सोमवार, 29 अगस्त 2022

सांस की नली फंसी गोली निकाल कर बचायी जिंदगी - नहीं करनी पड़ी ओपेन सर्जरी मुंह से निकल गई गोली

 


 

 

सांस की नली फंसी गोली निकाल कर बचायी जिंदगी

नहीं करनी पड़ी ओपेन सर्जरी मुंह से निकल गई गोली

सांस की नली को किया रिपेयर

रिजिड ब्रोन्कोस्कोपी के जरिए संभव हुई यह प्रक्रिया

 

   


 20 वर्षीय युवक को  गोली लगने के कारण संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में गंभीर अवस्था में लाया गया। परीक्षण के बाद पता लगा कि गोली सांस की नली में ट्रेकिया में फंसी थी जिसके कारण सांस लेने में काफी परेशानी हो रही थी। गोली पीठ के निचले हिस्से से निकल कर छाती में जा लगी थी और वायुमार्ग ( ट्रेकिया) को भेद कर उसमे फंस गई थी।  इससे आसपास के क्षेत्र में हवा का रिसाव होने लगा जिससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत होने लगी। पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख प्रो. आलोक नाथ के मुताबिक ट्रामा सेंटर में

  ट्रामा सर्जरी विभाग के डाक्टर अमित कुमार सिंह की देखरेख में भर्ती किया गया। हमारे विभाग के डा. अजमल सहित अन्य ने  प्रारंभिक ब्रोन्कोस्कोपिक मूल्यांकन के बाद, मरीज की सामान्य एनेस्थेसिया के अंतर्गत मुंह के माध्यम से रिजिड  ब्रोन्कोस्कोपी की गयी और फोरसेप का उपयोग करके गोली को निकाल दिया गया । इसके बाद, वायुमार्ग की दीवार में लगभग 2 सेमी  को कवर करने के लिए एक सिलिकॉन स्टेंट लगाया गया। स्थिति में सुधार होने लगा जिसके बाद सचेत स्थिति में आईसीयू में स्थानांतरित कर दिया गया । इस प्रक्रिया द्वारा बिना किसी सर्जिकल चीरे के छाती से गोली निकालने के लिए एक प्रमुख शल्य प्रक्रिया को टाला जा सका। मरीज अभी ट्रामा सेंटर के आईसीयू में स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहा है।इस प्रक्रिया में  एनेस्थेसिया विभाग की डाक्टर रुचि वर्मा व रेडियोलाजी विभाग के डाक्टर जफर नियाज का विशेष योगदान रहा।

रविवार, 28 अगस्त 2022

एक्यूट पैक्रिएटाइिटस का मिला दुश्मन : पित्ताशय स्टोन और शराब पैंक्रियाज का दुश्मन

 


एक्यूट पैक्रिएटाइिटस का मिला दुश्मन

पित्ताशय स्टोन और शराब पैंक्रियाज का दुश्मन

मोटापा भी बढ़ा रहा है खतरा

पहली बार हुई इस बीमारी के कारण और रिस्क फैक्टर पर शोध




एक्यूट पैक्रिएटाइटस के कारण का पता लगाने में विशेषज्ञों ने कामयाबी हासिल की है। इस परेशानी से ग्रस्त 120 लोगों पर शोध के बाद देखा गया कि मोटापा, अधिक संख्या( हेमेटोक्रिट) में लाल रक्त कणिकाएं और सी रिएक्टिव प्रोटीन का बढ़ा स्तर परेशानी की आशंका को बढ़ाता है। अल्कोहल और पित्ताशय में स्टोन इस परेशानी का सबसे बड़ा कारण सामने आया है। इस परेशानी से बचने के लिए पित्ताशय स्टोन का सही समय पर इलाज कराना चाहिए। शराब के सेवन नहीं करना चाहिए। इसके साथ ही रिस्क फैक्टर में मोटापे पर नियंत्रण रखने की जरूरत है। यह परेशानी 14 से 60 आयु वर्ग के बीच किसी को हो सकती है। सबसे अधिक 41 से 60 आयु वर्ग के बीच देखी गयी है। 50 फीसदी लोगों में सीवियर एक्यूट पेनक्रिएटाइटिस  परेशानी होती है। सही समय पर सही मैनेजमेंट न होने पर मल्टी ऑर्गन फेल्योर की स्थिति आ सकती है। इस शोध को विश्व स्तर पर स्वीकार करते हुए एनल आफ अफ्रीकन मेडिसिन जर्नल ने स्वीकार किया है। इस परेशानी में पेट में तेज दर्द, उल्टी, मचली की परेशानी होती है। पुरुषों में यह परेशानी महिलाओं से अधिक देखी गयी है।

