शुक्रवार, 25 अप्रैल 2025

आउटसोर्सिंग कार्मिकों की सेवा संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करने गठित होगा आउटसोर्स सेवा निगम: मुख्यमंत्री*

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सराहनीय है आउटसोर्सिंग कार्मिकों की सेवाभावना और कर्त्तव्यपरायणता: मुख्यमंत्री*


*आउटसोर्सिंग कार्मिकों की सेवा संबंधी सुरक्षा सुनिश्चित करने गठित होगा आउटसोर्स सेवा निगम: मुख्यमंत्री*


*वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में हुई थी घोषणा, निगम के गठन के लिए मुख्यमंत्री ने दिए दिशा-निर्देश*


*मुख्यमंत्री का निर्देश, आउटसोर्सिंग कार्मिकों को भी मिले मेडिकल सुविधा, मातृत्व अवकाश, दुर्घटना बीमा, पेंशन एवं पारिवारिक पेंशन सहित सभी लाभ*


*मुख्यमंत्री का अधिकारियों को निर्देश, आउटसोर्सिंग नियुक्तियों में सुनिश्चित करायें आरक्षण प्रावधानों पालन*


*आउटसोर्स सेवा निगम" के गठन से सुनिश्चित होगी पारिश्रमिक व सामाजिक सुरक्षा: मुख्यमंत्री*


*आउटसोर्सिंग कार्मिक को सेवा से हटाने से पूर्व संबंधित विभाग के सक्षम अधिकारी की संस्तुति होगी जरूरी: मुख्यमंत्री*


*प्रत्येक माह की 5 तारीख तक सभी कार्मिकों के बैंक खाते में पूरा पारिश्रमिक जमा हो जाए, ईपीएफ व ईएसआई की राशि भी समय से जमा हो: मुख्यमंत्री*


*लखनऊ, 25 अप्रैल:-* मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य में कार्यरत आउटसोर्सिंग कार्मिकों की सेवा, श्रम अधिकारों एवं पारिश्रमिक की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए "उत्तर प्रदेश आउटसोर्स सेवा निगम" (UPCOS) के गठन के निर्देश दिए हैं। शुक्रवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करते हुए कहा कि राज्य सरकार आउटसोर्सिंग कार्मिकों के श्रम के सम्मान व जनहित में किए जा रहे कार्यों की सराहना करती है और उनकी सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देती है। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान में आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से कार्यरत कार्मिकों को वेतन में कटौती, समय से भुगतान न होना, ईपीएफ/ईएसआई जैसी सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का लाभ न मिल पाना, पारदर्शी चयन प्रक्रिया का अभाव, उत्पीड़न आदि शिकायतें प्राप्त होती हैं। ऐसे में व्यवस्था में व्यापक परिवर्तन किया जाना आवश्यक है। 


प्रस्तावित निगम के स्वरूप पर चर्चा करते हुये मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी कर्मचारी को सेवा प्रदाता एजेंसी द्वारा तब तक सेवा से नहीं हटाया जाए, जब तक कि सम्बंधित विभाग के सक्षम अधिकारी की संस्तुति न हो। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रत्येक माह की 5 तारीख तक सभी कार्मिकों के बैंक खाते में पूरा पारिश्रमिक जमा हो जाए। साथ ही, ईपीएफ व ईएसआई की राशि भी समय से जमा हो। नियमों के उल्लंघन पर एजेंसियों पर ब्लैकलिस्टिंग, डिबार, पेनाल्टी व वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जाए। निगम का गठन करते हुए इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान होने चाहिए। मुख्यमंत्री ने यह भी निर्देश दिये कि आउटसोर्सिंग निगम के माध्यम से होने वाली सभी नियुक्तियों में नियमानुसार आरक्षण प्रावधानों का पालन किया जाए। इसी प्रकार, मेडिकल सुविधा, मातृत्व अवकाश, दुर्घटना बीमा, पेंशन एवं पारिवारिक पेंशन सहित सभी लाभ निगम के माध्यम से सुनिश्चित किये जाएं। 


मुख्यमंत्री के निर्देश पर बनने जा रहे इस निगम के माध्यम से तीन पक्षीय समझौते के तहत विभाग, निगम व आउटसोर्सिंग एजेंसी के बीच समन्वित रूप से सभी प्रक्रियाएं संचालित होंगी। पारदर्शी चयन प्रक्रिया, जेम पोर्टल से एजेंसियों का चयन, मेरिट आधारित भर्ती, आधुनिक तकनीकों का प्रयोग, ईपीएफ/ईएसआई की समयबद्ध जमा व निगरानी तथा आरक्षण नियमों का पालन सुनिश्चित होगा। उन्होंने कहा कि निगम एक सुगठित ढांचा के तहत कार्य करेगा, जिसमें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, सलाहकार समिति, राज्य व जिला स्तरीय कमेटियाँ गठित होंगी। जेम पोर्टल द्वारा तीन वर्षों के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसियों का चयन किया जाना उचित होगा, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाए कि कार्यरत वर्तमान कार्मिकों की सेवाएं बाधित नहीं होंगी।


मुख्यमंत्री ने कहा कि "राज्य सरकार सभी कार्मिकों की गरिमा, सुरक्षा और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए संकल्पित है। यह निगम न केवल प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शिता लाएगा, बल्कि लाखों आउटसोर्सिंग कार्मिकों के जीवन में स्थायित्व व भरोसा प्रदान करेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस संबंध में आवश्यक प्रस्ताव तैयार कर यथाशीघ्र प्रस्तुत किया जाए।

गुरुवार, 24 अप्रैल 2025

कैंसर संस्थान में ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग कार्यशाला स्तन कैंसर का जल्दी पता लगने से संभव होगा इलाज

 

कैंसर संस्थान  में ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग  कार्यशाला 


स्तन कैंसर का जल्दी पता लगने से संभव होगा इलाज




 सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग, कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान   द्वारा हेल्थ टेक्नोलॉजी असेसमेंट इंडिया  के सहयोग से ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग पर एक प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला का उद्घाटन प्रबंध निदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन

डॉ. पिंकी जोवेल ने किया । उन्होंने कहा कि ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग की महत्ता पर जोर दिया। उन्होंने आयुष्मान आरोग्य मंदिर की भी चर्चा की और प्रमुख संस्थानों के बीच सहयोग की आवश्यकता बताई।

आईआईटी कानपुर के प्रो. अमिताभ बंद्योपाध्याय ने कहा कि आई  आई टी कानपुर और कैंसर संस्थान के बीच सहयोग से कैंसर की रोकथाम, जांच और इलाज में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा।

 निदेशक प्रो. एम.एल.बी. भट्ट, कार्यकारी रजिस्ट्रार डॉ. शरद सिंह, डीन प्रो. साबुही कुरैशी और लोहिया संस्था के  डॉ. मनीष ने जानकारी दी।  डॉ. आयुष लोहिया ने  बताया कि  स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा किया गया क्लीनिकल ब्रेस्ट परीक्षण महिलाओं को समय रहते कैंसर से बचा सकता है और मृत्यु दर को घटा सकता है। साथ ही, यह इलाज में आने वाले आर्थिक बोझ को भी कम कर सकता है। डॉ. लोहिया  हेल्थ टेक्नोलॉजी असेसमेंट  परियोजना के प्रमुख अन्वेषक और आयोजन सचिव है।

बुधवार, 23 अप्रैल 2025

मातृशक्ति का महादान: ब्रेन डेड के बाद अंगदान से बचीं तीन जानें

 

मातृशक्ति का महादान: ब्रेन डेड के बाद अंगदान से बचीं तीन जानें

सेवानिवृत्त जेसीओ की पत्नी ने अंतिम क्षणों में दिखाई मानवता की मिसाल


लखनऊ। रायबरेली रोड पर हुए सड़क हादसे में घायल हुई एक 60 वर्षीय महिला, जो सेवानिवृत्त जूनियर कमीशन अधिकारी (जेसीओ) की पत्नी थीं, ने अपने जीवन के अंतिम क्षणों में तीन लोगों को जीवनदान देकर मानवता और मातृत्व की नई मिसाल पेश की।


