शुक्रवार, 29 नवंबर 2024

बिजली निजीकरण से 77 हजार कर्मियों की नौकरी पर संकट

 

बिजली निजीकरण से 77 हजार कर्मियों की नौकरी पर संकट




लखनऊ। पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लि. को निजी कम्पनियों को बेचे जाने के प्रदेश सरकार के प्रस्ताव पर मुखर हुई विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति उत्तर प्रदेश ने आरोप लगाया है कि इन दो बिजली कम्पनियों का निजीकरण होने से 77 हजार कर्मियों की नौकरी जाएगी। समिति के संयोजक इंजीनियर शैलेन्द्र दुबे ने विश्ववार्ता ब्यूरो से बातचीत में कहा कि इन दो बिजली कम्पनियों गोरखपुर और वाराणणी क्षेत्र के 42 जिलों की बिजली व्यवस्था का निजीकरण होने के बाद बाकी बचे पावर कारपोरेशन में पदों में बढ़ोत्तरी की जाएगी, यह कहकर यूपी पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने खुद यह स्वीकार कर लिया है कि निजीकण से कर्मचारियों की पदावनति और छंटनी होने वाली है।


उन्होंने कहा कि 50 हजार आउसोर्स कर्मचारी हैं और 27 हजार 400 नियमित कर्मचारी हैं। निजी कम्पनी द्वारा अधिग्रहण किये जाने के बाद यह 50 हजार आउटसोर्स कर्मचारी तो तत्काल निकाल दिये जाएंगे क्योंकि निजी कम्पनियां अपने कर्मचारी तैनात करेंगी। उन्होंने बताया कि इस निजीकरण से मुख्य अभियंता स्तर-एक के सात पद समाप्त हो जाएंगे। मुख्य अभियंता स्तर एक के तीन पद रिक्त हैं। इस तरह केवल तीन मुख्य अभियंता स्तर एक समायोजित हो सकेंगे और चार मुख्य अभियंता स्तर एक की पदावनति होगी और वह मुख्य अभियंता स्तर-दो पर पदावनत होंगे। इस प्रकार मुख्य अभियंता स्तर दो पर 29 अभियंता सरप्लस हो जाएंगे। मुख्य अभियंता स्तर दो के तीन पद रिक्त हैं इस तरह केवल तीन मुख्य अभियंता स्तर दो समायोजित हो सकेंगे और 26 मुख्य अभियंता पदावनत होकर अधीक्षण अभियंता हो जाएंगे।


50 हजार आउटसोर्स और 27 हजार 400 नियमित कर्मचारी होंगे प्रभावित


अधीक्षण अभियंता स्तर के 109 पद समाप्त होंगे और पदावनत होकर अधीक्षण अभियंता बनने वाले 26 लोगों को और जोड़ लिया जाए तो अधीक्षण अभियंता के पद पर 135 पद सरप्लस हो जाएंगे। बाकी बचे विद्युत वितरण निगमों में अधीक्षण अभियंता के केवल 39 पद रिक्त हैं इस तरह से 135 अधीक्षण अभियंताओं में से केवल 39 समायोजित हो सकेंगे। बाकी 96 अधीक्षण अभियंताओं को पदावनत कर अधिशासी अभियंता बना दिया जाएगा।


अधिशासी अभियंता के 362 पद समाप्त होंगे। 96 अधीक्षण अभियंता पदावनत होकर अधिशासी अभियंता बन जाएंगे और इस तरह अधिशासी अभियंता के 458 पद सरप्लस हो जाएंगे। बाकी बचे विद्युत निगमों में अधिशासी अभियंता स्तर पर शेष 47 पद रिक्त हैं, इन्हें समायोजित करने के बाद 411 अधिशासी अभियंता को पदावनत कर सहायक अभियंता बना दिया जाएगा।


सहायक अभियंता स्तर के 1016 पद समाप्त होंगे। 411 अधिशासी अभियंता पदावनत होकर सहायक अभियंता हो जाएंगे और इन्हें मिलाकर सहायक अभियंता के 1427 पद सरप्लस हो जाएंगे। बाकी बचे विद्युत निगमों में सहायक अभियंता के 295 पद रिक्त हैं इस तरह से 295 सहायक अभियंता

