रविवार, 24 नवंबर 2024

नवजात दूध नहीं पी रहा है यह भी बीमारी का संकेत

 

यदि नवजात शिशु लगातार लंबे समय तक रोता है। चिड़चिड़ापन या ऐंठन जो दुलारने और आराम से ठीक नहीं होती है। उसके रोने की आवाज असामान्य होती है। तो यह बीमारी का संकेत हो सकता है। यह शिशु के पेट या शरीर में दर्द का संकेत हो सकता है। यह जानकारी डॉ. आकांक्षा ने दी।

वह पीजीआई के नियोनेटोलॉजी विभाग की ओर से संस्थान के एचजी खुराना सभागार में राष्ट्रीय नवजात सप्ताह और विश्व प्रीमैच्योरिटी दिवस समारोह को संबोधित कर रही थीं। डॉ. आंकक्षा ने कहा कि बच्चों की सेहत व खान-पान का खास खयाल रखें। यदि शिशु लगातार रो रहा है तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। यह दर्द शिशु को पेंट, सिर व शरीर के दूसरे अंग में हो सकता है। लगातार खांसी, उल्टी, दस्त, बुखार व सांस लेने संबंधी परेशानी को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। पीजीआई नियोनेटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. कीर्ति नारंजे ने कहा कि यदि शिशु दूध नहीं पी रहा है यह भी बीमारी का संकेत है। बच्चे की भूख व चूसने की क्षमता कम या कमजोर होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वीके पॉलीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय नवजात सप्ताह और विश्व  प्रीमैच्योरिटी दिवस परिवारों के साथ सम्बन्ध को मजबूत करने का दिन है। बीमारी से ऊबरे बच्चों की अविश्वसनीय यात्राओं का जश्न मनाने के साथ-साथ नवजात स्वास्थ्य और प्रीमेच्योरिटी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता को प्रबल किया। कार्यक्रम में बायोस्टैटिस्टिक्स व स्वास्थ्य सूचना विज्ञान विभाग के डॉ. प्रभाकर मिश्रा, डॉ. दिशा, डॉ. साक्षी, डॉ. अनीता सिंह, डॉ. सुशील कुमार और डॉ. अभिषेक पॉल समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।


माता-पिता ने साझा किए अनुभव

कुछ माता-पिता ने अपनी भावनात्मक संस्मरण को साझा किया। जिसमें उन्होंने समय से पहले बच्चे के जन्म की चुनौतियों को याद किया। साथ ही असाधारण देखभाल और सहायता के लिए नियोनेटोलॉजी के डॉक्टर व उनकी टीम के प्रति आभार जाहिर किया। गोंडा की सुनीता ने बताया कि वह अपने सात माह पर जन्म शिशु को लेकर पीजीआई आई थी। डॉक्टरों ने कड़ी मेहनत कर शिशु को नया जीवन दिया। जन्म से वह बेहद कमजोर था। उसे पीलिया हो गया था। सांस लेने में भी तकलीफ थी।

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