सोमवार, 12 मई 2014

पीलिया


रक्त में लाल कणों की निश्चित आयु होती है | यदि किसी कारण इनकी आयु कम हो जाए और ये जल्दी ही अधिक मात्रा में नष्ट होने लगें तो पीलिया होने लगता है | यदि जिगर का कार्य भी पूरी तरह न हो तो पीलिया हो जाता है | हमारे रक्त में बिलीरुबिन नामक पीले रंग का पदार्थ होता है | यह पदार्थ लाल कणों के नष्ट होने पर निकलता है इसलिए शरीर में पीलापन आने लगता है | त्वचा का पीलापन ही पीलिया कहलाता है | रोग बढ़ने पर सारा शरीर हल्दी की तरह पीला दिखाई देता है | इस रोग में जिगर, पित्ताशय , तिल्ली और आमाशय आदि खराब होने की संभावना रहती है | अत्यंत तीक्ष्ण पदार्थों का सेवन, अधिक खटाई , गर्म तथा चटपटे और पित्त को बढ़ने वाले पदार्थों का अधिक सेवन,शराब अधिक पीने आदि कारणों से वात , पित्त और कफ कुपित होकर पीलिया को जन्म देते हैं| कुछ प्रयोग निम्न प्रकार हैं -----
1- ५० ग्राम मूली के पत्ते का रस निचोड़कर १० ग्राम मिश्री मिला लें, और बासी मुहँ पियें |
2- पीलिया के रोगी को जौं ,गेंहू तथा चने की रोटी ,खिचड़ी ,हरी सब्ज़ियाँ,मूंग की दाल तथा नमक मिला हुआ मट्ठा आदि देना चाहिए |
3- तरल पदार्थों का सेवन अधिक करना चाहिए |
4- रोगी को भोजन बिना हल्दी का देना चाहिए तथा मैदे से बनी वस्तुएं ,खटाई ,उड़द ,सेम ,सरसों युक्त गरिष्ठ भोजन नहीं देना चाहिए |
5- कच्चे पपीते का खूब सेवन करें | पका हुआ पपीता भी पीलिया में बहुत लाभदायक होता है |
6- उबली हुई बिना मसाले व मिर्च की सब्ज़ी का सेवन करें |
7- मकोय के ४ चम्मच रस को हल्का गुनगुना करके सात दिन तक सेवन करें ,लाभ होगा |
8- पीलिया के रोगी को पूर्णतः विश्राम करना चाहिए तथा नमक का सेवन भी कम करना चाहिए |
9- अनार के रस के सेवन से रुक हुआ मल निकल जाता है और पीलिया में फायदा होता है |
10- आंवला रस पीने से भी पीलिया दूर होता है |

केला खाने से आप अपनी पूरी जिन्दगी स्वस्थ्य

भारत में केला हर जगह पाया जाता है और इसकी सबसे अच्छी किस्में भारत में ही होती हैं | भले ही रोज एक सेब खाने से आप डॉक्टर के पास जाने से बच सकते हैं, लेकिन केला खाने से आप अपनी पूरी जिन्दगी स्वस्थ्य रह सकते हैं। रिसर्च के मुताबिक केला आपको कई बीमारियों से बचा सकता है।
तो आइए जानते हैं केला खाने का स्वास्थ्यलाभ -

१ - केला खिलाड़ियों का प्रिय फल है क्योंकि यह तुरंत एनर्जी प्रदान करता है। सुबह नाश्ते में केला खाने से ऊर्जा बढती है और सूकरोज़, फ्रक्टोज़ और ग्लूकोज जैसे पोषक तत्व भी मिलते हैं। यदि आप दिन भर भूखे प्यासे रहते हैं, तो केवल केला ही खा लें देखिये अन्य फल के मुकाबले केले से तुरंत एनर्जी मिलेगी।

२- केले में प्रोटीन पाया जाता है, जो कि दिमाग को आराम देता है इसलिए डिप्रेशन दूर करने में सहायक है |

