मंगलवार, 14 दिसंबर 2021

रूमेटाइड अर्थराइटिस का टीबी से रिश्ता-सिलिकॉन से बना नर्व देगा शक्ति

 

पीजीआई रिसर्च शोकेस

शोध वैज्ञानिकों ने अपने शोध किया प्रस्तुत

    


रूमेटाइड अर्थराइटिस का टीबी से रिश्ता- प्रो.अमिता अग्रवाल

संजय गांधी पीजीआई के क्लीनिकल इण्यूनोलाजी विभाग की प्रमुख प्रो. अमिता अग्रवाल ने रिसर्च शो केस मे शोध का खुलासा करते हुए बताया कि रूमेटाइड अर्थराइटिस और टीबी बैक्टीरिया( माइकोबैक्टीरियम) के बीच रिश्ता है। देखा कि रूमेटाइड अर्थराइटिस से 30 फीसदी मरीजों में टीबी बैक्टीरिया का सामना( एक्सपोजर) हुआ है जबकि इन्हें टीबी नहीं हुई । यह भी देखा कि इनमें टी सेल के अधिक क्रियाशील होने पर रूमटायड अर्थराइटिस की बीमारी भी बढ़ जाती है। आगे देखेंगे कि जिनको टीबी हुई उनमें रूमेटाइड अर्थराइटिस होने की कितनी आशंका है। एक और शोध में बताया कि बच्चों में रूमेटाइड अर्थराइटिस की परेशानी है तो बडे होने पर 60 फीसदी लोगों में बीमारी गंभीर हो सकती है। इनके कूल्हे में अधिक परेशानी होती है। इनमें डिजीज मॉडिफाइड दवाओं की डोज बढानी पड़ सकती है।    

 

सिलिकॉन से बना नर्व देगा शक्ति- प्रो. अंकुर भटनागर – प्रो. अरुण श्रीवास्तव

 

नर्व से दिमाग के सूचना जाती है कि किस अंग का क्या करना है। कई बार चोट या दूसरे कारणों से नर्व क्षति ग्रस्त हो जाती है जिससे अंग सही तरीके से काम नहीं कर पाते है। नर्व को कई मामलों में रिपेयर करते है लेकिन कई बार नर्व रिपेयर योग्य नहीं रहती है ऐसे में कृत्रिम नर्व लगाना पड़ता है जिसे विदेश से मंगाया जाता है जिसकी कीमत 30 हजार के आस-पास होती है।  संजय गांधी पीजीआई के प्लास्टिक सर्जन प्रो. अंकुर भटनागर और न्यूरो सर्जन प्रो. अरुण कुमार श्रीवास्तव सिलिकॉन से नर्व बना कर इसका चूहे में परीक्षण किया है। देखा कि सिलिकॉन से बनी नर्व चूहे में विकसित हो रही है। इस परीक्षण के परिणाम में रिसर्च शो केस में रखा गया। इसके बाद इस नर्व का परीक्षण में भी किया जाएगा। यह नर्व की कीमत 5 सौ से भी कम पडेगी।           

 

 

न्यूट्रोफिल लिम्फोसाइट अनुपात बताएगा कोरोना कितना करेगा गंभीर- डा. आशुतोष

संस्थान ट्रामा सेंटर के लैब मेडिसिन के डा. आशुतोष  सिंह ने कोरोना से प्रभावित 240 मरीजों पर शोध करके बताया कि सामान्य हेमेटोलॉजिकल जांच के लिए कोरोना संक्रमित कितना गंभीर होगा इसका काफी हद तक अंदाजा लगा कर पहले से इलाज की तैयारी की जा सकती है। न्यूट्रोफिल लिम्फोसाइट अनुपात यदि 5.2 से अधिक हो रहा है   और न्यूट्रोफिल मोनोसाइट अनुपात 12.1 से अधिक हो रहा है  तो बीमारी की गंभीरता बढ़ने की पूरी आशंका है। हमने कोरोना संक्रमित इन मरीजों का पहले दिन, भर्ती होने के चार –पाच दिन बाद और डिस्चार्ज होने के पहले तीन बार रक्त का नमूना लेकर ब्लड पिक्चर जो सामान्य जांच कराया जिसके आधार पर इस तथ्य का पता लगा।

 

एटेक्सिया का परीक्षण कम पैसे में होगा संभव- डा.संदीप

 

तंत्रिका तंत्र की बीमारी एटेक्सिया का पता लगाने के लिए संजय गांधी पीजीआई के मेडिकल जेनेटिक्स विभाग के डा. संदीप कुमार सिंह ने टीपी –पीसीआऱ तकनीक स्थापित किया है। 18 मरीजों में इस तकनीक से परीक्षण का रिपोर्ट शो केस में रखा। इस तकनीक के जरिए बीमारी के कारण सभी जीन में म्यूटेशन का पता लगाते है। अभी तक यह परीक्षण बाहर से कराया जाता रहा है जिसमें 25 से 30 हजार का खर्च आता है अब इस तकनीक से संस्थान में ही जांच संभव हो सकेगा जिसमें 10 से 12 हजार का खर्च जाएगा।  बीमारी के लिए 10 जीन में से किसी में भी म्यूटेशन हो सकता है। टिपलेट रिपीट पीसीआर तकनीक इसमें उपयोगी है। एटेक्सिया तंत्रिका तंत्र की  बीमारी है।  हाव-भाव, अस्पष्ट उच्चारण, बार-बार ठोकर लगना, गिरना और खुद पर संयम नहीं रख पाना इत्यादि हो सकता है।  इस तरह के लक्षण सेरिबेलम के क्षतिग्रस्त होने के कारण होते हैं, यह मस्तिष्क का वह हिस्सा होता है, जो व्यक्ति की एक्टिविटीज के लिए उत्तरदायी होता है। 



बढा शोध का बजट


संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने बताया कि इस साल इंट्रा

 म्यूरल रिसर्च के शोध का बजट दो करोड़ की बढ़ोतरी की गयी है।

 इससे संस्थान के संकाय सदस्य को शोध का और मौका मिलेगा।

 पहले तीन करोड़ का बजट था जिसे पांच करोड़ किया गया है।  


पीजीआइ में बनेगा मेडिकल उपकरण 

चिकित्सा से जुडे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और तकनीक के विकास के लिए संजय गांधी पीजीआइ और केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इंफॉर्मेटिक्स विभाग के बीच करार हुआ है। इसके तहत बनने वाले मेडिकल सेंटर फार एक्सीलेंस का काम शुरू हो जाएगा। इस योजना से देशी तकनीक पर आधारित मेडिकल उपकरण कम कीमत पर देश के लिए उपलब्ध कराने के लिए शोध संभव होगा। चिकित्सा क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिक उपकरण वेंटीलेयर, मानीटर, सर्जरी के लिए तमाम उपकरण की जरूरत होती है।तमाम उपकरणों से लिए विदेश पर निर्भर रहना पड़ता है। 


रक्तदान का आयोजन


स्थापना दिवस के मौके पर 10 बजे से एक बजे तक स्वैछिक रक्तदान का आयोजन संस्थान के ब्लड डोनेशन कांपलेक्स में किया गया है। विभाग ने जीवन की रक्षा के लिए रक्तदान का अपील किया है।   


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें