अब पीजीआइ कंबीनेशन थिरेपी से एक साथ कम करेगा दो परेशानी
- ठीक होगी पेशाब के साथ ईडी की परेशानी
उम्र बढ़ने के साथ 50 से 60 फीसद लोगों में होती है पेशाब और ईडी की परेशानी
कुमार संजय। लखनऊ
उम्र बढने के साथ पेशाब के साथ इरेक्टाइल डिस फंक्शन(ईडी) की परेशानी 50 से 60 फीसदी लोगों मे होती है । पेशाब के रास्ते में रूकावट के कारण पूरा पेशाब नहीं निकलता है। पूरा मूत्राशय खाली न होने होने पर बार –बार पेशाब जाना पड़ता है। कई बार मूत्राशय( ब्लैडर) में पेशाब बैक फ्लो मारता है जिससे किडनी की कार्य क्षमता प्रभावित होती है। इन दोनों परेशानी से एक साथ निपटने के लिए संजय गांधी पीजीआइ के यूरोलाजिस्ट नई कंबीनेशन थिरेपी देंगे। देखा गया है कि प्रोस्टेट के कारण पेशाब में रूकावट के कारण होने वाली परेशानी के साथ ईडी की परेशआनी होने पर टाडाफिल के साथ टामसुलोसिन के साथ कंबीनेशन में दिया जाए तो दोनों परेशानी में काफी कमी आती है। देखा गया है कि पेशाब की धार ठीक हुई साथ ही ब्लैडर में पेशाब कम बचा। साथ ही ईडी की परेशानी कम हुई। इंडियन जर्नल आफ यूरोलाजी के एक शोध पत्र का हवाला देते हुए यूरोलाजिस्ट एंव किडनी ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ प्रो. संजय सुरेखा कहते है कि कंबीनेशन में टाडाफिल 10 मिली ग्राम और टामसुलोसिन 0.4 मिली ग्राम दिन में एक बार दिया गया । टामसुलोसिन पेशाब के रास्ते की मांसपेशियों में स्थित अल्फा रिसेप्टर को ब्लाक करता है जिससे वहां की मांस पेशियों में सिकुडन नहीं होती है। टाडाफिल रक्त संचार को बढाता है । यह दवा नपुंसकता के मामले में दी जाती है ।
संजय गांधी पीजीआई के यूरोलाजिस्ट और संस्थान के निदेशक प्रो.राकेश कपूर के मुताबिक बिनाइन प्रोस्टेट हाइपप्लीजिया के साथ ईडी की परेशानी के बीच सीधा संबंध देखा गया है। कई मामलों में आल्फा ब्लाकर देने से ईडी में फायदा नहीं होता है । इस शोध के बाद दोनों परेशानी कम करना संभव हो सकता है....प्रो.राकेश कपूर यूरोलाजिस्ट और किडनी ट्रांसपलांट विशेषज्ञ