थैक्स डाक्टर ...तीन महीने में घट गया 17 किलो वजन
मोटापे के साथ उच्च रक्त चाप और सांस लेने में परेशानी से मिला छुटकारा
पीजीआई में बैरिएटिक सर्जरी शुरू
सात विभाग के विशेषज्ञों ने तय किया इलाज का रास्ता
लखनऊ। कुमार संजय
देवरिया की रहने वाली 55 वर्षीय मीनाक्षी का वजन तीन महीने में 95 किलों से घट 78 किलो रह गया साथ ही सांस लेने की परेशानी, उच्च रक्त चाप के परेशानी से छुटकारा मिल गया। यह संभव हुआ है संजय गांधी पीजीआई में हुई पेट की सर्जरी( बैरिएटिक सर्जरी) के जरिए। सर्जरी के बाद पहली बार फालोअप पर आयी मीनाक्षी ने इस खुशी को जाहिर किया। मीनाक्षी हाइपोथायरडिज्म(हारमोन असंतुलन), उच्च रक्तचाप, एयर वे आब्सट्रेक्सन की परेशानी से ग्रस्त इसके साथ इनके शरीर का वजन 95 किलो के आस पास था। रात में शरीर में आक्सीजन का स्तर कम हो जाता है जिसे पूरा करने के लिए सोते समय उन्हें बाई पेप लगाना पड़ता था। कुल मिला तक मीनाक्षी की जिदंगी बड़ी कठिन हो गयी थी। मोटापे के साथ तीन बीमारी से लड़ रही मीनाक्षी पीजीआई आयी तो विशेषज्ञों ने तमाम परेशानी से मुक्ति के लिए गैस्ट्रोसर्जन प्रो.आनंद प्रकाश के पास भेजा। प्रो.प्रकाश ने इंडोमेडिसिन, कार्डियोलाजी, गैस्ट्रोमेडिसिन, पोषण विशेषज्ञ के साथ पल्मोनरी मेडिसिन के विशेषज्ञों को शामिल कर मीनाक्षी के केस पर गहन विचार विमर्श के बाद बैरिएटिक सर्जरी का फैसला लिया। यह सर्जरी पीजीआई में इससे पहले कभी नहीं हुई थी। पहली बार होना था इसके लिए प्रो.प्रकाश पूरी तैयारी की। प्रो.प्रकाश के मुताबिक मीनाक्षी के मामले में स्लीब गैस्ट्रेक्टमी किया जिसमें आमाशाय के आकार को 75 फीसदी तक काट कर छोटा किया गया। मीनाक्षी के मुताबिक अब पहले से कम खाती हूं। भूख कम लगती है। फिजिकली एक्टिव होने के नाते तीन महीने में 17 किलो वजन कम हो गया है।
सर्जरी से हारमोन पर किया गया नियंत्रण
आमाशय को ऐसे काटा गया जिसमें लेप्टिन और ग्रैलिन हारमोन बनाने वाला भाग भी कम हो जाए। इससे इन हारमोन का स्तर भी कम होता है। लेप्टिन हारमोन का बढ़ा है अधिक भूख लगती है। इसकी मात्रा कम करने से भूख कम लगती है। ग्रेलिन हारमोन पेट भरने का सिगलन देता है।
अब हर गुरूवार को पीजीआई में बैरिएटिक ओपीडी
किस मरीज में सर्जरी की जरूरत है। यह तय करने के लिए हर गुरूवार को दो बजे पांच बजे तक गैस्ट्रोसर्जरी ओपीडी में विशेषज्ञ विशेष ओपीडी चलाएंगे। इसमें मरीजों को सही जनाकारी दी जाएगी। संस्थान में अब बैरिएटिक सर्जरी स्थापित हो गयी है रेगुलर सर्जरी होगी। यहां पर इस सर्झरी का खर्च एक लाख के आस पास आएगा जबकि निजि क्षेत्र में चार से पाच लाख का खर्च आता है।
