सोमवार, 5 जून 2023

SGPGIMS ने 7वीं अखिल भारतीय रैंक हासिल की, संस्थान ने वर्ष 2023 के लिए

 




राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) को मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा अनुमोदित किया गया था और 29 सितंबर, 2015 को माननीय मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था। यह ढांचा देश भर में संस्थानों को रैंक करने के लिए एक पद्धति की रूपरेखा तैयार करता है। एनआईआरएफ ( NIRF) मापदंडों के पांच व्यापक सामान्य समूहों में संस्थानों की रैंकिंग प्रदान करता है जो इस प्रकार हैं:

 i) शिक्षण, सीखना और संसाधन;

 ii) अनुसंधान और व्यावसायिक अभ्यास;

 iii) स्नातक परिणाम;

 iv) आउटरीच और समावेशिता; 

v) अवधारणा। 

इनमें से कई पैरामीटर विश्व स्तर पर  सामान्य हैं और शिक्षण, सीखने और अनुसंधान के लिए पर्यावरण के संकेतक के रूप में काम करते हैं। हालाँकि, कुछ भारत-केंद्रित पैरामीटर हैं, जो उच्च शिक्षा संस्थानों (HEIs) में नामांकित हमारे युवाओं की बढ़ती संख्या की आकांक्षाओं को दर्शाते हैं।

संजय गांधी पी जी आई  की स्थापना 1983 में राज्य विधानमंडल अधिनियम के तहत की गई थी। इसे उच्चतम क्रम की चिकित्सा सेवा, शिक्षा और अनुसंधान प्रदान करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र ( centre of excellence) के रूप में बनाया गया था। अस्पताल प्रशासन विभाग ने पहल की और यह सुनिश्चित किया कि वर्ष 2018 में एनआईआरएफ रैंकिंग के लिए चिकित्सा संस्थानों के लिए एक अलग श्रेणी बनाई जाए। इसके बाद,  यह विभाग संस्थान के डेटा को प्राप्त करने, छानबीन करने, समरूप बनाने, NIRF रैंकिंग के लिए ऑनलाइन पोर्टल पर अपलोड करने और जमा करने के लिए जिम्मेदार है। 


 वर्ष 2022 के लिए भारत रैंकिंग अभ्यास में भागीदारी के आधार पर, जहां SGPGIMS ने 7वीं अखिल भारतीय रैंक हासिल की, संस्थान ने वर्ष 2023 के लिए  भी इस प्रतिष्ठित NIRF रैंकिंग के लिए खुद को पंजीकृत किया था।

5 जून, 2023 को, श्री राजकुमार रंजन सिंह, माननीय विदेश राज्य मंत्री और शिक्षा, भारत सरकार ने विभिन्न श्रेणियों के लिए एनआईआरएफ 2023 रैंकिंग जारी की। NIRF 2023 के लिए, SGPGIMS ने मेडिकल श्रेणी में 7वां स्थान अर्जित किया।

एस जी पी जी आई की जारी एनआईआरएफ-2023 रैंकिंग के मुख्य अंशों का उल्लेख इंफ्रा में किया गया है:

समग्र स्कोर 67.18 से बढ़कर 69.62 हो गया (2.44 की वृद्धि)


छात्र संख्या (एसएस) में 9.67 से 13.76 की वृद्धि (4.09 की वृद्धि)


वित्तीय संसाधनों और उनके उपयोग में वृद्धि (FRU) 23.93 से 28.37 (4.44 की वृद्धि)


1.00 की बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और पेटेंट, प्रकाशित, अनुदानित और लाइसेंस (IPR) में वृद्धि


विश्वविद्यालय परीक्षाओं (GUE) के लिए मीट्रिक में 22.80 से 25.00 तक की वृद्धि (2.20 की वृद्धि)


10.28 से 12.36 तक अन्य राज्यों/देशों (क्षेत्रीय विविधता; आरडी) से छात्रों के प्रतिशत में वृद्धि (2.08 की वृद्धि)


महिलाओं के प्रतिशत में वृद्धि (महिला विविधता) 23.44 से 24.74 (1.3 की वृद्धि)


SGPGIMS ने अपनी रैंकिंग स्थिति को बनाए रखा है, लेकिन छात्रों की संख्या, वित्तीय संसाधनों और उनके उपयोग और ऊपर बताए गए अन्य क्षेत्रों में सुधार दिखाया है।


बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) इस साल 8वें स्थान पर है, जबकि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) 12वें स्थान पर है।


एनआईआरएफ रैंकिंग 2023 की समग्र कवायद  संस्थान के निदेशक प्रो. आर.के. धीमन और विभागाध्यक्ष, अस्पताल प्रशासन, डॉ. आर. हर्षवर्धन, के प्रयासों के माध्यम से की गई थी। प्रो. एस पी अंबेश, डीन और श्री वरुण वाजपेयी, कार्यकारी रजिस्ट्रार, भी एन आई आर एफ रैंकिंग अभ्यास में सहायक थे। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में अस्पताल प्रशासन विभाग के रेजिडेंट्स चिकित्सकों का अतुलनीय योगदान रहा।

गुरुवार, 1 जून 2023

माइक्रोवस्कुलर तकनीक से जुड़ी उंगली कटी उंगली का पीजीआई में हुआ प्रत्यारोपण सर्जरी

 






माइक्रोवस्कुलर तकनीक से जुड़ी उंगली

 कटी उंगली का पीजीआई में  हुआ प्रत्यारोपण सर्जरी


सुल्तानपुर जिले के ग्राम सुरजाम में रहने वाले 9 वर्षीय श्लोक दायें हाथ की दो उंगली चारा काटने की मशीन में फंस  कट गयी जो पूरी तरह से अलग हो गई। परिजन बच्चे को कटी उंगली के साथ लेकर सुबह 10 बजे के आस-पास एपेक्स ट्रामा सेंटर पहुंचे । ट्रामा सेंटर से इस मामले की जानकारी मिली तो तुरंत प्लास्टिक सर्जरी विभाग की टीम एलर्ट हो हो कर कटी उंगली के प्रत्यारोपण के तैयारी में लग गयी। पहले अलह हुई उंगली के साफ किया गया इसके बाद जहां से उंगली कटी थी उसे साफ किया गया। सारी तैयारी के बाद बुधवार को तीन बजे सर्जरी शुरू हुई जो सात घंटे चली। प्रत्यारोपण पूरी तरह सफल रहा । विभाग के प्रमुख एवं मुख्य सर्जन प्रो. राजीव अग्रवाल ने बताया कि   उंगली के प्रत्यारोपण में अत्यंत सूक्ष्म एवं पतली धमनियों को माइक्रोवस्कुलर सर्जरी की तकनीक से जोडा गया।  यह सर्जरी जटिल एवं परिष्कृत होती है और इन धमनियों को जोड़ने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। प्रत्यारोपण एक  जटिल प्रक्रिया 8 से 12 घंटे लगते है। सर्जरी में  गंभीर जटिलता जुड़ी हुई हड्डियों ठीक से जोड़ने में होती है।  अधिकांश  मामलों में  अच्छे से परिणाम होते है। उंगली जो जोड़ी गयी है उसमें  कम गति शीलती सर्जरी के बाद हो सकती है।

ऐसे की गई सर्जरी

सबसे पहले कटी उंगली को जोड़ने के लिए  में हड्डी को के वायर से  जोडा जाता है। इसके   उंगली की धमनी ( आर्टरी) को जोड़ते है जिससे उंगली में रक्त का संचार हो जाये। इसके बाद उंगली की शिरा (वेन) को जोड़ते है फिर  बाद नस (नर्व) को जोड़ा जाता है के साथ  टेंडन को जोड़ते हैं।  आखिरी में त्वचा को जोडा ।

            

ऐसे लाएं कटे अंग

कटे हुए अंग का  साफ पॉलीथिन में रखना चाहिये ।  इस पॉलीथिन  दूसरी पॉलीथीन में डालना चाहिये जिसमें बर्फ पडी हो। इससे कटा हुए हिस्सा ठंडा रहे।

इस टीम ने दिया सर्जरी को अंजाम

प्लास्टिक सर्जरी विभाग से प्रो. राजीव अग्रवाल, डा. भारती. डा. निखलेश, डा. भूपेश, डा. गौतम नर्सिंग स्टाफ  प्रतिभा, अमृता   निश्चेतना विभाग से डा0 आरती अग्रवाल, डा सुमित, डा. दिव्या, डा. नुपूर