रविवार, 2 जून 2019

ऐसे बुजूर्ग जिनमें र्सजरी संभव नहीं उन्हें भी लंबी जिंदगी देगा सीटीओ



ऐसे बुजूर्ग जिनमें  र्सजरी संभव नहीं उन्हें भी लंबी जिंदगी देगा सीटीओ
सीटीओ तकनीक से कम हो सकती है सर्जन पर लोड
जागरण संवाददाता। लखनऊ
सीटीओ तकनीक स्थापित होने के बाद दिल की सर्जरी करने वाले विशेषज्ञों पर लोड काफी हद तक कम हो सकता है। कई सरकारी संस्थानों में सर्जरी के लिए लोड के कारण लंबी वेटिंग हैै। यह वेटिंग कम हो सकती है खात तौर पर उन मरीजों में जिनकी  उम्र 60 साल से अधिक है। एनेस्थेसिया देने की स्थित न होने सहित कई कारण इनमें  सर्जरी नहीं कर पाते हैं। उनके लिए यह सबसे ज्यादा कारगर है। संजय  गांधी पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञ प्रो. सुदीप कुमार कहते है कि  पूरे देश दो  हजार से ज्यादा मरीजों का इस तकनीक के जरिए इलाज किया जा चुका है। इसमें सफलता दर 99 फीसदी है। इसमें खास तरह के तार का प्रयोग किया जाता है। वह एंजियोप्लास्टी वाले तार से काफी अलग हैं। इसे गाया वायर भी बोलते हैं। इसमें रिस्क दर भी काफी कम है। संस्थान में सीटीओ आयोजित वर्कशाप और अधिवेशन में प्रो. रूपाली खन्ना, प्रो, नवीन गर्ग, प्रो. अंकित साहू सहित अन्य विशेषज्ञों ने अपनी बात रखी। बताया कि  मरीज में सर्जरी कर तकनीक दिखायी गयी जिससे देश में इस तकनीक का विस्तार हो सके।  
दो तरीके से होती है एंजियोप्लास्टी
प्रो.सुदीप के मुताबिक यह एक तरह खास तरीके की तकनीक है। इसे दो तरीके से किया जाता है। पहला यह है कि एंजियोप्लास्टी की तरह सीधे ही वायर को नसों के लिए ब्लाकेज वाले स्थान पर ले जायाजाता है। दूसरा यह है कि यदि सीधे तौर पर तार नसों में प्रवेश नहीं कर पाते हैंतोवे दूसरी नस से होते हुए ब्लाकेज वाले स्थान पर पहुंच जाते हैं। फिरे जहां ब्लाकेजहोता है, उसे खोल देते हैं। इससे मरीज में सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है। खर्चकरीब- करीब ओपेन सर्जरी से करीब10 फीसदी ज्यादा आता है। जबकि सर्जरी में मरीज कोतमाम तरह की दुश्वारियां झेलनी पड़ती है। उसमें संक्रमण का भी खतरा रहता है। दवाएंज्यादा लेनी पड़ती है। इसमें इन सभी झंझट से मुक्ति मिल जाती है।

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