मोटापे के साथ उच्च रक्त चाप और सांस लेने में परेशानी से मिला छुटकारा
पीजीआई में बैरिएटिक सर्जरी शुरू
सात विभाग के विशेषज्ञों ने तय किया इलाज का रास्ता
लखनऊ। कुमार संजय
देवरिया की रहने वाली 55 वर्षीय मीनाक्षी का वजन तीन महीने में 95 किलों से घट 78 किलो रह गया साथ ही सांस लेने की परेशानी, उच्च रक्त चाप के परेशानी से छुटकारा मिल गया। यह संभव हुआ है संजय गांधी पीजीआई में हुई पेट की सर्जरी( बैरिएटिक सर्जरी) के जरिए। सर्जरी के बाद पहली बार फालोअप पर आयी मीनाक्षी ने इस खुशी को जाहिर किया। मीनाक्षी हाइपोथायरडिज्म(हारमोन असंतुलन), उच्च रक्तचाप, एयर वे आब्सट्रेक्सन की परेशानी से ग्रस्त इसके साथ इनके शरीर का वजन 95 किलो के आस पास था। रात में शरीर में आक्सीजन का स्तर कम हो जाता है जिसे पूरा करने के लिए सोते समय उन्हें बाई पेप लगाना पड़ता था। कुल मिला तक मीनाक्षी की जिदंगी बड़ी कठिन हो गयी थी। मोटापे के साथ तीन बीमारी से लड़ रही मीनाक्षी पीजीआई आयी तो विशेषज्ञों ने तमाम परेशानी से मुक्ति के लिए गैस्ट्रोसर्जन प्रो.आनंद प्रकाश के पास भेजा। प्रो.प्रकाश ने इंडोमेडिसिन, कार्डियोलाजी, गैस्ट्रोमेडिसिन, पोषण विशेषज्ञ के साथ पल्मोनरी मेडिसिन के विशेषज्ञों को शामिल कर मीनाक्षी के केस पर गहन विचार विमर्श के बाद बैरिएटिक सर्जरी का फैसला लिया। यह सर्जरी पीजीआई में इससे पहले कभी नहीं हुई थी। पहली बार होना था इसके लिए प्रो.प्रकाश पूरी तैयारी की। प्रो.प्रकाश के मुताबिक मीनाक्षी के मामले में स्लीब गैस्ट्रेक्टमी किया जिसमें आमाशाय के आकार को 75 फीसदी तक काट कर छोटा किया गया। मीनाक्षी के मुताबिक अब पहले से कम खाती हूं। भूख कम लगती है। फिजिकली एक्टिव होने के नाते तीन महीने में 17 किलो वजन कम हो गया है।
सर्जरी से हारमोन पर किया गया नियंत्रण
आमाशय को ऐसे काटा गया जिसमें लेप्टिन और ग्रैलिन हारमोन बनाने वाला भाग भी कम हो जाए। इससे इन हारमोन का स्तर भी कम होता है। लेप्टिन हारमोन का बढ़ा है अधिक भूख लगती है। इसकी मात्रा कम करने से भूख कम लगती है। ग्रेलिन हारमोन पेट भरने का सिगलन देता है।
अब हर गुरूवार को पीजीआई में बैरिएटिक ओपीडी
किस मरीज में सर्जरी की जरूरत है। यह तय करने के लिए हर गुरूवार को दो बजे पांच बजे तक गैस्ट्रोसर्जरी ओपीडी में विशेषज्ञ विशेष ओपीडी चलाएंगे। इसमें मरीजों को सही जनाकारी दी जाएगी। संस्थान में अब बैरिएटिक सर्जरी स्थापित हो गयी है रेगुलर सर्जरी होगी। यहां पर इस सर्झरी का खर्च एक लाख के आस पास आएगा जबकि निजि क्षेत्र में चार से पाच लाख का खर्च आता है।
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