रविवार, 24 नवंबर 2024

नवजात दूध नहीं पी रहा है यह भी बीमारी का संकेत

 

यदि नवजात शिशु लगातार लंबे समय तक रोता है। चिड़चिड़ापन या ऐंठन जो दुलारने और आराम से ठीक नहीं होती है। उसके रोने की आवाज असामान्य होती है। तो यह बीमारी का संकेत हो सकता है। यह शिशु के पेट या शरीर में दर्द का संकेत हो सकता है। यह जानकारी डॉ. आकांक्षा ने दी।

वह पीजीआई के नियोनेटोलॉजी विभाग की ओर से संस्थान के एचजी खुराना सभागार में राष्ट्रीय नवजात सप्ताह और विश्व प्रीमैच्योरिटी दिवस समारोह को संबोधित कर रही थीं। डॉ. आंकक्षा ने कहा कि बच्चों की सेहत व खान-पान का खास खयाल रखें। यदि शिशु लगातार रो रहा है तो डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। यह दर्द शिशु को पेंट, सिर व शरीर के दूसरे अंग में हो सकता है। लगातार खांसी, उल्टी, दस्त, बुखार व सांस लेने संबंधी परेशानी को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। पीजीआई नियोनेटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. कीर्ति नारंजे ने कहा कि यदि शिशु दूध नहीं पी रहा है यह भी बीमारी का संकेत है। बच्चे की भूख व चूसने की क्षमता कम या कमजोर होने पर डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. वीके पॉलीवाल ने कहा कि राष्ट्रीय नवजात सप्ताह और विश्व  प्रीमैच्योरिटी दिवस परिवारों के साथ सम्बन्ध को मजबूत करने का दिन है। बीमारी से ऊबरे बच्चों की अविश्वसनीय यात्राओं का जश्न मनाने के साथ-साथ नवजात स्वास्थ्य और प्रीमेच्योरिटी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता को प्रबल किया। कार्यक्रम में बायोस्टैटिस्टिक्स व स्वास्थ्य सूचना विज्ञान विभाग के डॉ. प्रभाकर मिश्रा, डॉ. दिशा, डॉ. साक्षी, डॉ. अनीता सिंह, डॉ. सुशील कुमार और डॉ. अभिषेक पॉल समेत अन्य डॉक्टर मौजूद रहे।


माता-पिता ने साझा किए अनुभव

कुछ माता-पिता ने अपनी भावनात्मक संस्मरण को साझा किया। जिसमें उन्होंने समय से पहले बच्चे के जन्म की चुनौतियों को याद किया। साथ ही असाधारण देखभाल और सहायता के लिए नियोनेटोलॉजी के डॉक्टर व उनकी टीम के प्रति आभार जाहिर किया। गोंडा की सुनीता ने बताया कि वह अपने सात माह पर जन्म शिशु को लेकर पीजीआई आई थी। डॉक्टरों ने कड़ी मेहनत कर शिशु को नया जीवन दिया। जन्म से वह बेहद कमजोर था। उसे पीलिया हो गया था। सांस लेने में भी तकलीफ थी।

रविवार, 10 नवंबर 2024

गाल ब्लैडर स्टोन 70 फीसदी में बनता है पेनक्रिएटाइटिस का कारण

 



वर्ल्ड रेडियोलॉजी डे


 


गाल ब्लैडर में स्टोन न करें लापरवाही कराएं सर्जरी


 


स्टोन प्रैक्रियाज की नली में कर सकता है रुकावट


 


