जागरण विशेष
इंसुलिन प्रतिरोध ग्रस्त महिला भी अब बन सकती है मां
-इंसुलिन प्रतिरोध नहीं भरने दे रहा है गोद
-20.5 फीसदी इंसुलिन प्रतिरोध के कारण नहीं कर पा रही है गर्भधारण
- क्लोमिफेन साइट्रेट साबित हो रहा है मददगार
कुमार संजय। लखनऊ
हर महिला मां बनना चाहती है । मां न बन पाने की पीछे 20.5 फीसदी इंसुलिन प्रतिरोध कारण साबित हो रहा है। इनके मां बनने में खास रसायन क्लोमिफेन साइट्रेट मदद कर सकता है। इन महिलाओं ओव्यूलेशन इंडक्शन की प्रक्रिया में मोनोफोलिकुलर( एक फालीक्यूल) की आशंका रहती है। इन महिलाओं में सामान्य महिलाओं की तुलना में गर्भ धारण करने की संभावना कम होती है। इंसुलिन प्रतिरोध का सीधा संबंध मोटापे से है। विशेषज्ञों ने देखा है कि इन महिलाओं में क्लोमिफेन साइट्रेट के जरिए फालीक्यूल की संख्या बढ़ाने के बाद इंट्रा यूट्राइन इंसीमेशन तकनीक से गर्भधारण कराने पर सफलता मिल सकती है। यह रसायन खास हार्मोन की मात्रा में वृद्धि करता है जो परिपक्व अंडे (ओव्यूलेशन) के विकास और रिलीज में मदद करता है। इस नुस्खे से 6 फीसदी महिलाएं गर्भधारण करने में सफल रही है।
विशेषज्ञों ने 120 उन महिलाओं पर शोध किया जो चार साल से मां बनने के लिए हर संभव कोशिश कर रही थी लेकिन एक बार भी गर्भवती नहीं हो पायी। शोध में देखा गया इनमें 20.5 फीसदी में इंसुलिन प्रतिरोध की समस्या थी।
क्या है इंसुलिन प्रतिरोध
हाइपरिन्सुलिनमिया इंसुलिन प्रतिरोध के कारण होता है। इसमें रक्त में इंसुलिन की मात्रा बढ़ जाती है। एक ऐसी स्थिति जिसमें शरीर इंसुलिन के प्रभावों के लिए अच्छी तरह से प्रतिक्रिया नहीं करता है। अग्न्याशय अधिक इंसुलिन बनाकर क्षतिपूर्ति करने की कोशिश करता है। यह तब होता है जब पैंक्रियाज रक्त शर्करा को सामान्य रखने के लिए बड़ी मात्रा में इंसुलिन को स्रावित करके क्षतिपूर्ति करने में सक्षम नहीं होता है।
क्या है फालीक्यूल
हर महीने एक न एक ओवरी में से एक एग रिलीज होता है, जो कि फैलोपियन ट्यूब में मौजूद स्पर्म के साथ मिलकर फर्टिलाइज हो जाता है और महिला गर्भधारण कर लेती है। एग का साइज बहुत छोटा होता है। पानी से भरी जिस थैली में एग होता है, उस थैली को फॉलिकल कहा जाता है। हर महीने पीरियड के बाद छोटे-छोटे फॉलिकल बनने शुरू हो जाते हैं लेकिन कुछ समय के बाद एक या दो ही फॉलिकल ऐसे होते हैं जिनका साइज बढ़ जाता है उन्हें डोमिनेंट फॉलिकल कहा जाता है।
इन्होंने किया शोध
किंग जार्ज मेडिकल विवि के प्रसूती एवं स्त्री रोग विभाग की डा. रुचि कर्नाटक, डा. अंजू अग्रवाल, डा. मोना आसनानी, डा. रेनू सिंह ने द इफेक्ट आफ इंसुलिन रजिसटेंस आन ओव्ल्यूशन इंडक्शन विथ क्लोमीफेन साइट्रेस इन नान पीसीओसी वोमेन विषय़ पर शोध किया जिसे इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल क्यूरस ने स्वीकार किया है।
वर्जन
इंसुलिन प्रतिरोध मोटापे, पीसीओएस और टाइप 2
मधुमेह से जुड़ा हुआ है। प्रतिरोध
ओव्यूलेशन की विफलता और अंडों की
देरी से परिपक्वता का कारण बनता है जिससे
बांझपन
होता है
। इंसुलिन प्रतिरोध के कारण लगभग 40-50 प्रतिशत
महिलाएं गर्भ धारण में असमर्थ होती हैं
प्रो इंदु लता साहू एम आर एच विभाग संजय गांधी
पीजीआई
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें