हेल्थ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों ने दी आंदोलन की चेतावनी
वेतन विसंगति से नाराज हैं कर्मचारी
खाली पदों पर की समायोजन की मांग
जागरण संवाददाता। लखनऊ
आउटसोर्सिंग कर्मचारियों वेतन विसंगति को लेकर एक बार फिर से रोष है। इस बार गुस्साए कर्मचारी बड़े आंदोलन के मूड में हैं। संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ एवं डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान संविदा कर्मचारी संघ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की समस्याओं को कई वर्षों से शासन के सामने रखा है और कई बड़े आंदोलन भी किये गये लेकिन कोई स्थाई हल नहीं निकला है।
गौरतलब है कि आउटसोर्सिंग की स्थायी नीति और उचित वेतन की मांग पर शासन की सहमति के बाद भी युवा कर्मचारी के लिए कुछ नहीं किया। यह जानकारी संघ के अध्यक्ष रितेश मल्ल और मीडिया प्रभारी सच्चिता नन्द मिश्रा ने
गौरतलब है कि आउटसोर्सिंग की स्थायी नीति और उचित वेतन की मांग पर शासन की सहमति के बाद भी युवा कर्मचारी के लिए कुछ नहीं किया। यह जानकारी संघ के अध्यक्ष रितेश मल्ल और मीडिया प्रभारी सच्चिता नन्द मिश्रा ने
कहा कि
9 अगस्त 2018 को मुख्यमंत्री ने कमेटी गठित कर लोहिया, केजीएमयू और पीजीआई के कर्मचारियों की वेतन विसंगति दूर करने की बात कही। कमेटी गठन के बाद वेतन बढ़ोत्तरी का कोई आदेश नहीं आया। विभाग के प्रमुख सचिव ने मामले को दबा दिया और 8 माह बाद भी मामला विचाराधीन है।
वेतन पहले से काफी कम कर दिया
आउटसोर्सिंग नीति बनाये जाने के लिए मुकुल सिंघल, प्रमुख सचिव कार्मिक की अध्यक्षता में कमेटी गठित हुई। नियमावली का ड्राफ्ट बनने में 6 माह से ज्यादा का समय लगा। नियमावली में संघ द्वारा सुझाव पत्र भी दिया गया कि कर्मचारियों का वेतन निर्धारण हो तथा वर्ष में विभिन्न अवकाश की व्यवस्था हो। इससे युवा कर्मचारियों का प्रशासन एवं सेवा प्रदाता फर्म द्वारा उत्पीडऩ न हो सके। अभी हाल ही में चिकित्सा शिक्षा विभाग में कर्मचारियों का वेतन पहले से काफी कम कर दिया गया। मांग किया कि खाली पदों पर सीधा समायोजन किया जाए
सेवा प्रदाता एजेंसी नौकरी के नाम पर कर रही धन वसूली
डॉ. राम मनोहर लोहिया, केजीएमयू, पीजीआई के कर्मचारी आज भी बेहद कम वेतन पर काम कर रहे हैं जबकि संस्थान और उच्च स्तरीय चिकित्सा संस्थान है। युवा कर्मचारी डिग्री, डिप्लोमा होने के बाद भी 10 हजार से 15000 रुपये की नौकरी करने को मजबूर हैं ।
सर्विस चार्ज न्यूनतम 5 प्रतिशत
यहां तक कि आउटसोर्सिंग नियमावली के ड्राफ्ट में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है जिससे कर्मचारियों को लाभ हो। शासन द्वारा सेवा प्रदाता फर्म का सर्विस चार्ज न्यूनतम 5 प्रतिशत कर दिया गया जो कि पहले 1 से 2 प्रतिशत तक ही थी। शासन की उदासीनता के चलते कर्मचारी आक्रोशित हैं और उग्र होकर आंदोलन करने के मूड में हैं।
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