जय गांधी पीजीआई के क्लीनिकल इम्यूनोलाजी विभाग के प्रो.विकास अग्रवाल, हिमैटोलाजी विभाग की प्रमुख प्रो.सोनिया नित्यानंद, सामान्य अस्पताल की की डॉ. प्रेरणा कपूर और माइक्रोबायलोजी विभाग की डॉ. रिचा मिश्र आदि ने पत्रकारवार्ता में कहा कि
जागरण संवाददाता, लखनऊ : डेंगू के उन मरीजों में अधिक खतरा है, जिन्हे दोबारा डेंगू हुआ है। इन लोगों में डेंगू शॉक सिंड्रोम का अधिक खतरा रहता है। डेंगू के एक फीसद मरीज ही गंभीर होते हैं। इन मरीजों को भर्ती की जरूरत होती है। जिस मरीज का प्लेटलेट्स काउंट 10,000 से कम है, उसे प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन की जरूरत नहीं होती।1यह धारणा गलत है कि डेंगू में मौत प्लेटलेट्स के कारण होती है। अनुचित प्लेटलेट्स ट्रांसफ्यूजन से नुकसान हो सकता है। डेंगू में मौत का कारण असल में कैपिलरी लीकेज है। लीकेज की हालत में इंट्रावैस्कुलर कंपार्टमेंट में खून की कमी हो जाती है और कई सारे अंग काम करना बंद कर देते हैं। इस तरह की लीकेज होने तुरंत सलाह लेने की जरूर है। संजय गंधी पीजीआई के शरीर प्रतिरक्षा विशेषज्ञ प्रो.विकास अग्रवाल कहते है कि नब्ज में 20 की बढ़ोतरी, रक्तचाप में 20 की कमी, उच्च और निम्न बीपी में 20 से कम का अंतर हो और बाजू पर 20 से ज्यादा चकत्ते हों तो ये गंभीर खतरे के लक्षण होते हैं। इसलिए तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। डेंगू से पीड़ित लोगों को मेडिकल सलाह लेनी चाहिए, आराम करना चाहिए और तरल आहार लेते रहना चाहिए। संस्थान विभागों की रोस्टर वाइज ड्यूटी लगी है जो इमरजेंसी में मरीज के अटेंड करते है। दस बेड सुरक्षित रखा गया है।
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