शुक्रवार, 4 अक्तूबर 2013

सावधान: हर तीसरी महिला एवं छठां पुरूष की हड्डी खोखली



सावधान: हर तीसरी महिला एवं  छठां पुरूष की हड्डी खोखली


क्रासर-जरा से चोट पर टूट जाती है हड्डी
क्रासर- खामोश बीमारी की पोल खोलता है बीएमडी
कुमार संजय
लखनऊ। ४४ ïवर्षीय संध्या शुक्ला देखने में  यूं तो स्वस्थ्य है लेकिन किचन में पैर फिसलने के कारण उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई। आपरेशन के बाद लंबे समय तक बिस्तर पर पड़ी रही अब सामान्य जिंदगी शुरु होने वाली थी कि हाथ की हड्डी टूट गई। डाक्टर ने बार-बार हड्डी टूटने की वजह आस्टियोपोरोसिस बताया। इस बीमारी की वजह से हड्डी भुर-भुरी एवं कमजोर हो जाती है जिससे जरा सा भी झटका या आघात लगने पर फ्रैक्चर हो जाता है।
संजय गांधी पीजीआई में आयोजित डायबटिक अंडोक्राइनोलाजी अपडेट में भाग लेने आए विशेषज्ञों ने बताया कि इस बीमारी का कोई लक्षण तब तक प्रकट नहीं होती जब तक कि फ्रैक्चर नहीं हो जाता है। इस बीमारी से बचने के लिए  चालिस की उम्र पार करने के बाद बोन मिनिरल डेंसटी का परीक्षण  कराना चाहिए। इस परीक्षण से बीमारी का पता लग जाता है। एहतियात बरत कर फ्रैक्टर से बचा  सकता है। संजय गांधी पीजीआई के अत:स्रावी रोग विशेषज्ञ प्रो.सुशील गुप्ता बताते हैं कि पचास की उम्र पार कर चुके ५० फीसदी महिलाएं एवं ३६ फीसदी पुरूष इस बीमारी के चपेट में हैं। २९.८ फीसदी महिलाएं एवं २४.३ फीसदी पुरूष मुहाने पर खड़े हैं। हर तीसरी महिला एवं हर छठां पुरूष इस बीमारी के चपेट में है। इस बीमारी की वजह से सात लाख लोगो के रीढ़ की हड्डी,तीन लाख लोगो के कूल्हे,दो लाख लोगों को कलाई एवं तीस हजार लोगों के दूसरी अन्य हड्डीयों में फ्रैक्चर होता है। कूल्हे में फ्रैक्चर के शिकार २० लोगों की मौत संक्रमण ,बेड शोर के कारण हो जाती है बाकी ५० फीसदी लोग विकलांग हो जाते हैं। बच्चों में इस बीमारी को रिकेट के नाम से जाना जाता है। प्रो.गुप्ता बताते हैं कि हड्डीयां कोलेजन नामक प्रोटीन के जाल पर एकत्रित कैल्शियम के हाइड्रोआक्सापेटाइड लवण से बनी होती है। यदि कोलेजन का मैट्रिक्स सामान्य हो कैल्शियम कम हो जाए तो इसे आस्टोमलेसिया (मुलायम हड्डी) हो जाता है। यह बीमारी विटामिन डी की कमी से होती है। जब कोलेजन एवं कैल्शियम होने कम हो जाता है तो इस बीमारी को आस्टियोपोरोसिस कहते हैं।
३० साल की उम्र तक हड्डी में कैल्शियम जमा होता है इसके बाद क्षरण शुरू हो जाता है। इसलिए कैल्शियम युक्त खाद्यपदार्थो का सेवन खूब करना चाहिए ताकि बोन मास बढ़ जाए। उन्होंने बताया कि कैल्शीटोनिन एवं वायोफास्फोनेट दो नई दवाएं आ गई जिससे बीमारी के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है। कैल्शीटोनिन बोन मास बढ़ता है जबकि वायोफास्फोनेट कैल्शियम का क्षरण कम करता है। 
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ताकि खोखली न हो हड्डियां
--बीएमडी जांच कराना चाहिए
--वजन सहन करने वाले व्यायाम करना चाहिए
-- दूध और धूप का सेवन करना चाहिए
-- कैल्शियम एवं विटामिन डी का सेवन करना चाहिए
--शराब एवं धूम्रपान से बचना चाहिए
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बीमारी से बचने के आवश्यक कैल्शियम की मात्रा का सेवन
उम्र एवं लिंग              कैल्शियम की मात्रा (प्रतिदिन)
जंमजात -६ माह              ४०० मिली ग्राम
६माह से एक साल              ६०० मिली ग्राम
एक साल से दस साल           ८०००-१२०० मिली ग्राम
११ से २४ साल                   १२००-१५०० मिली ग्राम
गर्भवती महिला                   १२००-१५०० मिली ग्राम
मीनोपाज के बाद २५ से ४९       १००० मिली ग्राम
(महिला)
५० से ६४ महिला                  १५०० मिली ग्राम
६५ से अधिक महिला              १५०० मिली ग्राम
२५ से ६४ आयु के पुरूष            १००० मिली ग्राम
६५ से अधिक  आयु के पुरूष       १५०० मिली ग्राम  े

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