पीजीआई 38 वां स्थापना दिवस समारोह
आशा को कैंसर के जल्दी पहचान में बनाए भागीदार जल्द पकड़ में आएगा
आशा को ट्रेंड कर प्राइमरी स्क्रीनिंग में किया शामिल मिला अच्छा परिणाम- डा. रवि
जागरण संवाददाता। लखनऊ
कैंसर के 80 फीसदी मामले कैंसर के तीसरे और चौथे स्टेज में आते है ऐसे में इलाज की सफलता प्रभावित होती है। कैंसर का इलाज में जल्दी पहचान और जागरूकता मुख्य है। इस काम में आशा की भूमिका काफी अहम साबित हो सकती है। कछार कैंसर अस्पताल एवं अनुसंधान संस्थान के निदेशक पद्मश्री डा. रवि कानन ने संजय गांधी पीजीआई के 38 वें स्थापना दिवस के मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में कहा कि हमने आशा की मदद को लेकर ग्रामीण इलाकों में कैंसर की जल्दी पहचान को लेकर परियोजना बनायी जिसमें काफी सफलता मिली। प्रो. कानन ने बताया कि 1360 पुरुष की मुंह, गले कैंसर के स्क्रीनिंग किया जिसमें 6.93 फीसदी में कैंसर की आशंका मिली इन्हें आगे पुष्टि के लिए पीएचसी पर भेजा गया। इसी तरह 3079 महिलाओं का आशा ने स्तन कैंसर, सर्विक्स कैंसर के लिए स्क्रीनिंग किया जिसमें 11.5 फीसदी में आशंका मिली। ह्यूमन पैपिलोमा वायरस जो सर्विक्स कैंसर का कारण साबित होता है इसके लिए 1160 महिलाओं की स्क्रीनिंग की गयी जिसमें 146 में पॉजिटिव मिला। प्रो. कानन ने कहा कि हमारा यह प्रोजेक्ट देश के दूसरे भाग में भी कैंसर के जल्दी पहचान और जागरूकता में उपयोगी साबित हो सकता है। 1.29 करोड़ की स्क्रीनिंग की गयी तो कैंसर के आलावा 8 फीसदी लोगों में डायबिटीज और 12 फीसदी उच्च रक्तचाप का पता लगा। यह कह सकते है कि प्राइमरी स्क्रीनिंग मॉडल को लागू कर नान कम्युनिकेबल डिजीज और कैंसर का पता जल्दी लगाकर जल्दी इलाज शुरू किया जा सकता है। डा. कानन ने कहा कि जल्दी कैंसर की पुष्टि और इलाज भी पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इस मौके पर संस्थान में कर्म रक्तदान किया गया। फल वितरण , वृक्षारोपण सहित अन्य कार्यक्रम हुए। डीन प्रो. अनीश श्रीवास्तव, सीएमएस प्रो. गौरव अग्रवाल समेत संस्थान के कई अधिकारी और संकाय सदस्य शामिल हुए।
बाद कोविड में कई देशों से अच्छा काम - आरके तिवारी
मुख्य सचिव एवं संस्थान के अध्यक्ष आरके तिवारी ने कहा कि 1.5 साल हम लोगों को कोविड के कारण बहुत ही जटिल रहा लेकिन कम संसाधन के बाद भी सामूहिक प्रयास से हम लोगों ने कोरोना पर विजय हासिल किया। कई देशों के मुकाबले बेहतर काम किया। । मुख्य सचिव डा. आरके तिवारी ने एवार्ड विजेताओं को सम्मानित किया। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने संस्थान के प्रगति को सराहा।
इमरजेंसी मेडिसिन में होगी सुपरस्पेशियलिटी पढाई
निदेशक प्रो.आरके धीमन ने बताया कि इमरजेंसी मेडिसिन और आप्थेलमी में सुपरस्शिएलटी डीएम पाय़क्रम शुरू करने जा रहे है। इसका प्रस्ताव पास हो गया है। इसके आलावा रेडियो फार्मेसी में एमएससी शुरू होगा। इसके अलावा टेली आईसीयू के लिए काम चल रहा है। इस सिस्टम से प्रदेश से पुराने 6 मेडिकल कॉलेजों को जोडा जाएगा इससे वहां के लोगों को वहीं पर विशेष इलाज देना संभव होगा। यह देश का पहला मॉडल होगा।
