सोमवार, 21 सितंबर 2015

मच्छर ढा रहे इंसेफ्लाइटिस का कहर

मच्छर ढा रहे इंसेफ्लाइटिस का कहर
बरसात के मौसम में दिमागी बुखार यानी इंसेफ्लाइटिस का कहर शुरू हो जाता है। इसमें जापानी इंसेफ्लाइटिस और एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम नामक दो बीमारियां होती हैं। दोनों को ही सामान्य भाषा में इंसेफ्लाइटिस कहा जाता है। इंसेफ्लाइटिस के सबसे अधिक शिकार तीन से 15 साल के बच्चे होते हैं। संजय गांधी पीजीआइ के तंत्रिका तंत्र विशेषज्ञ प्रो.संजीव झा कहते है कि यह बीमारी जुलाई से दिसंबर के बीच फैलती है। सितंबर-अक्टूबर में बीमारी का कहर सबसे ज्यादा होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि जितने लोग इंसेफ्लाइटिस से ग्रसित होते हैं, उनमें से केवल 10 प्रतिशत में ही दिमागी बुखार के लक्षण जैसे झटके आना, बेहोशी और कोमा की स्थिति आती है। इनमें 50 से 60 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है। बचे हुए मरीजों में से लगभग आधे लकवाग्रस्त हो जाते हैं। उनकी आंख और कान ठीक से काम नहीं करते हैं। जिंदगी भर दौरे आते रहते हैं। मानसिक अपंगता होती है।
पंद्रह साल तक के बच्चों में अधिक है खतरा
टीके से रखे अपने बच्चों को सुरक्षित
घर को साफ सुथरा रखें। इसके अलावा मच्छरों से बचाव के लिए कीटनाशक का प्रयोग करें। रात में सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग करें। इंसेफ्लाइटिस देने वाले मच्छर शाम को ही काटते हैं, इसलिए शाम को बाहर निकलते समय शरीर को ढककर रहें। बच्चों को इंसेफ्लाइटिस का टीका जरूर लगवाएं, इसे जेई वैक्सीन के टीके लगवाने होते हैं। यह शून्य से 15 साल तक के बच्चों को लगाया जाता है।

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