पीजीआई में हुई देश की पहली खाने की नली में कैंसर की विशेष तकनीक से सर्जरी
दो बार जिंदगी पर मंडराया खतरा लेकिन मौत मुंह से खीच लाए पीजीआई विशेषज्ञों के हाथ
नई खाने की नली में निष्क्रिय रहने वाली रक्त वाहिका से सुनिश्चित किया रक्त प्रवाह
पैक्रिएटाइटिस के सर्जरी के 10 साल बाद खाने की नली में हुआ कैंसर
सर्जरी का दिया नाम थोरेको लेप्रोस्कोपिक मैकियान प्रोसीजर विथ अनयूजुअल आर्टरी
तीस वर्षीय शाहजहांपुर निवासी वर्षीय साजिद का पैंक्रियाज ने पहले धोखा दिया । बडी सर्जरी हुई जिंदगी बची। दस साल बाद खाने का कौर निगलना मुश्किल हो गया। भाग कर संजय गांधी पीजीआई आए तो पता चला कि खाने की नली में कैंसर हो गया है। लगा कि अब तो जिंदगी का अंत हो गया लेकिन संस्थान के गैस्ट्रो सर्जरी विभाग के विशेषज्ञों देश में पहली बार खास तकनीक का इस्तेमाल कर एक बार फिर सर्जरी करने का फैसला लिया। सर्जरी सफल रही है । इस सर्जरी को थोरेको लेप्रोस्कोपिक मैकियान प्रोसीजर विथ अनयूजुअल आर्टरी नाम दिया है। इस तरह की सर्जरी फिलहाल देश में रिपोर्ट नहीं है। इस सर्जरी को विशेषज्ञ जर्नल के जरिए दुनिया के सामने रखेंगे। साजिद खाना खाने लगे है। विशेषज्ञों ने बताया कि यह जटिल सर्जरी थी क्योंकि पहले क्रॉनिक पैंक्रिएटाइटिस के इलाज के लिए इनकी सर्जरी की गयी जिसमें पैंक्रियाज की नली को छोटी आंत से जोडा गया। इस दौरान आमाशय को रक्त देने वाली नली को निष्क्रिय कर दिया गया था। अब दूसरी सर्जरी खाने की नली में कैंसर का इलाज बड़ी चुनौती थी । सबसे पहले हम लोगों ने कीमोथेरेपी के जरिए खाने में नली में स्थिति गांठ को छोटा किया। खाने की नली को हटाया। नई खाने की नली को बनाने के लिए आमाशय को खींच कर नली के रूप में बनाया। नई नली को गले में जोडा।
निष्क्रिय आर्टरी के जरिए नई खाने की नली को मिला रक्त
सबसे बड़ी समस्या थी कि नई बनी खाने की नली में रक्त प्रवाह कैसे सुनिश्चित किया जाए क्योंकि बिना रक्त प्रवाह के नली काम नहीं करेंगी।देखा कि आमाशय में एक नली होती है जो निष्क्रिय रहती है इसे राइट गैस्ट्रिक आर्टरी कहते है बहुत पतली होती है। इससे रक्त प्रवाह की स्थिति जानने के लिए डाई डाल कर ट्रेस किया गया। देखा गया कि रक्त प्रवाह हो रहा है। इस आर्टरी से रक्त प्रवाह सुनिश्चित नई खाने में नली में किया गया।
इन्होने किया सर्जरी
मुख्य सर्जन प्रो. अशोक कुमार( द्वितीय) , सहायक प्रो. नलिनीकांत , डा. रवींद्र, डा. साई कृष्णा, मुख्य एनेस्थीसिया विशेषज्ञ प्रो. संजय क्यूबा , डा. प्रज्ञा, डा. प्रतिभा, नर्सिंग आफीसर सुशीला, स्वीटी, नित्या, संतोष और अनिता
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