदगी
अपोलो में ब्रेन डेड शिकार मनोज के परिजनों ने दो किडनी और लिवर कराया दान
किडनी का पीजीआई, अपोलो और लिवर का मेडिकल विवि में हुआ प्रत्यारोपण
अपोलो मेडिक्स में ब्रेन डेड के शिकार 50 वर्षीय मनोज तीन लोगों को जिंदगी दे गए। ब्रेन डेड के बाद इनके परिजनों ने अंगदान का फैसला लिया। एक किडनी पीजीआई में दी गयी। एक किडनी अपोलो में प्रत्यारोपित की गयी। लीवर किंग जार्ज मेडिकल विवि में प्रत्यारोपण के लिए दिया गया। संजय गांधी पीजीआई में प्रत्यारोपण पूरी तरह सफल रहा। संस्थान के गुर्दा रोग विशेषज्ञ एवं नेफ्रोलॉजी विभाग प्रमुख प्रो. नारायण प्रसाद के मुताबिक सोमवार को देर रात अपोलो से एक किडनी मिलने की जानकारी मिली । हमने तुरंत डोनर के मैचिंग वाले मरीजों को बुलाया । क्रॉस मैचिंग परीक्षण के बाद 53 वर्षीय मुनेश्वर दयाल जिनमें 2018 से किडनी खराबी की परेशानी थी। इन्हे प्रत्यारोपण के लिए उपयुक्त पाया गया। यूरोलॉजिस्ट प्रो. यूपी सिंह और डा. संचित की टीम ने प्रत्यारोपण किया जो सफल रहा है। किंग जार्ज मेडिकल विवि में भी लिवर प्रत्यारोपण जारी है।
रोड एक्सीडेंट के कारण मनोज को हुआ ब्रेन डेड
गोरखपुर के रहने वाले मनोज कुमार सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए थे। गोरखपुर में ही इनका इलाज चला । सर्जरी भी हुई लेकिन राहत न मिलने पर 20 जून को परिवार के लोग इन्हे अपोलो मेडिक्स वे जाए जहां पर ब्रेन डेड हो गया। परिजनों को अंगदान के लिए अस्पताल के लोगों ने प्रेरित किया ।
मुनेश्वर के लिए संजीवनी साबित हुई किडनी
मुनेश्वर के किडनी की बीमारी ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज( एडीपीकेडी) से ग्रस्त थे जिसके कारण किडनी काम नहीं कर रही थी। जिन जीन के कारण यह बीमारी होती है वह परिवार में होता है जिसके कारण परिवार के लोगों की किडनी इनमें नहीं लग सकती थी।डोनर न होने के कारण 2018 से डायलिसिस पर जीवन काट रहे थे।
आठ लोगों में एक की मैच की किडनी
प्रो. नारायण प्रसाद के मुताबिक पहले मैचिंग के लिए पांच लोगों को बुलाया । सोमवार की रात में एक बजे से मैचिंग जांच फ्लोसाइटोमेटरी से शुरू किया लेकिन इन सबसे मैचिंग नहीं पायी। इनके बाद तीन लोगों को और बुलाया सुबह सात बजे तक मैचिंग जांच किया । इनमें से मुनेश्वर की मैचिंग हो पायी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें