सोमवार, 3 जनवरी 2022

70 से 90 फीसदी तक ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी बूस्टर डोज

 70 से 90 फीसदी तक ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी बूस्टर डोज



कई देशों में लगे बूस्टर डोज की स्टडी में सामने आया


कोरोना और उसके बदले स्वरूप( ओमिक्रोन) ले लड़ने में कोरोना टीके का बूस्टर डोज 70 से 90 फीसदी तक प्रभावी साबित हो सकता है। कई देशों में लगे बूस्टर डोज के नतीजे देखने के बाद शरीर प्रतिरक्षा वैज्ञानिकों का कहना है कि हाई रिस्क ग्रुप में बूस्टर डोज लगवाने से काफी राहत मिलेगी खास तौर पर फ्रंट लाइन वर्कर के आलावा बुजुर्गों में। किंग जार्ज मेडिकल विवि की शऱीर प्रतिरक्षा विशेषज्ञ डा. पंक्ति मेहता के मुताबिक कई देशों में शोध के आधार पर हम कह सकते है कि बूस्टर डोज बचाव में काफी कारगर होगा। फाइजर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को लेकर की गई स्टडी में सामने आया था कि दूसरा डोज लगवाने के 2 हफ्ते तक वैक्सीन इन्फेक्शन को रोकने में 90 फीसदी कारगर हैलेकिन 5 महीने बाद केवल 70 फीसदी तक कारगर रहती है।   बायोटेक की सीनोवैक के स्टडी के अनुसार ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ तीसरा वैक्सीन डोज 94 फीसदी प्रभावशाली है। कुल 68 लोगों पर स्टडी की थी जिसमें से 20 ने सिर्फ दो डोज लिए थेजबकि 48 ने तीन डोज लिए थे। पहले समूह के 7 लोगों में और दूसरे समूह के 45 लोगों में ओमिक्रॉन के खिलाफ एंटीबॉडी डेवलप हुई।

  

 

 

पिछले दो डोज से अलग हो सकती है तीसरी डोज

जिस वैक्सीन के दो डोज लगवा चुके हैंउन्हें तीसरा डोज अलग कंपनी का लग सकता है यानी अगर आपने दो डोज को वैक्सिन के लगाए हैं तो तीसरा डोज कोवीशील्ड का लग सकता है। संभावना है कि तीसरा डोज किसी नई कंपनी की वैक्सीन से लगाया जाए। दूसरे डोज और बूस्टर डोज के बीच 9 महीने से 12 महीने के बीच का गैप रह सकता है। को वैक्सिन और कोवीशील्ड की वैक्सीन लगाई जा रही हैं।  15 से 18 साल के बच्चों को वैक्सीन लगाई जानी है। 

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