दुर्घटना के बाद महिला को गंभीर स्थिति में कमांड अस्पताल (मध्य कमान), लखनऊ में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों की अथक कोशिशों के बावजूद उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। इसके बावजूद, उनके पति ने साहसिक निर्णय लेते हुए उनकी किडनी और लिवर दान करने का निर्णय लिया। इस फैसले से न सिर्फ तीन जिंदगियां बचीं, बल्कि समाज को अंगदान के महत्व का भी संदेश मिला।



कमांड अस्पताल लखनऊ ने सेना मुख्यालय नई दिल्ली तथा राज्य अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन  के साथ मिलकर इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। सोटो के संयुक्त निदेशक प्रो. आर. हर्षवर्धन और एसजीपीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. नारायण प्रसाद ने नेतृत्व किया।


इस अनुकरणीय समन्वय में मेडिकल टीम, सेना, यूपी पुलिस और भारतीय वायुसेना ने सक्रिय भूमिका निभाई। अंग प्राप्ति से पहले, 'सम्मान के क्षण' के तहत दिवंगत महिला को दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।


तीन अंग, तीन जीवन


-एक किडनी को कमांड अस्पताल  में एक मरीज को सफलतापूर्वक प्रत्यारोपित किया गया।


-दूसरी किडनी को संजय गांधी पीजीआई  में प्रो. नारायण प्रसाद, प्रो. एम.एस. अंसारी और प्रो. संजय सुरेखा की टीम ने प्रत्यारोपित किया।


-लिवर को भारतीय वायुसेना के विशेष विमान से आर्मी हॉस्पिटल  नई दिल्ली भेजा गया, जहां इसे दूसरे मरीज को नया जीवन देने के लिए प्रत्यारोपित किया गया।




प्रो हर्ष वर्धन ने कहा कि इस मानवीय प्रयास से न केवल तीन जीवन बचे, बल्कि उत्तर प्रदेश में अंगदान की जागरूकता को भी एक नई दिशा मिली। यह घटना अंगदान के प्रति सामाजिक सोच में बदलाव लाने की प्रेरणा बनेगी और मृतक अंगदान कार्यक्रम को नई गति प्रदान करेगी।

केएसएसएससीआई लखनऊ और आईआईटी कानपुर ने किया एमओयू

 

कैंसर देखभाल और अनुसंधान में क्रांतिकारी कदम: केएसएसएससीआई लखनऊ और आईआईटी कानपुर ने किया एमओयू


लखनऊ, 


 कैंसर देखभाल और अनुसंधान को एक नई दिशा देने की दिशा देने के लिए कल्याण सिंह सुपर स्पेशियलिटी कैंसर संस्थान (KSSSCI), लखनऊ और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर के बीच आज एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। इस अवसर पर आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मनींद्र अग्रवाल और केएसएसएससीआई के निदेशक डॉ. मदन लाल ब्रह्म भट्ट उपस्थित रहे।


यह साझेदारी देश के अग्रणी कैंसर अनुसंधान केंद्र और शीर्ष तकनीकी संस्थान के बीच एक रणनीतिक सहयोग की शुरुआत है, जिसका उद्देश्य कैंसर की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए उन्नत तकनीकी और वैज्ञानिक समाधान विकसित करना है । इस से

 

शीघ्र निदान और प्रभावी उपचार के लिए नई तकनीकों का विकास और कार्यान्वयन होगा।


वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के आदान-प्रदान द्वारा शिक्षा और नवाचार को सशक्त होगा। 



समारोह के दौरान दोनों संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों ने कैंसर की जटिलताओं से निपटने के लिए अंतःविषय सहयोग की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि यह साझेदारी मरीज-केंद्रित कैंसर समाधानों में परिवर्तनकारी प्रगति की दिशा में एक बड़ा कदम है।


यह सहयोग भारत में कैंसर की स्थिति में सुधार की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है और तकनीकी नवाचार के साथ चिकित्सा विज्ञान को जोड़ने का एक प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करता है।


यह समझौता न केवल अनुसंधान को बल देगा, बल्कि कैंसर देखभाल के क्षेत्र में नई संभावनाओं के द्वार भी खोलेगा।

पीजीआई केंदीय विद्यालय में कार्यक्रम का आयोजन

 



कक्षा-01 के अभिभावकों के लिए ओरिएंटिएशन कार्यक्रम का आयोजन  


केंद्रीय विद्यालय एस.जी.पी.जी.आई. लखनऊ में आज दिनांक 23-04-2025 को सत्र 2025-26 में कक्षा-01 के नव प्रवेशी विद्यार्थियों के अभिभावकों के लिए ओरिएंटिएशन कार्यक्रम का आयोजन किया गया | कार्यक्रम का उद्देश्य अभिभावकों को केंद्रीय विद्यालय संगठन एवं विद्यालय से परिचय कराना तथा नव प्रवेशी बच्चों के समग्र विकास एवं उनको विद्यालय की गतिविधियों और अन्य रचनात्मक परिवेश से अवगत कराना था |

कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्राथमिक शिक्षक मो. नसरुद्दीन द्वारा अभिभावकों के औपचारिक स्वागत किया गया  इसके बाद प्राथमिक संभाग के विद्यार्थियों द्वारा अभिभावकों का स्वागत अत्यंत ही मनमोहक स्वागत गीत से किया गया | तत्पश्चात कक्षा-01 की कक्षाध्यापिका श्रीमती नौशीन सिद्दीकी द्वारा अभिभावकों से केंद्रीय विद्यालय संगठन का परिचय कराते हुये कक्षा -01 के लिए विद्यालय यूनिफ़ोर्म,पुस्तकें,कॉपियाँ अन्य स्टेशनरी तथा बच्चों के लिए लागू होने वाले समस्त गतिविधियों आदि पर विस्तृत प्रकाश डाला साथ ही अभिभावकों की विभिन्न शंकाओं का भी समाधान किया गया | 

विद्यालय के प्रभारी प्राचार्य डॉ.कौशलेन्द्र सिंह ने अभिभावकों को संबोधित करते हुये कहा कि आज के समय में बच्चों के शैक्षिक विकास के साथ ही  संस्कारों एवं मूल्यों के विकास की सर्वाधिक जरूरत है | मूल्यों का विकास तभी संभव है जब हम क्रियात्मक रूप से हम अपने बच्चों को सिखाएँगे | हमारी आगामी पीढ़ी का भविष्य तभी उज़्ज्वल होगा जब वे एक सभी एवं संसकारवान नागरिक बनेंगे|

विद्यालय में आए हुये कई अभिभावकों ने इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त किए तथा आज के कार्यक्रम की सराहना करते हुये बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया |

अंत में  विद्यालय की शिक्षिका श नौशीन सिद्दीकी के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ | कार्यक्रम के सुगम आयोजन में विद्यालय के शिक्षक श्री शोएब इस्लाम, राजीव कुमार मालिक, फराजुल हसन आदि शिक्षकों का विशेष योगदान रहा |



                                                                                                            

सोमवार, 21 अप्रैल 2025

पंच-परिवर्तन’ से राष्ट्रीय पुनर्निर्माण

 


  बीते 100 वर्ष से हिन्‍दू समाज को संगठित एवं जागृत कर रहा है संघ : दत्‍तात्रेय जी होसबाले


- राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ लखनऊ विभाग की 'शाखा टोली का एकत्रीकरण' कार्यक्रम 


। राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ लखनऊ विभाग की 'शाखा टोली का एकत्रीकरण' लखनऊ के आशियाना क्षेत्र स्थित स्‍मृति उपवन में आयोजित किया गया। इसमें मुख्‍य अतिथि के रूप में उपस्थित माननीय सरकार्यवाह श्रीमान दत्‍तात्रेय होसबाले जी ने कहा, 'स्‍वयंसेवक शाखा के माध्‍यम से भारत के परम वैभव के लिये प्रतिदिन साधना कर रहे हैं।' साथ ही, उन्‍होंने यह भी कहा कि संघ 100 वर्षों से हिन्‍दू समाज को जागृत करता आ रहा है। संघ हिन्‍दुओं को सेवाभावी हिन्‍दू बनाने के साथ ही अकेले हिन्‍दू को शक्तिशाली एवं राष्‍ट्रीय हिन्‍दू बनाने का कार्य कर रहा है। हिन्‍दुओं को समरसता की धारा में लाने का कार्य संघ ने किया है।


माननीय सरकार्यवाह जी ने कहा, पवित्र भगवा ध्‍वज के सम्‍मुख हम सभी यहां एकत्र हुए हैं, यह अपने कार्य पद्धति का हिस्‍सा है। संघ समय-समय पर अपने कार्यकर्ताओं को ठीक बनाये रखने एवं गुणवत्‍तापूर्ण बनाने के लिये इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करता रहता है। यह एक संगठनात्‍मक कार्यक्रम है। अपने संगठन को और मजबूत एवं सुसंगठित करने के लिये इस तरह के कार्यक्रम आयोजित होते हैं। इससे हमारे अंदर का स्‍वयंसेवकत्‍व बेहतर होता रहता है। इसकी तैयारी के लिये सभी ने अपनी-अपनी शाखा में कई दिनों तक मेहनत की है। 


इसके आगे उन्‍होंने कहा कि हम सब संघ के स्‍वयंसेवक हैं। हमने देश के लिये संकल्‍प लिया है। इस राष्‍ट्र को वैभव के शिखर एवं विकास के पथ पर ले जाने के लिये हम सदैव कार्यरत रहेंगे। ऐसा हम इसलिये करते हैं क्‍योंकि हम भारतवर्ष में जन्‍मे हैं। भारतवर्ष में जन्‍म लेने के लिये देवता भी तरसते हैं। इसलिये यहां जन्‍म लेना हमारा सौभाग्‍य है। ऐसे में हमारा कर्तव्‍य भी बनता है कि हम समाज और देश के प्रति अपने संकल्‍पनिष्‍ठ कर्तव्‍यों का निर्वहन करें। भारत के साहित्‍यकारों, वैज्ञानिकों एवंं समाजसेवकों आदि ने इसे भारत तो बना दिया है। इस धरती को सँवार भी दिया है लेकिन इसे निरंतर उच्‍चता की ओर ले जाने के लिये हमें भी अपने कर्तव्‍यों ने का निर्वहन करना होगा। 


माननीय सरकार्यवाह जी ने कहा, इस देश के लिये जिन महापुरुषों ने बलिदान दिया है, उन सबका हमें नाम तक याद नहीं रहता। ऐसे अनेक वीर हैं जिन्‍होंने आवश्‍यकता पड़ने पर अपने जीवन को न्‍योछावर करते हुये भारतीयता और धर्म की रक्षा की है। देश की खातिर अपने जीवन को समर्पित करने वाले ऐसे लोगों की तरह ही हमें भी अपना जीवन निर्वहन करना होगा। ऐसे महापुरुषों का कर्ज हम सब पर हैं। उन्‍होंने कहा, 'एक स्‍वयंसेवक का सपना होता है कि 'देश हमें सब कुछ देता है, हम भी देश को कुछ देना सीखें।' 


माननीय सरकार्यवाह जी ने कहा कि सामाजिक काम तो पहले भी बहुत से लोगों ने किया है। ऐसे महापुरुषों से हम प्रेरणा लेते हुये उन्‍हें नमन करते हैं। मगर इसमें विचारणीय है कि आरएसएस की भूमिका क्‍या है? इसे स्‍पष्‍ट करते हुये उन्‍होंने कहा कि संघ का कार्य है कि हर प्रकार का व्‍यक्‍ति अपने कार्य करते हुये देश-समाज के लिये कुछ न कुछ करे, यही राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ का कार्य है। संघ की विशेषता है कि एक ही समय में ए‍क ही पद्धति से एक ही लक्ष्‍य के साथ स्‍वयंसेवक शाखा का कार्य रहे हैं। आप दक्षिण जाएं या उत्‍तर या पश्चिम या पूरब, सभी जगहों पर संघ की शाखा में जाकर देखने पर आप पाएंगे कि हर मौसम में संघ के स्‍वयंसेवक एक ही पद्धति से शाखा का आयोजन करते हैं। स्‍वयंसेवक शाखा के माध्‍यम से भारत के परम वैभव के लिये प्रतिदिन साधना कर रहे हैं। 

 

उन्‍होंने कहा कि कुम्‍भ भारत की आध्‍यात्‍मिक व सांस्‍कृतिक पहचान है। भारत और हिन्‍दुओं की पहचान है हाल में हुआ कुम्‍भ मेला। कोई इसे भारतीयता, कोई हिन्‍दुत्‍व तो कोई संस्‍कृति कहता है। संघ बीते 100 वर्षों से हिन्‍दू समाज को जागृत करता आ रहा है। इसीलिये संघ 100 वर्षों के पश्‍चात भी बढ़ता जा रहा है। हिन्‍दू समाज के साथ एक समस्‍या है कि इसे कोई महापुरुष आता है जगाता है। मगर वह फिर सो जाता है। ऐसा एक बार नहीं कई बार हुआ है। हिन्‍दू समाज को बार-बार जागृत करना होता है। मगर वह बार-बार सो जाता है। ऐसा ही कार्य डॉ हेडगेवार जी ने किया है। संघ ने सदैव हिन्‍दुओं को जगाने का कार्य किया है।


उन्‍होंने कहा कि आने वाले एक वर्ष में शाखा का प्रत्‍येक कार्यकर्ता समाज में परिवर्तन लाने का कार्य करेंगे। इसके लिये संघ के पंच परिवर्तन के कार्य को हर मंडल, हर शाखा, हर टोली तक पहुंचाना होगा। यह कार्य करने के लिये हम सबको व्‍यापक स्‍तर पर तैयारी करनी होगी। स्‍वयंसेवक होने के नाते हम सबको समय देना होगा, हमें अनुशासन में रहना होगा। संघ का कार्य एक दृष्टि से साधना है। प्रत्‍येक कार्यकर्ता अपना मूल्‍यांकन करता रहे। वह जो भी गलती करता है, उससे सबक लेता है। उन्‍होंने कहा कि संघ के लोग आपदा के समय में प्रथम पंक्ति में खड़े रहते हैं। हमें कार्यकारिणी, अभ्‍यास वर्ग आदि की गुणवत्‍ता बढ़ानी चाहिये। हमारी गुणवत्‍ता की हर दिन परीक्षा होती है। यह आसान काम नहीं है। प्रतिदिन की शाखा देखने में तो आसान होती है मगर नियमित शाखा चलाना आसान नहीं है। जिंदगी भर संघ का कार्य करते हुये समाज का कार्य करने का हमने संकल्‍प लिया है। पूजा करने के समान ही संघ का कार्य भी पवित्र भाव से किया जाने वाला कार्य है। जब तक हिन्‍दू समाज है, हमें यह कार्य करना है। 


इस अवसर पर उन्‍होंने कहा कि संघ हिन्‍दू राष्‍ट्र नहीं बना रहा है। हिन्‍दू राष्‍ट्र तो पहले से है। संघ हिन्‍दुओं को सेवाभावी हिन्‍दू बनाने एवं अकेले हिन्‍दू को शक्तिशाली बनाने का कार्य कर रहा है। जातीय हिन्‍दू को राष्‍ट्रीय हिन्‍दू बनाने का कार्य कर रहा है। हिन्‍दुओं को समरसता की धारा में लाने का कार्य संघ ने किया है। भले ही जन्‍म से वह हिन्‍दू है मगर उसके आचरण, स्‍वभाव और विचार से उसे सम्‍पूर्ण हिन्‍दू बनाने का कार्य संघ कर रहा है। समाज के अंदर परिवर्तन लाने का कार्य हम कर रहे हैं। इसी प्रकार पर्यावरण की रक्षा करना, पौधे लगाना आदि यह सब समाज के गुणात्‍मक परिवर्तन हैं। संघ अपने कार्यों से समृद्धशाली एवं संगठित हिन्‍दू समाज बनाने का कार्य कर रहा है। संघ का हर स्‍वयंसेवक राष्‍ट्र की आराधना के लिये उदाहरण प्रस्‍तुत करे। समाज में बहुत सारे लोग अच्‍छा कार्य करना चाहते हैं। ऐसे लोगों के साथ मिलकर हमें उनका हृदय जीतते हुये कार्य करना चाहिये। ऐसा करने से भारत वैभवशाली होगा। फिर समृद्ध भारत विश्‍व में मंगल लाने का कार्य करेगा। भारत उठ रहा है, भारत उठेगा। भारत किसी को दास बनाने के लिये नहीं उठेगा, वह तो विश्‍व में मंगल लाने के लिये उठेगा।

