गुरुवार, 26 अगस्त 2021

पीजीआई के होनहारों ने शोध के साथ मरीजों की सेवा में कमाया नाम

 


हर मायोसाइटिस बीमारी नहीं होती है खतरनाक

 

डा. पंक्ति मेहता प्रो.आरके शर्मा बेस्ट डीएम स्टुडेंट एवार्ड

 

 

 

क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी विभाग की डा. पंक्ति मेहता ने वार्ड में मरीजों के मैनेजमेंटओपीडी में सलाह और रिसर्च में अहम भूमिका निभाया। पूरे पाठ्यक्रम के दौरान बेस्ट रहने के कारण उन्हें इस अवॉर्ड के लिए चुना गया। इन्हें सभी डीएम छात्रों के फाइनल एक्जाम में सबसे अधिक अंक प्राप्त हुआ।शोध मे देखा कि हर तरह की मायोसाइटिस बीमारी खतरनाक नहीं होती है। इस बीमारी में समय से इलाज और लगातार फालोअप से लंबी और अच्छी जिंदगी पायी जा सकती है। मायोसाइटिस एक मांसपेशियों के कमजोरी की बीमारी है। यह बीमारी शऱीर के मांसपेशियों के खिलाफ खास एंटीबॉडी के बनने के कारण होती है। इससे आटो इम्यून डिजीज कहते है। हमने इस बीमारी से प्रभावित मरीजों पर हर 3 महीने बाद फालोअप स्टडी किया। इस बीमारी का पता लगाने के लिए इंस्ट्रक्टेबल न्यूक्लियर एंटीजन परीक्षण कराते है जिसमें 14 एंटीजन का देखते है। किस मरीज किस एंटीजन के कारण बीमारी है उसके आधार पर बीमारी की गंभीरता का आकलन करते हैं।  टाकायासू आर्टराइटिस बीमारी की गंभीरता देखने के लिए एक खास बायोमार्कर देखा जिसका नाम  हिस्टीडीन इसके कम से बीमारी अधिक परेशान  करती है।  प्रो. अमिता अग्रवाल प्रो. विकास अग्रवाल प्रो. एबल लॉरेंस  प्रो. लतिका गुप्ता प्रो. दुर्गा के सहयोग ने यह स्थान मिला है। 

 

 



किडनी कैंसर के दौरान रक्त वाहिका रुकावट का संभव है इलाज 

  

डा. सितांगशु काकोटी बेस्ट एमसीएच स्टूडेंट प्रो. आरके शर्मा शर्मा अवॉर्ड

 

 

 

यूरोलाजी एंड किडनी ट्रासप्लांट विभाग के एमसीएच छात्र डा. सितांगशु काकोटी ने वार्डओटीओपीडी में बेस्ट मैनेजमेंट के साथ एमसीएच के छात्रो में परीक्षा में सबसे अधिक अंक प्राप्त किया। इसके साथ इन्होंने शोध भी किया। रीलनल सेल कार्सीनोमा( किडनी कैंसर) किडनी के ट्यूमर के इलाज आउट पेशेंट विभाग में 1309 रोगी उपस्थित आए। इनमें से 61 मरीजों में  आईवीसी थ्रोम्बस यानि ट्यूमर के पास स्थित वेनाकोवा नस में ट्यूमर का कुछ हिस्सा चला जाता है ।  के मरीज देखने को मिले। इनमें से ५६ रोगियों ने नेफ्रेक्टोमी यानि लैप्रोस्कोपी द्वारा जिसमे ट्यूमर वाले हिसे को हटा दिया गया। सर्जरी के  के समय नस को खोल कर ट्यूमर के निकाला जाता है फिर नस को जोड़ दिया जाता है। इसे डॉक्टरी भाषा में आईवीसी थ्रोम्बेक्टोमी कहते हैं। ऐसे मामलों में  सर्जरी और प्रीऑपरेटिव में विशेष सावधानी बरतने की जरूरत होती है। एक्सपीरियंस विथ मैनेजमेंट रीनल सेल कार्सिनोमा विथ इंफीरियर वेना केवा राइट आर्टरी ट्यूमर थ्रोम्बोसिस विषय पर हुए शोध को इंडियन जर्नल आफ यूरोलॉजी ने स्वीकार किया है।