३- दूध के साथ केला और शहद मिला कर पीने से अनिद्रा की समस्या दूर हो जाती है।

४- केले में रेशा पाया जाता है, जिससे पाचन क्रिया मजबूत बनती है। गैस्ट्रिक व कब्ज़ की बीमारी वाले लोंगो के लिये केला बहुत प्रभावशाली उपचार है। अक्सर यात्रा के दौरान कब्ज की शिकायत हो जाती है। इसको दूर करने के लिये केला एक अच्छा विकल्प है |

५- केला शरीर के खून में हीमोग्लोबिन को बढाता है। जिससे एनीमिया की शिकायत दूर हो जाती है।वे लोग जो एनीमिया से प्रभावित हैं, उन्हें अपने भोजन में केला शामिल करना चाहिये।

६-केले में पोटैशियम पाया जाता है, जो उच्चरक्तचाप के रोगियों के लिए विशेष लाभकारी होता है| केला खाने से उच्चरक्तचाप सामान्य बना रहता है |

७- दो केले लगभग १०० ग्राम दही के साथ सेवन करने से दस्त व पेचिश में लाभ होता है |

८- केले पर चीनी और इलायची डालकर खाने से खट्टी डकारें आनी बंद हो जाती हैं |

पेट में कीड़े :छुटकारा पाने के कुछ सरल उपाय

पेट में कीड़े

कई बार किन्ही कारणों से पेट में कीड़े हो जाते हैं जिनसे काफी पीड़ा होती है | पेट में पाए जाने वाले कीड़ों के सामान्य लक्षण है --- सोते हुए दाँत पीसना ,शरीर का रंग पीला या काला होना , भोजन से अरुचि , होंठ सफ़ेद होना , शरीर में सूजन होना आदि | तो आइए जानते हैं इनसे छुटकारा पाने के कुछ सरल उपाय :-----

1-अनार के छिलकों को सुखाकर चूर्ण बना लें | यह चूर्ण दिन में तीन बार एक -एक चम्मच लें , इससे पेट के कीड़े नष्ट हो जाते हैं |

2 -टमाटर को काटकर ,उसमें सेंधा नमक और कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर सेवन करें | इस प्रयोग से पेट के कीड़े मर कर गुदामार्ग से बाहर निकल जाते हैं |

3-लहसुन की चटनी बनाकर उसमें थोड़ा-सा सेंधा नमक मिलाकर सुबह -शाम खाने से पेट के कीड़े नष्ट होते हैं |

4 -नीम के पत्तों का रस शहद में मिलकर पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं |

5 -कच्चे केले की सब्ज़ी 7 -8 दिन तक लगातार सेवन करने से पेट के कीड़े मर जाते हैं |

6 -तुलसी के पत्तों का एक चम्मच रस दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े मरकर मल के साथ बाहर निकल जाते हैं |

7 - अजवायन का 1-2 ग्राम चूर्ण छाछ के साथ पीने से पेट के कीड़े समाप्त हो जाते हैं | यदि छोटे बच्चों के पेट में कीड़े हो गए हों तो आप उन्हें लगभग आधा ग्राम काला नमक व आधा ग्राम अजवायन का चूर्ण मिलकर सोते समय गुनगुने पानी से दें लाभ होगा |

