गुरुवार, 6 जनवरी 2022

करोना काल में बढ़ गयी नर्सेज की जिम्मेदारी

 


करोना काल में बढ़ गयी नर्सेज की जिम्मेदारी

ओपीडी इंचार्ज केडी रस्तोगी नर्सेज को सिखा रही है काम करने का तरीका

 

नर्सिग केयर मरीजों के लिए संजीवनी से कम नहीं है। नर्स ही मरीज के भर्ती होने से लेकर डिस्टचार्ज होने तक 24 घंटे साथ रहती है किस मरीज को किस समय क्या दवा, सेवा देनी है वह बूखबी समझती है । कोरोना काल में नर्सिग की भूमिका पहले से अधिक हो गयी है खास तौर भर्ती होने वाले मरीजों के आलावा ओपीडी में आने वाले मरीजों के लिए भी। नर्सिग की भूमिका और मरीजों में आपसी तालमेल बैठाने में इंचार्ज की भूमिका बढ़ जाती है। यह कहना है संजय गांधी पीजीआई के न्यूओपीडी और पीएसवाई ओपीडी के नर्सिग इंचार्ज केडी रस्तोगी है। यह कहती है कि कोरोना काल के बाद जब सामान्य ओपीडी शुरू हुई तो मरीज का दो टीका वाला प्रमाण पत्र या कोरोना जांच की रिपोर्ट के साथ आना था ऐसे में नर्सिग केयर देने के लिए नर्सेज को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया । नर्सेज की काउंसलिंग कर बताया कि मरीजों के साथ व्यवहार अच्छा करें इससे आप को मानसिक सुख तो मिलेगा ही मरीज की भी परेशानी कम हो जाती है। किसी भी अस्पताल में मरीज परेशानी में आता है ऐसे में प्यार के दो शब्द कई दवाओं के अधिक कारगर होता है। रस्तोगी कहती है दोनो ओपीडी के नर्सेज की भी अपनी परेशानी होती है इनकी परेशानी को सुनना और समाधान करना एक बडी जिम्मेदारी होती है। कई बार यह ड्यूटी पर आने में असमर्थ होती है ऐसे में इनके विकल्प के रूप कही दूसरी जगह काम कर रही नर्सेज को शिफ्ट करना पड़ता है।

सोमवार, 3 जनवरी 2022

70 से 90 फीसदी तक ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी बूस्टर डोज

 70 से 90 फीसदी तक ओमिक्रॉन वैरिएंट के खिलाफ प्रभावी बूस्टर डोज



कई देशों में लगे बूस्टर डोज की स्टडी में सामने आया


कोरोना और उसके बदले स्वरूप( ओमिक्रोन) ले लड़ने में कोरोना टीके का बूस्टर डोज 70 से 90 फीसदी तक प्रभावी साबित हो सकता है। कई देशों में लगे बूस्टर डोज के नतीजे देखने के बाद शरीर प्रतिरक्षा वैज्ञानिकों का कहना है कि हाई रिस्क ग्रुप में बूस्टर डोज लगवाने से काफी राहत मिलेगी खास तौर पर फ्रंट लाइन वर्कर के आलावा बुजुर्गों में। किंग जार्ज मेडिकल विवि की शऱीर प्रतिरक्षा विशेषज्ञ डा. पंक्ति मेहता के मुताबिक कई देशों में शोध के आधार पर हम कह सकते है कि बूस्टर डोज बचाव में काफी कारगर होगा। फाइजर वैक्सीन की इफेक्टिवनेस को लेकर की गई स्टडी में सामने आया था कि दूसरा डोज लगवाने के 2 हफ्ते तक वैक्सीन इन्फेक्शन को रोकने में 90 फीसदी कारगर हैलेकिन 5 महीने बाद केवल 70 फीसदी तक कारगर रहती है।   बायोटेक की सीनोवैक के स्टडी के अनुसार ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ तीसरा वैक्सीन डोज 94 फीसदी प्रभावशाली है। कुल 68 लोगों पर स्टडी की थी जिसमें से 20 ने सिर्फ दो डोज लिए थेजबकि 48 ने तीन डोज लिए थे। पहले समूह के 7 लोगों में और दूसरे समूह के 45 लोगों में ओमिक्रॉन के खिलाफ एंटीबॉडी डेवलप हुई।

  

 

 

पिछले दो डोज से अलग हो सकती है तीसरी डोज

जिस वैक्सीन के दो डोज लगवा चुके हैंउन्हें तीसरा डोज अलग कंपनी का लग सकता है यानी अगर आपने दो डोज को वैक्सिन के लगाए हैं तो तीसरा डोज कोवीशील्ड का लग सकता है। संभावना है कि तीसरा डोज किसी नई कंपनी की वैक्सीन से लगाया जाए। दूसरे डोज और बूस्टर डोज के बीच 9 महीने से 12 महीने के बीच का गैप रह सकता है। को वैक्सिन और कोवीशील्ड की वैक्सीन लगाई जा रही हैं।  15 से 18 साल के बच्चों को वैक्सीन लगाई जानी है।