मंगलवार, 13 अक्टूबर 2015

एंकलाइजिंग स्पांडिलाइटिस के मरीजों में अधिक है दिमाग और दिल का खतरा

एएस के मरीजों में अधिक है दिमाग और दिल का खतरा
पीजीआई के एल्यूमिनाइ  ने विश्व स्तर पर दिखायी प्रतिभा
पहली बार एक लाख से अधिक लोगों पर हआ शोध
कुमार संजय। लखनऊ
संजय गांधी पीजीआई से शिक्षा हासिल करने वाले विशेषज्ञ  ने विश्व स्तर पर  क्लीनिकल शरीर प्रतिरक्षा विज्ञान के क्षेत्र में बड़ी कामयाबी हासिल की है। डा.निजिल हारून संस्थान के क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग से डाक्ट्रेट आफ मेडिसिन इन क्लीनिकल इम्नोलाजी की डिग्री हासिल करने बाद यह टोरेंटो कनाडा में शोध करने चले गए। डा.हारून ने एंकलाइजिंग स्पोंडलाइटिस(एएस) बीमारी पर लंबे समय तक शोध करने बाद साबित किया है कि इस बीमारी के लोगों में ब्रेन स्ट्रोक की आशंका 60 फीसदी और  हार्ट एटैक की आशंका 35 फीसदी सामान्य लोगों को मुकाबले अधिक होती है। अब तक सबसे अधिक मरीजों अर सामान्य लोगों पर सबसे बड़ा शोध है। डा.हारून ने बताया कि 21427 मरीज एवं 86606 सामान्य लोगों पर शोध किया इस तरह देखा जाए तो कुल एक लाख से अधिक लोगों पर यह शोध हुआ है। इससे इस शोध की अहमियत विश्व स्तर पर अर अधिक बढ़ गयी है। इस शोध को 17.8 इंपैक्ट वाले एनल्स आफ इंटरनल मेडिसिन ने स्वीकार किया है। डा.हारून के गुरू संस्थान के क्लीनिकल इम्यूनोजाली विभाग के प्रमुख प्रो.अरएन मिश्रा ने कहा कि इससे संस्थान का मान विश्व स्तर पर बढ़ा है। इस शोध से एंकलाइजिंग स्पोनडलाइटिस बीमारी के मरीजों को सर्तक कर दोनों परेशानियों से बचाया जा सकेगा।  

क्या है एंकलाइजिंग स्पांडिलाइटिस

 शरीर प्रतिरक्षा विज्ञानीयों के मुताबिक  एंकलाइजिंग स्पांडिलाइटिस रीढ़ की हड्डी की बीमारी है। इस बीमारी से प्रभावित मरीज के रीढ़ की हड्डी में दर्द व खिचाव रहता है। कभी-कभी यह अन्य जोड़ो आंख व दिल को प्रभावित कर सकता है। इस बीमारी का कारण नहींं पता है। ६६ प्रतिशत मरीजों में बीमारी का करण एचएलए-बी-२७ देखा गया है। यह एक जंम जात एंटीजन है जो कोशिकाओं पर पाया जाता है। यह बीमारी १५ से २५ वर्ष की आयु में शुरु होती है। लेकिन दर्द इतना हल्का होता है कि व्यक्ति को इसका अधिक एहसास नहींं होता। इस बीमारी के चपेट में अधिकतर पुरुष ही आते हैं। २५ प्रतिशत मरीजों में उनके परिवार के सदस्य इस बीमारी से प्रभावित होते हैं। उन्हों ने बताया कि पीढ़ का सभी दर्द एस्प नहीं होता। एस्प का दर्द महीनों व सालों तक बना रहता है। इस बीमारी से प्रभावित लोगों में प्रात:काल उठने पर पीठ में अकडऩ रहती है जो धीरे-धीरे कम हो जाती है। लंबे समय कत बैठे रहने पर दर्द बढ़ जाता है। व्यायाम करने पर दर्द कम हो जाता है।  लंबे समय तक बीमारी के साथ रहने पर हिप व कूल्हे का जोड़ २५ से ३० प्रतिशत लोगों में प्रभावित हो सकता है। ५० प्रतिशत लोगों की आंख प्रभावित हो सकती है। आंख में लालपन,दर्द व धुंधला दिखाई पडऩे की परेशानी हो सकती है।  पांच प्रतिशत मरीजों का दिल प्रबावित हो सकता है। संजय गांधी पीजीआई के प्रो. आर.एन.मिश्रा ने बताया कि इस बीमारी के इलाज व परीक्षण की विशेषज्ञता यहां पर उपलब्ध है। दवाओं के जरिए बीमारी के प्रभाव को कम किया जा सकता है। 



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