विशेष एंजियोप्लास्टी तकनीक से पीजीआई ने दिल को किया दुरूस्त
ओसीटी और इंट्रावैस्कुलर इमेजिंग के जरिए मुख्य धमनी की दूर की गई रुकावट
एक 60 वर्षीय पुरुष के मुख्य धमनी में दो जगह रुकावट को दूर करने में कामयाबी संजय गांधी पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञों ने हासिल की है। इस जटिल कोरोनरी इंटरवेंशन तकनीक का सजीव प्रसारण भी कार्डियोलॉजी इंडिया साउथ एशिया के अधिवेशन में किया गया। इसका आयोजन हैदराबाद में किया गया हो रहा था। 60 वर्षीय पुरुष मुख्य कोरोनरी धमनी के लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग और सीएक्स आर्टरीज में में ब्लॉकेज थी। इस रुकावट को दूर करने में विभाग के प्रमुख प्रो. आदित्य कपूर, प्रो सत्येंद्र तिवारी, प्रो सुदीप कुमार, प्रो. रूपाली खन्ना प्रो. अंकित साहू शामिल थे। विशेषज्ञों ने बताया कि नवीनतम कोरोनरी इमेजिंग का मार्गदर्शन लेते हुए एक कोरोनरी एंजियोप्लास्टी की गई। इस केस में इंट्रावैस्कुलर इमेजिंग और ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी का उपयोग किया गया।
इन इमेजिंग तकनीक उपयोग से कोरोनरी एनाटॉमी, प्लाक संरचना और कोरोनरी वैस्कुलर को चित्रित करने में मदद मिलती है जो साधारण कोरोनरी एंजियोग्राफी द्वारा नहीं देखे जाते हैं।प्रो सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि इस मरीज में रणनीति तय हो जाने के बाद पहले सीएक्स आर्टरी में स्टेंट डालकर ठीक किया गया। इसके बाद मुख्य धमनी यानी लेफ्ट मेंन कोरोनरी धमनी में स्टेंट डाले गए।
कैसा स्टंट होगा कारगर पहले लगता है पता
प्रो सुदीप कुमार ने बताया कि प्लानिंग ऐसे मामलों में सफलता की कुंजी है क्योकि अक्सर ऐसे मामले में कोरोनरी धमनियों में कई वायर और बैलून डालने पड़ते है । डॉ रूपाली खन्ना ने कहा कि इन स्थितियों में आईवीयूएस या ओसीटी का उपयोग करके इमेजिंग न केवल आवश्यक है, अपितु स्टेंट आकार को समझने के लिए अनिवार्य भी है।
नई इमेजिंग तकनीक से मिलती सफलता का लगता है पता
प्रो. अंकित साहू ने बताया कि इमेजिंग से पता चलता है कि क्या स्टेंट अच्छी तरह से लगाया गया और कोरोनरी धमनी की दीवार पर पर सही से फूल गया की नहीं। ओसीटी द्वारा एक अंतिम इमेजिंग विश्लेषण किया गया था ताकि स्टेंट के सारे डायमेंशन और मेजरमेंट लिए जा सकते हैं।
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