गाल ब्लैडर स्टोन 70 फीसदी में बनता है  पेनक्रिएटाइटिस का कारण




पित्ताशय ( गाल ब्लैडर) में स्टोन का पता लगते है तुरंत सर्जरी कराना चाहिए। तमाम लोग इंतजार करते रहे यह सेप्टीसीमिया का कारण साबित हो सकता है। पित्ताशय की थैली का स्टोन इससे निकल कर प्रैक्रियाज की नली में फंस सकता है जिससे पेनक्रियाज की नली तक फट सकती है ऐसे में पैंक्रियाज का जूस इसके अगल बगल स्थिति भीतरी अंगो का खराब कर सकता है। ऐसे गंभीर स्थिति वाले मरीजों को भी इंटरवेंशन रेडियोलाजिकल तकनीक बचाया जा सकता है।  संजय गांधी पीजीआई में वर्ल्ड रेडियोलॉजी डे के मौके पर इंटरवेंशन टेक्नोलॉजिस्ट देवाशीष चक्रवर्ती ने यह सलाह देते हुए कहा कि प्रैक्रियाज में स्टोन फंसने से प्रैक्रिए टाइटस होता है। पेट में तेज दर्द, बुखार की परेशानी होती है। हम लोग फंसे स्टोन को इंटरवेंशन तकनीक से निकालने के साथ ही प्रैक्रियाज डक्ट फटने से आस –पास फैले जूस को भी निकाल कर जीवन बचा सकते हैं। इंटरवेंशनल रेडियोलॉजिस्ट  डॉ. रजनी कांत, डा. अनिल कुमार ने बताया कि परक्यूटीनियस ड्रेनेज तकनीक जिसमें  अल्ट्रासाउंड से जहां पर जूस जमा  स्थिति का पता लगा कर वहां ट्यूब डाल कर जूस निकालते है। नली में जाकर स्टोन को भी निकालते हैं। पित्ताशय के स्टोन के अलावा कई बार प्रैक्रियाज जूस भी गाढा हो कर स्टोन बन जाता है लेकिन 70 फीसदी मामलों में पित्ताशय स्टोन की कारण बनता है। आयोजन सचिव चीफ टेक्नोलॉजिस्ट सरोज वर्मा ने बताया कि इंटरवेंशन की ओपीडी रोज चलती है विभाग में संपर्क कर सकता है खास तौर जब प्रैक्रियाज में स्टोन फंसा हो। विभाग की प्रमुख प्रो. अर्चना गुप्ता ने कहा कि एमआरआई की वेटिंग ओपीडी मरीजों को लिए एक सप्ताह करने की दिशा में काम कर रहे हैं। तीन एमआरआई मशीन चल रही है एक ओर पीपीपी मॉडल पर लगने जा रही है। टेक्नोलॉजिस्ट अभय झा ने बताया कि पुरानी मशीन को भी चला रहे है। आरएमएल के रेडियोलाजिस्ट डा. गौरव राज ने फोटान काउंट सीटी के बारे में बताया। यूपी एक्स-रे एसोसिएशन के अध्यक्ष  राम मनोहर कुशवाहा ने कहा कि एक्स-रे टेक्नोलॉजिस्ट की बीमारी पता लगाने में अहम भूमिका है।


पार्किंसंस के 70 फीसदी मामलों में दवा कारगर

 




न्यूरोकांन -2024


 


पार्किंसंस के 70 फीसदी मामलों में दवा कारगर


कैंसर विहीन ब्रेन ट्यूमर है तो सर्जरी के बाद दोबारा नहीं होती है ट्यूमर की आशंका


 


पार्किंसंस ( हाथ कंपन) के 70 फीसदी मामलों में दवा काम करती है लेकिन पांच साल बाद दवा का असर कम हो जाता है।  डीप वेन स्टीमुलेशन तकनीक ही राहत दे सकती है। संजय गांधी पीजीआई में आयोजित न्यूरोकांन 2024 में उत्तर प्रदेश ग्रामीण आयुर्विज्ञान संस्थान सैफई के न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. रमा कांत यादव ने बताया कि न्यूरो डीजरेटिव डिजीज की आशंका उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती है। दवाओं से राहत तो मिलती है लेकिन लाइफ स्टाइल को ठीक रखना जरूरी है। पार्किसंस बीमारी में सेंट्रल नर्वस सिस्टम (केंद्रीय तंत्रिका तंत्र) की बीमारी है, जो अक्सर मरीज़ की शारीरिक गतिविधियों पर असर करती है। इसमें अक्सर कंपकंपी भी होती है। दिमाग में तंत्रिका कोशिका को नुकसान होने से डोपामाइन का स्तर गिर जाता है। पार्किंसंस की शुरुआत में किसी एक हाथ में कंपकंपी होती है। साथ ही, धीमी गति, अकड़न, और संतुलन खोने जैसे अन्य लक्षण दिखते हैं। उपचार में डोपामाइन बढ़ाने वाली दवाएं शामिल हैं। सेफैई के ही न्यूरो सर्जन प्रो. फहीम ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर के 10 से 15 फीसदी मामले ऐसे होते जो कैंसर नहीं होते है। इन मरीजों एक बार सर्जरी कराने से दोबारा ट्यूमर की आशंका नहीं होती है लेकिन कैंसर युक्त ट्यूमर में सर्जरी के बाद दोबारा ट्यूमर की आशंका रहती है।