इन्होंने ने किया शोध

किंग जार्ज मेडिकल विवि के मेडिसिन विभाग के डा.एमएल पटेल, डा. वीरेंद्र आतम, डा. हरीश भारती, जियाट्रिक मेडिसिन के डा. राधेश्याम, गायनोकोलॉजी से डा.रेखा सचान और रेडियोलॉजी विभाग के डा. अनित परिहार में यह शोध किया ।


किसमें कितना

पुरुष- 73.73 फीसदी

महिला- 26.66 फीसदी

कारण

अल्कोहल- 70.8 फीसदी

पित्ताशय में पथरी-20.8 फीसदी

अज्ञात कारण- 4.1 फीसदी

रिस्क फैक्टर

बॉडी मास इंडेक्स- 25 से अधिक

हेमाटोक्रिट- 44 फीसदी से अधिक

सी रिएक्टिव प्रोटीन- 150 मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक


किस उम्र में परेशानी

14 से 40- 31.66 फीसदी

41 से 60- 51.66

60 से अधिक- 16.66

 

क्या है एक्यूट पैक्रिएटाइटस

एक्यूट पेनक्रिएटाइटिस  (तीव्र अग्नाशयशोथ) एक ऐसी स्थिति है जहां अग्न्याशय( पैंक्रियाज) में  थोड़े समय के लिए सूजन हो जाता है । अग्न्याशय (पैंक्रियाज) पेट के पीछे स्थित एक छोटा अंग है, जो पाचन में मदद करता है। तीव्र अग्नाशयशोथ वाले अधिकांश लोग लगभग एक सप्ताह के भीतर  बेहतर महसूस करने लगते हैं। इस दौरान दर्द निवारक दवाएं दी जाती है। कई बार पैंक्रियाज से निकलने वाली डक्ट में रुकावट होती है जिसे दूर दिया जाता है। पेनक्रिएटाइटिस की स्थिति में एमाइलेज और लाइपेज एंजाइम  का स्तर रक्त में बढ़ जाता है।   कुछ भी खाने या पीने से दर्द बढ़ जाता है।

सोमवार, 22 अगस्त 2022

निकला त्वचा और टेंडन  सही कर दिया पंजा

 निकला त्वचा और टेंडन  सही कर दिया पंजा





सांप ने काटा बना घाव और बंद हो गई उंगली की गति

 

25 वर्षीय सुमिता को सांप ने काट लिया । एंटी स्नेक इंजेक्शन लगने के बाद उसकी जान तो बच गयी लेकिन कलाई के निचले हिस्से में घाव हो गया तो बढ़ता ही जा रहा था। तमाम इलाज के बाद भी घाव ठीक नहीं हो रहा था। इसके साथ ही ऊंगलिया भी चलनी बंद हो गयी। घर वाले इनको लेकर संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में लेकर आए तो विभाग के प्रमुख प्रो. राजीव अग्रवाल ने देखा तो पतला चला  कि सांप के जहर से घाव के साथ ऊंगलियों को गति देने वाले टेंडन भी क्षति ग्रस्त हो गए है। त्वचा के ठीक नीचे टेंडन होता हैत्वचा के ठीक नीचे टेंडन होता है। त्वचा के क्षति ग्रस्त होने पर टेंडन की आशंका काफी हद तक रहती है। विशेष ड्रेसिंग से पहले घाव को ठीक किया। रेडियल आर्टरी फोर आर्म फ्लैप के जरिए टेंडन को ठीक किया। प्रो. राजीव के मुताबिक पहले सूखे टेंडन को निकाल फिर फोर आर्म( कलाई और कुहनी के बीच ) से त्वचा और टेंडन लेकर धाव के वाले हिस्से में रोपित किया। अब उंगलियां मुडने लगी है। घाव पूरी तरह ठीक हो गया है। प्रो. राजीव ने बताया कि 5 अगस्त 2022 को एक 25 साल कि युवती जिसको सांप ने काटा हुआ था ओ0पी0डी0 में दिखाने आयी थी


यह बिहार के एक छोटे से गाँव मीनापूर, जिला - मुजफ्फरपूर कि रहने वाली है। इसने बताया 24 जुलाई 2022 कि रात को जब वह सो रही थी, तब सांप ने दायें हाथ पर डस लिया। डसने के तुरंत बाद हाथ मे  अत्यधिक दर्द,सूजन और जलन हो गयी। आस-पास के त्वचा के रंग मे  भी बदलाव आ गया, और साथ हीं साथ बुखार,उल्टी,सिर दर्द एवं कंपकपी लगने लगी। उसके बाद उसके मुहं से झाग निकलने लगा और वो बेहोश हो गयी। घर पर उसका प्राथमिक इलाज जो भी उपलब्ध था उसे किया गया एवं घर के लोग  ने हाथ के उपर के हिस्से पर कस के कपड़ा बांध दिया। पी0एस0सी0 से उसे जिला अस्पताल रेफर किया गया, जहां पर एन्टीवेनम दिया गया । एन्टीवेनम देने के बाद होश आ गया। इसके कुछ दिनों के बाद रोगी सर्पदंश से ठीक हो गयी, लेकिन उसके हाथ का घाव बढता गया। उंगलिया चलनी बंद हो गयी थी। निश्चेतना विशेषज्ञ प्रो. संजय कुमार और प्लास्टिक सर्जरी विभाग के डा. भूपेश ने विशेष योगदान रहा।    

सांप काटे तो क्या करें क्या न करें

- तुरंत डॉक्टर को फोन करें एवं अस्पताल ले जाने कि तैयारी करें।

-. रोगी को जमीन पर आराम की अवस्था में  लेटा दें।

- सांप काटने के घाव को पानी एवं साबुन से धोयें।

- अंगुठी,घडी़,चूड़ी इत्यादी पहने हो तो उसे निकाल दें।

- कटे वाले भाग को स्थिर रखे  एवं ज्यादा चलायें नही, और

एक खपची बांध दें।

-. टूनिकेट(रक्त बंद ना लगाएं) - डसे हुए हिस्से के आगे या ऊपर कोई

कपड़ा या रस्सी ना बांध ।

- सर्पदंश के घाव को चाकू से ना काटें।

- सर्पदंश के घाव को मुंह से ना चूसें

-. सर्पदंश के रोगी को दर्द निवारक दवा भी ना दें।

गुरुवार, 11 अगस्त 2022

विशेष एंजियोप्लास्टी तकनीक से पीजीआई ने दिल को किया दुरूस्त -ओसीटी और इंट्रावैस्कुलर इमेजिंग के जरिए मुख्य धमनी की दूर की गई रुकावट

 विशेष एंजियोप्लास्टी तकनीक से पीजीआई ने दिल को किया दुरूस्त  

 


ओसीटी और इंट्रावैस्कुलर इमेजिंग के जरिए मुख्य धमनी की दूर की गई रुकावट

 



एक 60 वर्षीय पुरुष के मुख्य धमनी में दो जगह रुकावट को दूर करने में कामयाबी संजय गांधी पीजीआई के हृदय रोग विशेषज्ञों ने हासिल की है। इस जटिल कोरोनरी इंटरवेंशन तकनीक का सजीव प्रसारण भी कार्डियोलॉजी इंडिया साउथ एशिया के अधिवेशन में किया गया। इसका आयोजन हैदराबाद में किया गया हो रहा था। 60 वर्षीय पुरुष मुख्य कोरोनरी धमनी के लेफ्ट एंटीरियर डिसेंडिंग और सीएक्स आर्टरीज में  में ब्लॉकेज थी। इस रुकावट को दूर करने में विभाग के प्रमुख  प्रो.  आदित्य कपूरप्रो सत्येंद्र तिवारीप्रो सुदीप कुमारप्रो. रूपाली खन्ना प्रो.  अंकित साहू शामिल थे। विशेषज्ञों ने बताया कि  नवीनतम कोरोनरी इमेजिंग का मार्गदर्शन लेते हुए एक कोरोनरी एंजियोप्लास्टी की गई। इस केस में  इंट्रावैस्कुलर इमेजिंग और ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी का उपयोग किया गया।

इन इमेजिंग तकनीक  उपयोग से कोरोनरी एनाटॉमीप्लाक संरचना और कोरोनरी वैस्कुलर को चित्रित करने में मदद मिलती है जो साधारण कोरोनरी एंजियोग्राफी द्वारा नहीं देखे जाते हैं।प्रो सत्येंद्र तिवारी ने बताया कि इस मरीज में रणनीति तय हो जाने के बाद पहले सीएक्स आर्टरी  में स्टेंट डालकर ठीक किया गया। इसके बाद मुख्य धमनी यानी लेफ्ट मेंन  कोरोनरी धमनी में स्टेंट डाले गए।

 

कैसा स्टंट होगा कारगर पहले लगता है पता

 

 प्रो सुदीप कुमार ने बताया कि प्लानिंग  ऐसे मामलों में सफलता की कुंजी है क्योकि अक्सर ऐसे मामले  में कोरोनरी धमनियों में कई वायर और बैलून डालने पड़ते है । डॉ रूपाली खन्ना ने कहा कि इन स्थितियों में आईवीयूएस या ओसीटी का उपयोग करके इमेजिंग न केवल आवश्यक है,  अपितु स्टेंट आकार को समझने के लिए अनिवार्य भी है।

 

नई इमेजिंग तकनीक से मिलती सफलता का लगता है पता

 प्रो. अंकित साहू ने बताया कि इमेजिंग  से पता चलता है कि  क्या स्टेंट अच्छी तरह से लगाया गया और कोरोनरी धमनी की दीवार पर पर सही से फूल गया की नहीं। ओसीटी द्वारा एक अंतिम इमेजिंग विश्लेषण किया गया था ताकि स्टेंट के सारे डायमेंशन और मेजरमेंट लिए जा सकते हैं।