हर कैंसर के नए मामले- 1157294
कैंसर के कारण हर साल मृत्यु- 784821
सर्जरी के दौरान पीटीएच हार्मोन की जांच से कैल्शियम की कमी का भविष्यवाणी संभव- प्रो. अमित अग्रवाल
एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. अमित अग्रवाल के शोध को बेस्ट पेपर एवार्ड मिला है। गले में स्थित पैरा थायरायड ग्रंथि के सर्जरी के दौरान यदि पीटीएच हारमोन की जांच की जाए तो पहले से पता लग जाएगा कि किसमें सर्जरी के बाद भी कैल्य़िम की कमी होगी। इन्हें सर्जरी के बाद कैल्शियम पूरक दवाएं देकर इनमें कैल्शियम की कमी को रोका जा सकता है जिनमें कैल्शियम की कमी नही होने की आशंका है उन्हें अनावश्यक रूप से कैल्शियम पूरक नहीं देना पड़ेगा मरीज का पैसा बचेगा। होता है। पैरा थायरायड ग्रंथि में ट्मर होने पर इससे स्रावित होने वाले पीटीएच हरामोन की मात्रा अधिक होने पर होने हड्डी में जमा कैल्शियम निकल कर रक्त में जमा होने लगता है।
सीडी 64 से लिवर सिरोसिस के मरीजों में लगेगा सूजन का पता- प्रो. गौरव पाण्डेय
गैस्ट्रो एन्ट्रोलॉजी विभाग के प्रो. गौरव पाण्डेय को लीवर सिरोसिस के मरीजों में सूजन का कारण पता लगाने में सीडी 64 की भूमिका का पता लगाने के लिए बेस्ट रिसर्च एवार्ड मिला है। इन मरीजों में सूजन का कारण पता लगाए बिना इलाज की दिशा तय करना कठिन होता है। ऐसे में सीडी 64 जांच से एक से दो घंटे में हम पता लगा लेते है कि इंफेक्शन के कारण सूजन( इंफ्लामेशन) है या दूसरे कारण है। इंफेक्शन है तो तुरंत सही एंटीबायोटिक शुरू कर मरीजों को राहत दे सकते है। मरीज में एंटीबायोटिक कितना सूट कर रहा है इसका पता इस जांच से लगता है। इसके साथ यदि सीटी 64 का स्तर कम नहीं हो रहा है तो इससे आभास हो जाता है कि मरीज की स्थित गंभीर होने वाली है पहले से ही हम लोग आगे की प्लानिंग करने में मदद मिलती है।
कार्टीसोल हार्मोन और बच्चों में लीवर सिरोसिस के बीच है संबंध- प्रो. मोइनक सेन शर्मा
लिवर सिरोसिस से ग्रस्त बच्चों में एड्रेनल ग्लैंड से स्रावित होने वाले कार्टीसोल हार्मोन की बीच संबंध खोजने के लिए बेस्ट रिसर्च एवार्ड पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंट्रॉलजी के प्रो.मोइनक सेन शर्मा के मिला है। इस परेशानी से ग्रस्त बच्चों में यदि कार्टीसोल हार्मोन का स्तर कम हो जाता है ऐसे बच्चों में इंफेक्शन की आशंका बढ़ जाती है। लिवर की बीमारी भी गंभीर होने की आशंका रहती है। कुछ बच्चों में इसके कमी के लक्षण आ प्रकट होते है लेकिन 50 फीसदी में लक्षण प्रकट नहीं होते ऐसे में सभी इन बच्चों में इसका स्तर देखना चाहिए। कृत्रिम कार्टीसोल हार्मोन देने के बाद देखा कि इससे इन बच्चों को थोड़ी राहत मिल सकती है।
श्योर तकनीक देगा नवजात को सांस- प्रो. आकाश पंडिता
समय से पहले जन्म लेने वाले नवजात शिशु में सांस लेने में परेशानी को कम करने के लिए श्योर(सर्फेक्टेंट विदाउट इंडोट्रेकियल इंट्यूबेशन) तकनीक विकसित करने के लिए नियोनेटल मेडिसिन विभाग के प्रो. आकाश पंडिता को बेस्ट रिसर्च एवार्ड मिला है। सांस की परेशानी कम करने के लिए कम से कम मिनिमल इन्वेसिव( कम से कम चीरा) लगा कर तकनीक विकसित किया है। इस परेशानी को कम करने के लिए गले में छेद कर इंडो ट्रेकिटल ट्यूब डाला जाता है जिससे नवजात में दर्द से साथ अन्य परेशानी होती है। श्योर तकनीक में देखा है कि अधिक नवजात की जिंदगी बचती है साथ बडे होने पर भी फेफडे की परेशानी कम होती है। इस तकनीक में दर्द कम होता है। 150 बच्चों पर इस तकनीक से इलाज किया है।