 

इससे पूर्व मंच के सामने के वृहद मैदान में ध्‍वजारोहण, प्रार्थना, प्रदक्षिणा, सामूहिक विषय प्रदर्शन, प्रदर्शन घोष, सामूहिक घोष, सामूहिक दंड योग, सामूहिक व्‍यायाम योग, सामूहिक आसन, सामूहिक गणगीत, सुभाषित, मंच परिचय, अमृत वचन एवं एकलगीत कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय प्रचारक प्रमुख स्‍वांत रंजन जी, क्षेत्र प्रचारक अनिल जी, प्रांत संघचालक सरदार स्‍वर्ण सिंह, सह प्रांत संघचालक सुनीत खरे जी, प्रांत प्रचारक कौशल जी, सह प्रांत प्रचारक संजय जी, इतिहास संकलन योजना के राष्‍ट्रीय सह संगठन मंत्री संजय जी, संयुक्‍त क्षेत्र के कुटुम्‍ब प्रबोधन प्रमुख ओमपाल सिंह जी, संयुक्‍त क्षेत्र ग्राम विकास प्रमुख वीरेंद्र सिंह, क्षेत्र के प्रचारक प्रमुख राजेंद्र जी, क्षेत्र के धर्म जागरण प्रमुख अभय जी, क्षेत्र के व्‍यवस्‍था प्रमुख जयप्रकाश जी, क्षेत्र कुटुम्‍ब प्रबोधन प्रमुख अशोक उपाध्‍याय जी, सह प्रांत कार्यवाह डॉ अविनाश जी, प्रांत प्रचारक प्रमुख यशोदा नंदन जी, प्रांत के सम्‍पर्क प्रमुख गंगा सिंह जी, सामाजिक समरसता गतिविधि के सह प्रांत संयोजक राजकिशोर जी, प्रांत के सह सम्‍पर्क प्रमुख डॉ हरिनाम सिंह, विभाग कार्यवाह अमितेश जी, सह विभाग कार्यवाह बृजेश पांडेय जी, सह विभाग कार्यवाह पंकज जी, विभाग प्रचारक अनिल जी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।


यह है पंच परिवर्तन संकल्प

सामाजिक समरसता : समाज के विभिन्न वर्गों के बीच सौहार्द और प्रेम बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित।

कुटुम्ब प्रबोधन : परिवार को राष्ट्र के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली इकाई के रूप में संवर्धित करना।

पर्यावरण संरक्षण : पृथ्वी को माता मानकर पर्यावरण संरक्षण हेतु जीवनशैली में बदलाव।

स्वदेशी और आत्मनिर्भरता : देश की स्वदेशी अर्थव्यवस्था और आत्मनिर्भरता पर जोर।

नागरिक कर्तव्य : प्रत्येक नागरिक का सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन और राष्ट्रहित में योगदान।

शनिवार, 19 अप्रैल 2025

83% इंजीनियरों को नौकरी नहीं



 83% इंजीनियरों को नौकरी नहीं 


चुभता सच : 50% MBA को कोई पूछ 


. हाल ही में आई एक टैलेंट रिपोर्ट से पता चला है कि स्नातक हुए 83% इंजीनियरिंग छात्र बिना किसी नौकरी या इंटर्नशिप के हैं. देश के बिजनेस स्कूलों के छात्रों में यह आंकड़ा लगभग 50% है. छात्रों और स्नातकों के लिए एक प्रमुख प्रतिभा आकर्षण, मूल्यांकन और भर्ती मंच अनस्टॉप की इस रिपोर्ट ने यह भी खुलासा किया कि पिछले साल चार में से एक स्नातक ने बिना वेतन वाली इंटर्नशिप पूरी की, जो 2023 में आठ में से एक से अधिक है. यह दर्शाता है। कि अधिक छात्र उद्योग अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं, भले ही उन्हें इसके लिए बिना वेतन के काम करना पड़े.


  इंटर्नशिप के भी पड़े हैं लाले


 इससे पता चलता है कि इंजीनियरिंग और एमबीए स्नातकों का एक बड़ा हिस्सा नौकरी या इंटर्नशिप के प्रस्ताव हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहा है. अनस्टॉप रिपोर्ट के निष्कर्ष 30,000 जेन जेड पेशेवरों और 700 एचआर लीडर्स के सर्वेक्षण पर आधारित हैं. सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक एमबीए स्नातक आय के कई स्रोतों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, जिसमें फ्रीलांसिंग उनका सबसे बेहतर विकल्प है.


 

लैंगिक समानता में आया सुधार 


अध्ययन से एक चौंकाने वाली बात यह पता चलती है कि कला स्नातकों को लैंगिक आधार पर न्यूनतम वेतन में भेदभाव का सामना करना पड़ता है. आर्टस ग्रैजुएट लड़‌कियों को 6 लाख रुपये सालाना का पैकेज मिलता है, जबकि इसी संकाय से पढ़ाई करने वाले लड़कों को अधिक आकर्षक पैकेज मिल रहा है. इनके उलट इंजीनियरिंग और एमबीए स्नातकों के बीच लैंगिक भेदभाव कम है. इससे पता चलता है कि विशेष रूप से आईटी और सर्विस कंपनियों में अधिक प्रचलित विविधतापूर्ण भर्ती प्रथाओं ने इन कंपनियों में वेतन भत्तों में लैंगिक समानता में सुधार किया है.


 कॉलेज की प्रतिष्ठा अब पैमाना नहीं


 इस रिपोर्ट से कोई भी यह निष्कर्ष निकाल सकता है कि इंजीनियरिंग स्नातकों के बीच उच्च बेरोजगारी दर शीर्ष संस्थानों में पढ़ाई करने वाले योग्य उम्मीदवारों के लिहाज से है. हालांकि रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रमुख संस्थान में पढ़ाई का महत्व भर्ती कर्ताओं के लिए तेजी से अप्रासंगिक हो गया है. लगभग 73% भर्ती कर्ता अब स्नातक के कॉलेज की प्रतिष्ठा के बजाय प्रतिभा केंद्रित भर्ती को प्राथमिकता देते हैं. उनके पैमाने पर अब यह शीर्ष पर है कि योग्य उम्मीदवार दबाव और चुनौतियों के सामने आने पर किस तरह की प्रतिक्रिया देता है. यह संस्थागत संबद्धता पर कौशल और क्षमता को महत्व देने की ओर आते बदलाव को दर्शाती है. इस बदलाव के बावजूद चार में से एक नौकरी की पेशकश ई-कॉमर्स, स्टार्टअप और उत्पाद-केंद्रित कंपनियों जैसे अगली पीढ़ी की कंपनियों से आई है.


 रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष


 73% कॉलेज टैग की तुलना में प्रतिभा को प्राथमिकता


 83% इंजीनियरिंग स्कूल ग्रेजुएट  बेरोजगार

 46% में बिज़नेस स्कूल ग्रेजुएट बेरोजगार


51% कई आय स्रोत तलाशते जेनरेशन जेड प्रोफेशनल्स


 66% महिला कला-साइंस स्नातकों का 6 लाख वेतन


 77% जेन जेड दे रहे मासिक आधारित समीक्षा


 25% ई-कॉमर्स स्टार्टअप और उत्पादन कंपनियों के जरिए जॉब

शुक्रवार, 18 अप्रैल 2025

फैटी लिवर के साथ डायबिटीज की आशंका तीन गुना अधिक

 