शनिवार, 9 नवंबर 2024

45 वर्ष आयु तक लगता है सर्वाइकल कैंसर का वैक्सीन

 

पीजीआई में एसोसिएशन ऑफ गायनेकोलॉजिकल ऑंकोलॉजिस्ट आफ इंडिया सम्मेलन


  


45 वर्ष आयु तक लगता है सर्वाइकल कैंसर का वैक्सीन


 


जागरूकता की कमी के कारण एक फीसदी से कम में लगता है एचपीवी वैक्सीन


उम्र बढ़ने के साथ बढ़ती है आशंका  


 जागरण संवाददाता। लखनऊ


सर्वाइकल मृत्यु दर का एक प्रमुख कारण है, जो 30 से 69 वर्ष की आयु की महिलाओं में कैंसर से होने वाली सभी मौतों का 17 फीसदी है। इस कैंसर से बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है। संजय गांधी पीजीआई में एसोसिएशन ऑफ गायनेकोलॉजिकल ऑंकोलॉजिस्ट ऑफ इंडिया के सम्मेलन में संस्थान के मैटरनल एंड रिप्रोडक्टिव हेल्थ की प्रो. अमृता गुप्ता और प्रो. इंदु लता साहू  वैक्सीनेशन की दर काफी है। एक फीसदी से भी लड़कियों में एपीपी वैक्सीन लग पाता है। नई गाइडलाइन के अनुसार नौ से 35 वर्ष की आयु तक वैक्सीन लग सकता है। 9 से 14 वर्ष की आयु की लड़कियों में दो डोज ।  15 से 45  के बाद तीन डोज की जरूरत होती है। विशेषज्ञों ने कहा कि एचपीवी वैक्सीनेशन प्रोग्राम को नेशनल इम्यूनाइजेशन प्रोग्राम में शामिल करने की जरूरत है।






स्कूलों में जागरूकता अभियान की जरूरत 




संयोजक डॉ. किरण पांडेय और डॉ. अंजू रानी ने बताया कि सर्वाइकल कैंसर की आशंका उम्र बढ़ने का साथ बढ़ती जाती है। जागरूकता के लिए कॉलेज और स्कूलों में जागरूकता अभियान की जरूरत है जिसमें शिक्षिकाएं अहम भूमिका निभा सकती है।  


 


सिंगल डोज वैक्सीन भी हो सकता है कारगर


 


शुरूआती दौर के शोध परिणाम बताते है कि सिंगल डोज वैक्सीन लेने से भी 88 फीसदी में कैंसर का खतरा कम होता है। सिंगल डोज  वैक्सीन लेने वालों में दो खुराक वालों के समान ही फायदा है। सिंगल वैक्सीनेसन सरल है और सस्ती है हालांकि एंटीबॉडी का स्तर सिंगल डोज वालों में तीन खुराक प्राप्त करने वालों की तुलना में कम था।  सिंगल डोज टीकाकरण सुरक्षा दो या तीन खुराक से थोड़ी कम है फिर भी काफी लड़कियां एक डोज से सुरक्षित हो सकती है।


 


 


किस उम्र में कितने में कैंसर


20 से 29- 1.32


30 से 39- 10.20


40 से 49 – 26.32


50 से 59- 27 .37


60 से 69- 22.49


70 से अधिक- 22.26


 


 


क्या है सर्वाइकल कैंसर


गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय (गर्भ) का निचला, संकीर्ण छोर है। गर्भाशय ग्रीवा गर्भाशय को योनि से जोड़ती है। कैंसर दिखाई देने से पहले गर्भाशय ग्रीवा में असामान्य कोशिकाएं दिखाई देने लगती हैं । समय के साथ, यदि उन्हें नष्ट या हटाया नहीं जाता है कोशिकाएं कैंसर कोशिकाएं बन सकती हैं। आस-पास के क्षेत्रों में अधिक गहराई से बढ़ने और फैलने लगती हैं।