ब्रेन की बनावटी खराबी की बीमारी की गंभीरता जानने के लिए भारतीय पैमाना- प्रो. कुंतल कांति दास
ब्रेन की बनावटी खराबी की बीमारी चेयरी मैंन फार्मेशन में कौन सा इलाज सफल रहेगा जानने के लिए शोध करने वाले न्यूरो सर्जन प्रो. कुंतल कांति दास को बेस्ट रिसर्च एवार्ड मिला है। बताया कि इसमें इलाज की तीन तकनीक है । पहले की तकनीक जिसमें उस हड्डी को निकाला जाता है जहां दिमाग( खोपड़ी में पिछले हिस्सा) स्पाइन कार्ड पर प्रेशर डाल रहा होता है। इसके अलावा यह बीमारी की गंभीरता का पता लगाने और सर्जरी की सफलता दर पता स्कोर सिस्टम तैयार किया।
प्लेटलेट्स की कमी का कारण खोजा- डा. वसुंधरा सिंह
डा. वसुंधरा सिंह ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन को रक्त कैंसर के मरीजों में प्लेटलेट्स कम होने के कारणों का पता लगाने के साथ विभाग की गतिविधियों में सहयोग के लिए बेस्ट जूनियर रेजिडेंट का एवार्ड मिला है। बताया कि बढ़ी हुई स्पीन( प्लीहा) और एंटी फंगल इंजेक्शन एम्फोटेरसिन के कारण प्लेलेटस कम हो जाते है जिसके कारण रक्तस्राव की आशंका रहती है। कारण पता कर इस परेशानी से बचाया जा सकता है।
बेस्ट रिसर्च अवार्ड संकाय सदस्य
प्रो. उज्वला घोषाल- माइक्रोबायोलाजी
प्रो. गौरव पाण्डेय- गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
प्रो. मोइनक सेन शर्मा- पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी
प्रो. आकाश पंडिता- नियोनेटल मेडिसिन
प्रो. अमित अग्रवाल- एंडोक्राइन सर्जरी
प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव- न्यूरो सर्जरी
प्रो. कुंतल कांति दास- न्यूरो सर्जरी
प्रो वेद प्रकाश - न्यूरो सर्जरी
डा. एस तिवारी- मॉलिक्यूलर मेडिसिन
डा. खलीकुर्र रहमान- हिमोटोलॉजी
डा. प्रभाकर मिश्रा- बायोस्टेटिक्स
डा. रोहित सिन्हा- एंडोक्राइन
छात्र जिन्हें मिला एवार्ड
डा. अंकित गुप्ता -न्यूरोलॉजी
डा. भरत सिंह- ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन
डा. सौम्या श्रीवास्तव - मेडिकल जेनेटिक्स
रजनी शर्मा - मॉलिक्यूलर मेडिसिन
डा. तृप्ति लोखंडे- ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन
सुष्मिता राय- गैस्ट्रो एन्ट्रोलॉजी
डा. आंचल दत्ता- न्यूरो सर्जरी
डा. वामसीधर - नेफ्रोलॉजी
डा. सी अर्जुनन- ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन
मेधा श्रीवास्तव- मॉलिक्यूलर मेडिसिन
बेस्ट डीएम, एमसीएच, नर्सेज, टेक्नीशियन एवार्ड
बेस्ट डीएम- डा. जे मेयपप्न- नेफ्रोलाजी
बेस्ट एमसीएच- डा. वंदन रायानी- न्यूरो सर्जरी
बेस्ट एमडी- डा. वसुंधरा सिंह- ट्रांसफ्यूनजन मेडिसिन
बेस्ट नर्स- रचना मिश्रा- न्यूरो सर्जरी
ज्योति कुमारी- नियोनेटोलाजी
बेस्ट टेक्नीशियन - धीरज सिंह - एनेस्थेसिया
सुनील तिवारी- ट्रांसफ्यूनजन मिडिसिन