विश्व लिवर डे आज , थीम भोजन ही औषधि


फैटी लिवर के साथ डायबिटीज की आशंका तीन गुना अधिक


फैटी लिवर के साथ डायबिटीज तो लिवर सिरोसिस की आशंका अधिक


स्वस्थ खाएं, लिवर को बचाएं


 कुमार संजय


19 अप्रैल को विश्व लीवर डे मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य लोगों को लिवर से जुड़ी बीमारियों के प्रति जागरूक करना और उसके संरक्षण के उपाय बताना है। इस वर्ष की थीम फूड इज मेडिसिन (भोजन ही औषधि है)। संजय गांधी पीजीआई के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजिस्ट प्रो.गौरव पाण्डेय के मुताबिक  लिवर स्वास्थ्य के लिए संतुलित और पोषणयुक्त आहार जरूरी है। लिवर को स्वस्थ रखने के लिए कोई दवा नहीं चाहिए, सही खानपान ही सबसे बड़ी दवा है। अगर हम रोजाना अपने भोजन में प्राकृतिक, ताजा और पौष्टिक चीजों को शामिल करें और व्यायाम करें  तो लिवर को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है। लीवर की एक खासियत होती है कि यह खुद को ठीक कर सकता है। अगर इसका 60 से 70 फीसदी हिस्सा भी खराब हो जाए, तो भी यह दोबारा बढ़कर पहले जैसा हो सकता है। प्रो पाण्डेय  कहते है कि अधिक वसा युक्त भोजन लिवर का दुश्मन साबित हो रहा है। संस्थान की ओपीडी में आने वाले लिवर की परेशानी  के मरीजों में देखा कि फैटी लिवर डिजीज की दर चालीस फीसदी है जबकि इतनी ही दर अल्कोहल के कारण है। एक समय था जब अल्कोहल बड़ा कारण था लेकिन आज फैटी लिवर और अल्कोहल के कारण बीमारी की दर बराबर हो गई। देखा  कि फैटी लिवर होने पर डायबिटीज की आशंका दो से तीन गुना बढ़ जाती है। डायबिटीज के साथ फैटी लिवर होने पर लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर की आशंका कई गुना बढ़ जाती है। संतुलित आहार और व्यायाम के जरिए ही लिवर को फैटी होने और डायबिटीज से बचा जा सकता है। फैटी लिवर है तो वजन सात से दस फीसदी कम करने की जरूरत है।    


 


 


 


 लिवर क्यों है शरीर के लिए महत्वपूर्ण


लिवर शरीर का एक बेहद महत्वपूर्ण अंग है, जो 500 से अधिक कार्यों में भाग लेता है। अगर लिवर ठीक से काम न करे, तो पूरा शरीर प्रभावित हो सकता है।


 -विषैले पदार्थों को बाहर निकालना


-पाचन में मदद करना (बाइल का निर्माण)


 -ऊर्जा का भंडारण और विनियमन


 -दवाओं को मेटाबोलाइज़ करना


 -रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखना


 


 


यह आहार  लिवर को स्वस्थ रखने में होते है मददगार


 


- हरी पत्तेदार सब्जियां-


 


- हल्दी - 


-लहसुन 


- ग्रीन टी-


- अखरोट 


- चुकंदर का जूस 




लीवर ठीक रखना है तो इससे बचे


-ज्यादा तला-भुना और फास्ट फूड


 -अत्यधिक शराब का सेवन


 -चीनी और अधिक कार्ब युक्त खाद्य पदार्थ


 -प्रोसेस्ड फूड (पैकेट्स, इंस्टैंट फूड्स)


 


लाइफस्टाइल


-नियमित व्यायाम करें


 -वजन को नियंत्रित रखें


 -समय-समय पर लिवर की जाँच करवाएं


 


 


 


 


 फैटी लिवर और शराब बन रहा  है कारण


शराब- 40 फीसदी


 नॉन-अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज-40 फीसदी


 हेपेटाइटिस बी वायरस  -11.5 फीसदी


 हेपेटाइटिस सी वायरस  - 6.2 फीसदी

गुरुवार, 17 अप्रैल 2025

पीजीआई नर्सिंग स्टाफ की आम सभा

 

दिनांक 17 अप्रैल को NSA द्वारा आम सभा आयोजित की जा रहीं है जिसमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चा की गई 

1. आगामी 1 मई को *OPS बहाली* हेतु NMOPS द्वारा जंतर-मंतर दिल्ली में किए जा रहे विशाल प्रदर्शन में हमारे संस्थान के नर्सिंग अधिकारियों व NSA की सहभागिता। 

2. *8 वें वेतन आयोग* में नर्सिंग कैडर सरंचना के प्रस्ताव के संबंध में।

3. *80:20 लैंगिक भेदभाव* काले कानून के विरोध में आगामी आंदोलन के समर्थन व NSA की भूमिका।

4. *नर्सिंग ऑफिसर्स क्लब* की स्थापना के संबंध में। 

5. 2 मई को *AIGNF द्वारा आयोजित बैठक* में भाग लेने के संबंध में। 

समय- अपराह्न 1 से 3 बजे तक। 

स्थान-  पार्क प्लाजा ( प्रशासनिक भवन के सामने)

बैठक में  

नर्सिंग स्टाफ एसोसिएशन की अध्यक्ष श्रीमती लता सचान एवं महामंत्री श्री विवेक शर्मा  ,  उपाध्यक्ष श्री सुजान सिंह, श्री राजकुमार,श्री मनोज वर्मा, श्रीमती मंजू लता कमल, श्रीमती सुखलेश कुमारी, श्रीमती स्मिता पीटर,अश्वनी पटेल,सुरेंद्र कटियार आदि पदाधिकारी उपस्थित रहे l

बुधवार, 16 अप्रैल 2025

चंद्रशेखर: सूर्य देव सिंह व वीरेंद्र_प्रताप_शाही से संबंधों को स्वीकार करने में गुरेज नहीं किया

 आज नेता लोगों से अपना पीछा छुड़ाते है।



चंद्रशेखर जी प्रधानमंत्री बनने के बाद भी स्वीकार करते थे की #सूर्यदेवसिंह और #वीरेंद्रप्रतापशाही मेरे छोटे भाई और मित्र की तरह से है।

इसी पर आधारित है वरिष्ठ पत्रकार सुरेश बहादुर सिंह जी का लेख 


चंद्रशेखर: जिन्होंने #सूर्यदेव_सिंह व #वीरेंद्र_प्रताप_शाही से संबंधों को स्वीकार करने में गुरेज नहीं किया


सुरेश बहादुर सिंह

वरिष्ठ पत्रकार 


"फलक को जिद है जहां बिजलियां गिराने की इन्हें भी जिद है वहीं आशियां बनाने की।”


 उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब में आयोजित ‘प्रेस से मिलिए’ कार्यक्रम में अपने धन्यवाद प्रस्ताव में जब मैंने उनके सम्मान में यह दो लाइनें पढ़ी थी तो बरबस ही उनके मुंह से निकला वाह सुरेश! और उन्होंने मुझे गले से लगा लिया ऐसे थे पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर जो अपने से छोटों को भी सम्मान देने में संकोच नहीं करते थे।


 वैसे तो चंद्रशेखर जी को मैंने पहली बार 1977 में सुना था जब वो इलाहाबाद के चौक इलाके में एक सभा को संबोधित करने आए थे 19 महीने जेल में बिताने के बाद यह उनकी पहली सार्वजनिक सभा थी। उन्हें सुनने के लिए भारी भीड़ इकट्ठा हुई थी और उन्होंने उस भीड को निराश भी नहीं किया था। हालांकि उस सभा के दौरान मैं उन्हें देख नहीं पाया था लेकिन उनके संबोधन से प्रभावित हुए बिना भी नहीं रह सका था। चंद्रशेखर जी से मेरी औपचारिक मुलाकात 1984 में सारनाथ सम्मेलन के दौरान बनारस में हुई थी तत्कालीन समाजवादी जनता पार्टी के नेता रघुनंदन सिंह काका ने चंद्रशेखर जी से दोपहर के भोज के दौरान मेरी मुलाकात कराई थी। मुझे देखते ही  श्री शेखर ने कहा था कि काका इन्हें भोजन कराओ और फिर मेरी तरफ देखते हुए इशारा किया था कि अरे, इन्होंने तो पैंट पहन रखी है इसलिए इन्हें जमीन पर मत बैठाओ, इनके लिए मेज कुर्सी का इंतजाम करो तभी ये भोजन कर पाएंगे उस दिन से ही मैं उनके व्यक्तित्व का कायल हो गया था। उस दौरान मैं नेशनल हेराल्ड में कार्यरत था। नेशनल हेराल्ड का कार्यालय समाजवादी जनता पार्टी के समीप ही था इसलिए अक्सर सजपा नेताओं के साथ मेरा उठना बैठना लगा रहता था उसी दौरान मेरी मुलाकात सपा के वरिष्ठ नेताओं ओम प्रकाश श्रीवास्तव, रामगोविंद चौधरी,एम ए लारी,ओमप्रकाश सिंह, यशवंत सिंह, सूर्यकुमार, रघुनंदन सिंह काका व जगदीप यादव से हुई, जिनकी गिनती चंद्रशेखर जी के करीबियों में हुआ करती थी। इन नेताओं की वजह से जब भी चंद्रशेखर जी लखनऊ आते थे उन से मेरी मुलाकात हो जाया करती थी। कभी-कभी ऐसा अवसर भी आता था जब चंद्रशेखर जी अकेले पार्टी कार्यालय में बैठे रहते थे और मैं उनके साथ विचारों का आदान प्रदान किया करता था इस दौरान मैंने देखा कि चंद्रशेखर जी में सुनने की क्षमता अजीब क्षमता थी। वह सामने वाले की बात इतने धैर्य से सुनते थे कि जैसे लगता था कि उन्हें उस घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है धीरे धीरे मेरी उनसे निकटता बढती गई।जैसे-जैसे मैं उनके नजदीक आता गया वैसे उनके व्यक्तित्व के विभिन्न पहलुओं बारे में जानकारी होती गई। स्वर्गीय शेखर जमीन से जुड़े नेता थे और उन्हें अपनी जमीन से बड़ा लगाव था एक यात्रा के दौरान जब एक रेलवे क्रॉसिंग पर उनकी गाड़ी रुकी तो उन्होंने मुझसे पास ही खड़े ठेले से भुजा व गुड़ की मिठाई लाने को कहा और बड़े ही चाव से उस यात्रा के दौरान वह उसे खाते रहे ।