 

 

जीन पर लगाम लगा बचेगा दिल

 

डा. संगम रजक  प्रो.एसएस अग्रवाल बेस्ट रिसर्च पेपर एवार्ड

 

 

 

दिल के बीमारी के लिए कोलेस्ट्रॉल को खतरनाक माना जाता है। रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल के जमा होने पर रक्त प्रवाह कम हो जाता है जिससे दिल की मांसपेशियों को रक्त नहीं मिलता और हार्ट अटैक की आशंका बढ़ जाती है। इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के शोध छात्र डा. संगम रजक ने डा. रोहित सिन्हा के निर्देशन में शोध किया तो देखा कि यूएलके-1 जीन के अधिक क्रियाशील होने पर कोलेस्ट्रॉल रक्त वाहिकाओं में जमा होने की आशंका बढ़ जाती है। इस जीन की क्रियाशीलता को कम करने के लिए यूएलके-1 इनहैबिटर का इस्तेमाल किया तो देखा इससे रक्त वाहिकाओं में कोलेस्ट्रॉल जमा होना कम हो गया। यह परीक्षण कोशिकाओ पर करने के साथ ही रैट मॉडल पर किया। इस शोध को लास आप यूएलके-1 एडीन्यूटेस कोलेस्ट्रोजेनिक जीन एक्सप्रेशन इन मैमिलियन हिपेटिक सेल के नाम फ्रंटियर इन सेल एंड डेवलपमेंट बायोलॉजी इंटरनेशनल जर्नल ने स्वीकार किया है। इस शोध से दिल की बीमारी की आशंका कम करने के लिए नई दवा आने की संभावना बढ़ जाएगी।

 

 

  

सेंटेनियल लिम्फ नोड बायोप्सी से दोबारा स्तन कैंसर की आशंका कम

 

 

 

प्रो.  गौरव अग्रवाल प्रो.एस आर नायक एवार्ड

 

 

 

इंडो सर्जरी विभाग के प्रो. गौरव अग्रवाल मुख्य चिकित्सा अधीक्षक और  स्तन स्वास्थ्य कार्यक्रम के संयोजक है।  स्तन कैंसर  और इलाज के प्रभाव पर लंबे समय तक शोध किया है। इनके पास कई शोध अनुदान हैं। अनुसंधान रुचियां भारत और विकासशील देशों में कम लागत पर उच्च गुणवत्ता वाले  स्तन कैंसर उपचार  उपलब्ध कराने पर केंद्रित हैं। सेनटेनियल लिम्फ नोड बायोप्सी इससे लिम्फनोड फैले स्तन कैंसर का पता लगा कर उसे निकाल दिया जाता है जिससे दोबारा स्कन कैंसर की आशंका कम हो जाती हैय़।  ऑन्कोप्लास्टिक स्तन सर्जरी को स्थापित किया।  भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की तकनीकी समिति का हिस्सा रहे हंल जिसमें स्तन कैंसर प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय गाइडलाइन तैयार किया।

 

पैराथाइरॉइड हड्डी रोगफियोक्रोमोसाइटोमा  हाइपर पैरा थायरायडिज्ममल्टीपल एंडोक्राइन नियोप्लाजिया सिंड्रोम टाइप 2 , पारिवारिक अंतःस्रावी रोगों पर शोध किया । प्रो अग्रवाल ब्रेस्ट सर्जरी इंटरनेशनल (बीएसआई) के मौजूदा अध्यक्ष हैं। वर्ल्ड जर्नल ऑफ़ सर्जरी सहित कई उच्च-प्रभाव वाली पत्रिकाओं के संपादकीय बोर्ड में काम किया है। प्रोफेसर अग्रवाल को भारत में ब्रेस्ट सर्जरी और ऑन्कोलॉजी में एक प्रमुख ओपिनियन लीडर के रूप में जाना जाता है।

 

  

 

- 220 वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए हैं,

 

-  6300 शोध पत्रों का दूसरे शोध वैज्ञानिकों ने उल्लेख किया

 

 -   42 गूगल स्कॉलर पर एच स्कोर

 

-   240 से अधिक गेस्ट लेक्चर

 

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