मंगलवार, 13 अक्तूबर 2015

दस साल में 66 फीसदी बढ़ा है एटीबाय़ोटिक का इस्तेमाल

11 एंटीबायोटिक गोली खाता है देश के एक व्यक्ति

दस साल में 66 फीसदी बढ़ा है एटीबाय़ोटिक का इस्तेमाल

वर्ल्ड एंटीबायोटिक रिपोर्ट 2015 का खुलासा

भारत सहित विश्व के 69 देशों के आकड़ों पर जारी हुई रिपोर्ट

 कुमार संजय। लखनऊ
सर्दी , जुखाम में एंटीबायोटिक खाने की बढ़ती प्रकृति के कारण बीते दस साल में एंटीबायोटिक का इसतेमाल देश  में 66 फीसदी तक बढ़ा है दूसरे देशों के मुकाबले काफी अधिक है। भारत में 11 एंटीबायोटिक पिल्स एक व्यक्ति इस्तेमाल करता है जो तमाम विकासशील देशों के अधिक है। इतना ही नहीं देश में  लगभग 1300 करोड़ एंटीबायोटिक्स पिल्स प्रतिवर्ष प्रयोग में ली जाती हैं। चीन में 1000 करोड़वहीं अमरीका में यह आंकड़ा 700 करोड़ सालाना है। इस तथ्य का खुलासा हाल में जारी सेंटर फाऱ डिजीज डायनमिक्स , इकोनामिक एंड पालसी ने वर्ल्ड एंटीबायोटिक्स रिपोर्ट 2015 में हुआ है । पिछले दस साल में एंटी बायोडिक के इस्तेमाल पर विश्व के 69 देंशों से डाटा कलेक्शन के अधार पर यह रिपोर्ट तैयार की गयी है जिसमें भारत भी शामिल है। बताया गया है कि बीतेहै। संजय गांधी पीजीआई की माइक्रोबायलोजिस्ट प्रो.उज्वला घोषाल कहती है कि एंटीबायोटिक्स के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल से भारत में लोगों की रोगप्रतिरोधक क्षमता पर भी बुरा असर पड़ा है। देश के लोगों ने इतनी एंटीबायोटिक ले ली हैं कि उनके शरीर में रेजिस्टेंट पैदा होने से अब एंटीबायोटिक्स ने काम करना बंद कर दिया है। ऐसे में छोटी-छोटी परेशानियां बड़ी समस्याओं का रूप ले रही हैं। देश में 80 फीसदी संक्रामक रोग वायरस से होते हैंऐसे में एंटीबायोटिक्स की जरूरत नहीं होती।

80 फीसदी लोगों में नही होती एंटीबायोटिक की जरूरत

मेडिकल साइंस के अनुसार एंटीबायोटिक केवल उन्हीं रोगों में दी जानी चाहिएजो बैक्टीरिया या अन्य परजीवी (वायरस के अलावा) के कारण होते हैं। देश में 80 फीसदी संक्रामक रोग वायरस से होते हैं। ऐसे में एंटीबायोटिक की जरूरत ही नहीं होती। वायरस से होने वाले रोगों में एंटीबायोटिक देना वाकई खतरनाक है। इसके अधिक प्रयोग से शरीर में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया भी खत्म हो जाते हैं और शरीर जल्दी-जल्दी संक्रमण की चपेट में आने लगता है। बिना जरूरत के एंटीबायोटिक की हैवी डोज देने से शरीर में रेजिस्टेंट बैक्टीरिया पनपने लगते हैं। इन पर किसी भी तरह की एंटीबायोटिक का असर नहीं होता।

डायबिटीज का खतरा
बुखारखांसी या जुकाम होने पर एंटीबायोटिक्स से परहेज करना चाहिए। इनका बार-बार इस्तेमाल करने से डायबिटीज का खतरा53 फीसदी तक बढ़ जाता है। दुनियाभर में  सबसे ज्यादा डायबिटीज के मरीज भारत में हैं। ऐसे में हमें एंटीबायोटिक्स पर काफी गंभीरता से विचार करना होगा।

मेटाबॉलिज्म असंतुलित
शोधकर्ताओं के मुताबिक एंटीबायोटिक्स से पेट में बैक्टीरिया की संख्या व उसका स्वरूप बदल जाता है। इसका लगातार प्रयोग करने से मेटाबॉलिज्म असंतुलित हो जाता है। एंटीबायोटिक्स की वजह से अच्छे बैक्टीरिया की संख्या कम हो जाती है व खराब बैक्टीरिया की संख्या बढऩे से पेनक्रियाज का संतुलन बिगड़ जाता है और डायबिटीज का खतरा बढऩे लगता है।


बैक्टीरिया और वायरस में अंतर
बैक्टीरिया सजीव होते हैं। ये अच्छे और बुरे दोनों तरह के पाए जाते हैं। बुरे बैक्टीरिया शरीर में रोग पैदा करते हैं। जरूरत से ज्यादा एंटीबायोटिक इस्तेमाल करने से अच्छे बैक्टीरिया भी खत्म हो सकते हैं। निमोनियासाइनस इन्फेक्शनब्रॉन्काइटिस और स्किन इन्फेक्शन बैक्टीरिया की वजह से होते हैं। डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक लें। सामान्य सर्दीएलर्जीफ्लू जैसी परेशानियां वायरस के कारण होती हैं। वायरस पर एंटीबायोटिक का असर नहीं होता। इसलिए इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने किया आगाह
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आगाह किया है कि एंटीबायोटिक्स के ज्यादा इस्तेमाल से दवाओं के प्रति प्रतिरोध बढ़ रहा है जिससे इलाज विफल हो रहे हैं। यह प्रतिरोध जटिल सर्जरी और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों के प्रबंधन को भविष्य में ज्यादा मुश्किल बना सकता है। ऐसे में भारत और साउथ-ईस्ट एशियाई देश के लोगों की सेहत के सामने मौजूद इस खतरे पर तुरंत ध्यान देने की जरूरत है।

इन बातों का रखें खयाल
घर में एंटीबायोटिक दवाएं रखने से परहेज करें। कोई भी दवा विशेषज्ञ की सलाह से ही लें।  डॉक्टर से एंटीबायोटिक के बारे में सारी शंकाओं का समाधान करा लें। एक्सपायरी दवा का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। अपने पास रखी पुरानी पर्ची पर लिखी गई दवाओं को अपनी मनमर्जी से न लें।  
विशेषज्ञ की राय
एंटीबायोटिक के प्रयोग को कम करने के  लिए प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत बनाए रखना जरूरी है। संतुलित आहारनियमित व्यायाम व पर्याप्त पानी पीने जैसी आदतें अपनाकर इसके प्रयोग को कम कर सकते हैं। हर रोग में एंटीबायोटिक की जरूरत नहीं होती इसलिए कोई भी दवा डॉक्टरी परामर्श से ही लें।
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