मिर्गी रोग होने के और भी कई कारण हो सकते हैं

मिर्गी रोग होने के और भी कई कारण हो सकते हैं जैसे- बिजली का झटका लगना, नशीली दवाओं का अधिक सेवन करना, किसी प्रकार से सिर में तेज चोट लगना, तेज बुखार तथा एस्फीक्सिया जैसे रोग का होना आदि। इस रोग के होने का एक अन्य कारण स्नायु सम्बंधी रोग, ब्रेन ट्यूमर, संक्रमक ज्वर भी है। वैसे यह कारण बहुत कम ही देखने को मिलता है।
मिर्गी एक ऐसी बीमारी है जिसे लेकर लोग अक्सर बहुत ज्यादा चिंतित रहते हैं। हालांकि रोग चाहे जो भी हो, हमेशा परेशान करने वाली तथा घातक होती है। इसलिए हमें किसी भी मायने में किसी भी रोग के साथ कभी भी बेपरवाह नहीं होना चाहिए। खासतौर पर जब बात मिर्गी जैसे रोगों की हो तो हमें और भी सतर्क रहना चाहिए।
मिर्गी के रोगी अक्सर इस बात से परेशान रहते हैं कि वे आम लोगों की तरह जीवन जी नहीं सकते। उन्हें कई चीजों से परहेज करना चाहिए। खासतौर पर अपनी जीवनशैली में आमूलचूल परिवर्तन करना पड़ता है जिसमें बाहर अकेले जाना प्रमुख है।
यह रोग कई प्रकार के ग़लत तरह के खान-पान के कारण होता है। जिसके कारण रोगी के शरीर में विषैले पदार्थ जमा होने लगते हैं, मस्तिष्क के कोषों पर दबाब बनना शुरू हो जाता है और रोगी को मिर्गी का रोग हो जाता है।
दिमाग के अन्दर उपलब्ध स्नायु कोशिकाओं के बीच आपसी तालमेल न होना ही मिर्गी का कारण होता है। हलांकि रासायनिक असंतुलन भी एक कारण होता है।

-अंगूर का रस मिर्गी रोगी के लिये अत्यंत उपादेय उपचार माना गया है। आधा किलो अंगूर का रस निकालकर प्रात:काल खाली पेट लेना चाहिये। यह उपचार करीब ६ माह करने से आश्चर्यकारी सुखद परिणाम मिलते हैं।

-मिट्टी को पानी में गीली करके रोगी के पूरे शरीर पर प्रयुक्त करना अत्यंत लाभकारी उपचार है। एक घंटे बाद नहालें। इससे दौरों में कमी होकर रोगी स्वस्थ अनुभव करेगा।
-मानसिक तनाव और शारिरिक अति श्रम रोगी के लिये नुकसान देह है। इनसे बचना जरूरी है।
-मिर्गी रोगी को २५० ग्राम बकरी के दूध में ५० ग्राम मेंहदी के पत्तों का रस मिलाकर नित्य प्रात: दो सप्ताह तक पीने से दौरे बंद हो जाते हैं। जरूर आजमाएं।
-रोजाना तुलसी के २० पत्ते चबाकर खाने से रोग की गंभीरता में गिरावट देखी जाती है।
-पेठा मिर्गी की सर्वश्रेष्ठ घरेलू चिकित्सा में से एक है। इसमें पाये जाने वाले पौषक तत्वों से मस्तिष्क के नाडी-रसायन संतुलित हो जाते हैं जिससे मिर्गी रोग की गंभीरता में गिरावट आ जाती है। पेठे की सब्जी बनाई जाती है लेकिन इसका जूस नियमित पीने से ज्यादा लाभ मिलता है। स्वाद सुधारने के लिये रस में शकर और मुलहटी का पावडर भी मिलाया जा सकता है।
-गाय के दूध से बनाया हुआ मक्खन मिर्गी में फ़ायदा पहुंचाने वाला उपाय है। दस ग्राम नित्य खाएं।
गर्भवती महिला को पड़ने वाला मिर्गी का दौरा जच्चा और बच्चा दोनों के लिए तकलीफदायक हो सकता है। उचित देखभाल और योग्य उपचार से वह भी एक स्वस्थ शिशु को जन्म दे सकती है।
मिर्गी की स्थिति में गर्भ धारण करने में कोई परेशानी नहीं है। इस दौरान गर्भवती महिलाएं डॉक्टर की सलाह के अनुसार दवाइयां लें। मां के रोग से होने वाले बच्चे पर कोई असर नहीं पड़ता। गर्भवती महिला समय-समय पर डॉक्टर से जांच कराती रहें, पूरी नींद लें, तनाव में न रहें और नियमानुसार दवाइयां लेती रहें। इससे उन्हें मिर्गी की परेशानी नहीं होगी। गर्भवती महिला के साथ रहने वाले सदस्यों को भी इस रोग की थोड़ी जानकारी होना आवश्यक है।