यह था उनका देसी चीजों से आत्मीय लगाव। स्वर्गीय शेखर बहुत ही बेवाक और स्पष्टवादी थे उन्होंने अपने संबंधों को कभी छुपाया नहीं उन्होंने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि बिहार के माफिया सूर्यदेव सिंह उनके मित्र और गोरखपुर के माफिया वीरेंद्र शाही उनके छोटे भाई हैं हालांकि उनकी उस स्पष्टवादिता पर कई बार उनको आलोचनाओं का शिकार भी होना पड़ा लेकिन वह उससे डिगे नहीं। स्वर्गीय चंद्रशेखर जी ने कभी भी दबाव में किसी तरह की कोई बयान बाजी नहीं की।

मुहब्बत और मोबाइल युवाओं के लिए साबित हो रहा है खतरा



प्यार, सेक्स और मोबाइल यह युवाओं की जिंदगी बर्बाद कर सकती है।  युवावस्था में किसी भी लड़की से प्यार नहीं रहता है वह विपरीत सेक्स का आकर्षण होता है  और सेक्स के लिए ही आगे बढ़ता है। मोबाइल समय बर्बाद करता है । 

 


जो पुरुष अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रख सकता है, वही लंबे समय तक इस धरती पर सुख-शांति से जी सकता है।


पुरुषों को ये समझना चाहिए कि उनकी कई परेशानियों और पतनों की जड़ कई बार कई गर्लफ्रेंड्स होती हैं।


हर लड़की की आत्मा अच्छी नहीं होती।

कुछ राक्षसी स्वभाव की होती हैं, कुछ में ज़हर छिपा होता है, और कुछ औरतें किसी की किस्मत को बर्बाद करने वाली होती हैं। इसलिए सावधान रहें।


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1. हर बार अपने इरेक्शन  की बात मत मानो।

अधिकतर बार यह तुम्हें गलत दिशा में ले जाता है।

अगर आप अपने इरेक्शन पर नियंत्रण नहीं रख पाए, तो ज़िंदगी छोटी और गरीबी से भरी हो सकती है।


2. किसी लड़की के कर्व्स, बॉडी और फिगर को देखकर रिलेशनशिप मत बनाओ।

ये सब धोखा है, खासकर सोशल मीडिया पर। असली सुंदरता और मूल्य इससे कहीं ज्यादा होता है।


3.  अपने यौवन पर सयम रखना होगा


4. कई गर्लफ्रेंड्स रखना मर्दानगी नहीं है।

ये सिर्फ आपको औरतबाज़, धोखेबाज़, और बच्चा बनाता है — असली मर्द नहीं।


5. 

असली मर्द वह है जो अपनी जिम्मेदारियों से भागता नहीं, उन्हें पूरा करता है।


6. उस लड़की का सम्मान करो जो तुमसे सच्चा प्यार करती है।

किसी लड़की का प्यार और सपोर्ट मिलना आसान नहीं होता। यह उसकी भावनात्मक ताकत और ईमानदारी का सबूत है।


7. दुनिया उन्हीं पुरुषों को सम्मान देती है जो कामयाब होते हैं।

तुम्हारे पास अगर  गर्लफ्रेंड्स हैं, तो कोई तुम्हारी तारीफ नहीं करेगा।

ये सिर्फ समय, ऊर्जा, पैसा और पुरुषत्व की बर्बादी है।


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याद रखो:

ईमानदार, वफादार और ज़िम्मेदार पुरुष ही असली मर्द कहलाते हैं।

संयम ही सफलता की कुंजी है।

सोमवार, 14 अप्रैल 2025

पीजीआई में मनाई गई अंबेडकर जयंती

 

पीजीआई के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में बेबी फीडिंग रूम स्थापित

-अम्बेडकर जयंती मनायी गई 

पीजीआई के पीडियाट्रिक सर्जिकल सुपरस्पेशल्टी विभाग में रविवार को डॉ. भीमराव अंबेडकर की 135 वी जयंती पर ओपीडी और वार्ड में बेबी फीडिंग रूम (शिशु आहार कक्ष) का उदघाटन हुआ। संस्थान निदेशक डॉ. आरके धीमान ने इस सुविधा का उदघाटन किया। सभी ने बाबासाहेब को श्रद्धांजलि अर्पित की।

निदेशक ने बताया कि डॉ. अंबेडकर जयंती पर माताओं और शिशुओं के लिए यह अच्छी पहल है। संस्थान के दूसरे विभागों में बेबी फीडिंग रूम स्थापित किये जाएंगे। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. प्रशांत अग्रवाल से इस दिशा में आवश्यक पहल करने एवं इसके क्रियान्वयन की निगरानी करने का अनुरोध किया।

पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के प्रमुख प्रो. डॉ. बसंत कुमार ने बताया कि हिमालया के सहयोग से फीडिंग रूम स्थापित किये गए हैं। यहां माताओं को एक शांत, सुरक्षित और स्वच्छ वातावरण में अपने शिशुओं को स्तनपान कराने की सुविधा मिलेगी। डॉ. बसंत कुमार ने माताओं को स्तनपान के महत्व और मातृत्व अधिकारों की जानकारी दी। अंबेडकर जयंती के मौके पर आयोजित समारोह में गैस्ट्रो सर्जरी के प्रोफेसर अशोक कुमार , कार्डियक सर्जरी के पूर्व प्रमुख प्रोफेसर निर्मल गुप्ता, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर देवेंद्र गुप्ता सहित

नर्सिंग स्टाफ, पीजी छात्र और रोगी और उनके तीमारदार मौजूद रहे।

बीजेपी में अन्नामलाई के भविष्य को लेकर अटकलें तेज: राष्ट्रीय भूमिका

बीजेपी में अन्नामलाई के भविष्य को लेकर अटकलें तेज: राष्ट्रीय भूमिका







बीजेपी की तमिलनाडु इकाई की कमान नैनार नागेन्द्रन के हाथों में सौंपे जाने और एआईएडीएमके के साथ गठबंधन की औपचारिक घोषणा के बाद, निवर्तमान प्रदेश अध्यक्ष के. अन्नामलाई के भविष्य को लेकर अटकलें तेज हो गई हैं। माना जा रहा है कि अन्नामलाई ने यह पद छोड़कर इस गठबंधन का रास्ता आसान किया है और अब उन्हें कोई "राष्ट्रीय भूमिका" या दक्षिण भारत में कोई "बड़ी जिम्मेदारी" दी जा सकती है।


इस संकेत की झलक केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान में भी देखने को मिली, जिन्होंने अन्नामलाई के "अभूतपूर्व योगदान" की सराहना की। उन्होंने शुक्रवार को चेन्नई में कहा, "बीजेपी, अन्नामलाई जी के संगठनात्मक कौशल का उपयोग पार्टी के राष्ट्रीय ढांचे में करेगी।"


एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने कहा कि आईपीएस अधिकारी से नेता बने अन्नामलाई को पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष या महासचिव बनाया जा सकता है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि "उन्हें बाद में सरकार में भी शामिल किया जा सकता है।" हालांकि, अभी केंद्रीय मंत्रिमंडल में फेरबदल की कोई योजना नहीं है। उस नेता के अनुसार, "फिलहाल इस क्षेत्र से हमारे पास एक (केंद्रीय राज्य मंत्री) एल. मुरुगन हैं।"


तमिलनाडु जैसे राज्य में, जहां बीजेपी की मौजूदगी सीमित रही है, वहां अन्नामलाई को पार्टी की स्थिति मजबूत करने का श्रेय दिया जाता है। 2019 के लोकसभा चुनावों में जहां बीजेपी का वोट शेयर महज 3% था, वहीं पिछले साल हुए चुनावों में यह 11% से अधिक हो गया।


हालांकि, अन्नामलाई बीजेपी को अकेले चुनाव लड़वाने के पक्षधर थे, जिससे एआईएडीएमके से गठबंधन की संभावना कम हो गई थी। एक वरिष्ठ नेता ने कहा, "वह इस बात पर अड़े थे कि बीजेपी अकेले लड़े। लेकिन पार्टी ने महसूस किया कि यह कदम अगले 10-15 वर्षों के लिए लाभकारी नहीं होगा।"


एक अन्य बीजेपी नेता ने कहा कि अन्नामलाई को तब तक "दक्षिण भारत में एक महत्वपूर्ण भूमिका" दी जाएगी, जब तक कि केंद्रीय नेतृत्व उनके लिए पार्टी या सरकार में कोई भूमिका तय नहीं करता। उन्होंने कहा, "केरल में होने वाले आगामी चुनावों में वे अहम भूमिका निभाएंगे और दक्षिण भारत में हमारे स्टार प्रचारक होंगे, इसमें कोई संदेह नहीं है।"


एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने यह भी दावा किया कि तमिलनाडु में अन्नामलाई की संभावनाएं "सीमित" हैं क्योंकि वे और एआईएडीएमके प्रमुख ई. पलानीस्वामी दोनों गौंडर जाति से आते हैं।






 Speculation rife in BJP over Annamalai future: National role? NIKHILA HENRY HYDERABAD, APRIL 13 WITH NAINAR Nagendran at the helm of the BJP Tamil Nadu unit and its alliance with the AIADMK official, outgoing state BJP chief K Annamalai, who is seen to have stepped down to "facilitate" the tie-up, is likely to assume a "national role" or may be given a "greater responsibility" in the South. Indications to that effect came from Union Home Minister Amit Shah, who hailed the out-going state chief for his "unprece-dented contributions". "The BJP will leverage Annamalai ji's or-ganisational skills in the party's national framework," Shah said in Chennai on Friday. A senior BJP leader said Annamalai, an IPS officer-turned politician, could be made the party's national vice-president or general secretary. "He could also be inducted into the government at a later stage," the party func-tionary said on the condition of anonymity. Pointing out that there were no plans for a Union Cabinet reshuffle at the moment, the leader said Annamalai would need to wait. "At present, we have one (junior) minister (LMurugan) from the region." Annamalai is often credited Former TN BJP chief KAnnamalai with increasing the BJP's presence in a state where it has made few inroads so far. Even as the BJP's vote share in Tamil Nadu rose from just over 3% in the 2019 Lok Sabha polls to over 11% in last year's polls with Annamalai at the helm, the al-liance with AIADMK seemed im-probable as the IPS officer-tumed-politician was a strong advocate of the BJP contesting alone. "He has been adamant that the BJP contest alone. But the party realised that the move would not be beneficial for the next 10-15 years," a senior leader said. Another BJP leader said the former Tamil Nadu BJP chief would play an "important role in the South" till the central leader-ship found a role for him "within the party or governance". "He will be instrumental in the upcoming elections in Kerala and will be one of our star campaigners in the South. There is no doubt about it," the leader said. A senior BJP leader claimed Annamalai's chances in Tamil Nadu were "limited" as he and AIADMK chief Edappadi K Palaniswami hail from the Gounder caste.

सावधान बढ़ रही है आई एल डी की बीमारी

 आई एल डी समय पर पहचान और इलाज है ज़रूरी



बढ़ रही है आई एल डी की बीमारी


पीजीआई में आई एल डी पर सी एम ई 



फेफड़ों से जुड़ी एक गंभीर और जटिल बीमारी – इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज़ (आई एल डी)– को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी जल्दी पहचान और समुचित प्रबंधन से मरीजों अच्छी ज़िंदगी दी जा सकती है। यह बीमारी फेफड़ों के ऊतकों को प्रभावित करती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत, खांसी और थकान जैसी समस्याएं सामने आती हैं।आईएलडी एक ‘साइलेंट किलर’ की तरह काम कर सकती है अगर इसे नजरअंदाज किया जाए। ऐसे में जागरूकता, शुरुआती पहचान और समुचित इलाज ही इससे बचाव का एकमात्र रास्ता है। हर व्यक्ति का स्वास्थ्य उसका अधिकार है – और सांस लेना उसमें सबसे बुनियादी जरूरत।

 परिवार में किसी को लंबे समय से खांसी या सांस की समस्या हो रही है, तो बिना देरी के पल्मोनरी विशेषज्ञ से संपर्क करें।

संजय गांधी पीजीआई में

 आई एल डी पर आयोजित  सीएमई में  नवीनतम जांच विधियों और इलाज के तरीकों की जानकारी दी गई। कार्यक्रम में देशभर के विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया और बताया कि आईएलडी के मामले बढ़ रहे हैं, लेकिन आम लोगों और प्राथमिक चिकित्सकों में इसके प्रति जागरूकता अभी भी सीमित है।संस्थान  से

पल्मोनरी विभाग की विशेषज्ञ एवं आयोजन करता

डॉ. मानसी गुप्ता ने बताया कि आईएलडी की शुरुआत आम खांसी-जुकाम जैसी लग सकती है, लेकिन यह धीरे-धीरे गंभीर रूप ले लेती है। इसीलिए सही समय पर जांच और विशेषज्ञ की सलाह बेहद जरूरी है। केजीएमयू के   पल्मोनरी विभाग के 

 डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, केजीएमयू के डॉ. सूर्यकांत और डॉ. बी.पी. सिंह ने स्थानीय चुनौतियों और मरीजों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अनुभव साझा किया। सीएम का उद्घाटन निदेशक प्रोफेसर आरके धीमान ने किया।


क्या है इंटरस्टीशियल लंग डिज़ीज़


विभाग के प्रमुख प्रोफेसर आलोक नाथ ने बताया कि आईएलडी एक समूह है कई बीमारियों का, जिसमें फेफड़ों के भीतरी हिस्से यानी इंटरस्टीशियम में सूजन और रेशेदार ऊतक (फाइब्रोसिस) बनने लगता है। इससे ऑक्सीजन का आदान-प्रदान प्रभावित होता है और मरीज को सांस की गंभीर तकलीफ हो सकती है। विशेषज्ञों ने बताया कि स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन स्टेरॉयड, एंटी-फाइब्रोसिस दवाएं, ऑक्सीजन थेरेपी और नियमित मॉनिटरिंग से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। सही समय पर फेफड़ों की जांच, सीटी स्कैन, पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट जैसे उपाय ज़रूरी है। 


मुख्य लक्षण:


-लगातार सूखी खांसी


-सांस लेने में तकलीफ


-थकान और वजन में कमी

रविवार, 13 अप्रैल 2025

वैज्ञानिकों ने खोजी फूड एलर्जी से बचाने वाली कोशिका

 आंत की प्रतिरक्षा कोशिकाएं कैसे खाद्य एलर्जी से बचाती हैं




हमारा प्रतिरक्षा तंत्र सामान्य खाद्य पदार्थों जैसे मूँगफली, सूखे मेवे, दूध, अंडे और शेलफिश आदि को पहचानता है, लेकिन उन पर हमला नहीं करता। इसे "टॉलरेंस" कहा जाता है। जब यह टॉलरेंस टूट जाती है, तो शरीर एलर्जी प्रतिक्रिया देने लगता है। इससे हल्के चकत्ते और खुजली से लेकर गले की सूजन और सांस लेने में तकलीफ जैसी गंभीर स्थिति भी हो सकती है, जिसमें तुरंत इलाज की ज़रूरत होती है।


इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह जानने की कोशिश की कि शरीर में कौन सी कोशिकाएं इस एलर्जी को रोकने का काम करती हैं, ताकि भविष्य में ऐसी एलर्जी से बचाव के उपाय विकसित किए जा सकें।


खाद्य पदार्थों के प्रति टॉलरेंस बनाए रखने में कई प्रतिरक्षा कोशिकाएं मिलकर काम करती हैं। कुछ विशेष कोशिकाएं खाने के कणों को पकड़ती हैं, उन्हें छोटे टुकड़ों में तोड़ती हैं और फिर "T कोशिकाओं" को दिखाती हैं। ये T कोशिकाएं तब समझ जाती हैं कि ये चीज़ें हानिकारक नहीं हैं और उन पर हमला नहीं करतीं।


हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक खास प्रकार की कोशिकाएं खोजी हैं जिन्हें RORγt+ डेंड्रिटिक कोशिकाएं कहा जाता है। ये कोशिकाएं आंत में पाई जाती हैं और शायद एलर्जी को रोकने में मदद करती हैं।


इस शोध में वैज्ञानिकों ने चूहों को अंडे के सफेद भाग में पाया जाने वाला एक प्रोटीन (ovalbumin) खिलाया और फिर नाक से भी दिया। जिन चूहों में ये विशेष RORγt+ कोशिकाएं नहीं थीं, उनमें फेफड़ों की एलर्जी और सूजन के लक्षण दिखे। लेकिन जिन चूहों में ये कोशिकाएं थीं, उनमें ऐसा नहीं हुआ।


जब वैज्ञानिकों ने चूहों की आंत की प्रतिरक्षा कोशिकाएं जांचीं, तो पाया कि जिन चूहों को एलर्जी हुई, उनमें "T कोशिकाओं" का संतुलन बिगड़ गया था। ऐसे T कोशिकाएं बढ़ गई थीं जो शरीर की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ावा देती हैं, और वे T कोशिकाएं जो इस प्रतिक्रिया को शांत करती हैं, कम हो गई थीं।


सारांश:

आंत की कुछ विशेष प्रतिरक्षा कोशिकाएं (RORγt+ डेंड्रिटिक कोशिकाएं) शरीर को खाद्य एलर्जी से बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये कोशिकाएं खाने को पहचानकर T कोशिकाओं को बताती हैं कि उन पर हमला न करें। इस शोध से भविष्य में एलर्जी के लिए रोकथाम के नए तरीके विकसित हो सकते हैं।

शनिवार, 12 अप्रैल 2025

टाइप 2 डायबिटीज़ की कुछ दवाएं आपको अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया जैसे दिमागी रोगों से भी बचा सकती हैं


-- GLP-1RA और SGLT2i दवाएं और अल्ज़ाइमर का खतरा]

“क्या डायबिटीज़ की दवाएं अल्ज़ाइमर से बचा सकती हैं?”]




क्या आप जानते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज़ की कुछ दवाएं आपको अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया जैसे दिमागी रोगों से भी बचा सकती हैं



हाल ही में JAMA Neurology नाम की एक प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल में एक रिसर्च छपी है जिसमें यही बात साबित हुई है।


[“GLP-1RA और SGLT2i दवाओं पर अध्ययन”]


इस अध्ययन में वैज्ञानिकों ने 3 लाख 96 हजार से ज़्यादा टाइप 2 डायबिटीज़ के मरीजों का डेटा देखा।

उन्होंने देखा कि जिन मरीजों ने GLP-1RA या SGLT2i नाम की दवाएं लीं, उनमें अल्ज़ाइमर और डिमेंशिया होने का खतरा काफी कम था।




GLP-1RA दवाएं जैसे Ozempic और Trulicity, और SGLT2i दवाएं जैसे Jardiance और Farxiga—इन दोनों ग्रुप्स में पाया गया कि अन्य दवाओं की तुलना में दिमागी रोगों का खतरा 30-40% तक कम था।

और खास बात यह रही कि इन दोनों दवाओं के बीच कोई खास फर्क नहीं था। दोनों ही लगभग बराबर असरदार थीं।


इसका मतलब ये है कि डायबिटीज़ की इन आधुनिक दवाओं से न सिर्फ़ ब्लड शुगर कंट्रोल होता है, बल्कि ये आपके दिमाग की सेहत के लिए भी फायदेमंद हो सकती हैं।


नई खोज: मधुमेह रोगियों में अल्जाइमर और संबंधित डिमेंशिया का खतरा कम करने में GLP-1RA और SGLT2i की भूमिका


एक नवीन अध्ययन में पाया गया है कि टाइप 2 मधुमेह (T2D) से ग्रसित रोगियों में ग्लूकागन-लाइक पेप्टाइड-1 रिसेप्टर अगोनिस्ट (GLP-1RA) और सोडियम-ग्लूकोज कोट्रांसपोर्टर-2 इनहिबिटर (SGLT2i) का उपयोग अल्जाइमर रोग और संबंधित डिमेंशिया (ADRD) के खतरे को कम कर सकता है।


अध्ययन का विवरण:

यह टारगेट ट्रायल इम्यूलेशन अध्ययन OneFlorida+ क्लिनिकल रिसर्च कंसोर्टियम के इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड डेटा (जनवरी 2014 से जून 2023) का उपयोग करके किया गया। अध्ययन में वे मरीज शामिल थे जिनकी आयु 50 वर्ष या उससे अधिक थी, जिन्हें पहले से कोई ADRD या एंटीडिमेंशिया उपचार नहीं मिला था। कुल 396,963 पात्र मधुमेह रोगियों में से, GLP-1RA वर्सस अन्य ग्लूकोज-लोअरिंग दवा (GLD) समूह में 33,858 रोगी, SGLT2i वर्सस अन्य GLD समूह में 34,185 रोगी, और GLP-1RA वर्सस SGLT2i समूह में 24,117 रोगियों को शामिल किया गया।


अध्ययन के मुख्य निष्कर्ष:


GLP-1RA का उपयोग करने वाले रोगियों में अन्य GLD का उपयोग करने वाले रोगियों की तुलना में ADRD की घटना दर में कमी देखी गई।


घटना दर में कमी: 1000 व्यक्ति-वर्ष पर −2.26 (95% CI, −2.88 से −1.64)


रिस्क अनुपात (HR): 0.67 (95% CI, 0.47-0.96)



SGLT2i का उपयोग करने वाले रोगियों में भी ADRD की घटना दर में कमी देखने को मिली।


घटना दर में कमी: 1000 व्यक्ति-वर्ष पर −3.05 (95% CI, −3.68 से −2.42)


रिस्क अनुपात (HR): 0.57 (95% CI, 0.43-0.75)



जब GLP-1RA और SGLT2i की तुलना की गई, तो दोनों में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं पाया गया।


घटना दर में अंतर: 1000 व्यक्ति-वर्ष पर −0.09 (95% CI, −0.80 से 0.63)


रिस्क अनुपात (HR): 0.97 (95% CI, 0.72-1.32)




निष्कर्ष:

यह अध्ययन दर्शाता है कि टाइप 2 मधुमेह से ग्रसित रोगियों में GLP-1RA और SGLT2i का उपयोग अल्जाइमर रोग और संबंधित डिमेंशिया के जोखिम को सांख्यिकीय रूप से कम करने से जुड़ा हुआ है। साथ ही, दोनों दवाओं के बीच जोखिम में कोई विशेष अंतर नहीं पाया गया, जिससे यह संकेत मिलता है कि दोनों उपचार विकल्प समान रूप से प्रभावी हो सकते हैं।


यह परिणाम मधुमेह रोगियों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकते हैं, जिससे न केवल मधुमेह प्रबंधन में सुधार होता है, बल्कि अल्जाइमर और अन्य डिमेंशिया संबंधी जटिलताओं की रोकथाम में भी सहायता मिल सकती है।




तो अगर आप या आपके किसी अपने को टाइप 2 डायबिटीज़ है, तो डॉक्टर से पूछिए—क्या ये दवाएं आपके लिए सही हो सकती हैं?



डॉक्टर जहां भी बैठ जाएंगे उनकी चल जाएगी नुकसान तो होगा हमारा

 


 यह एक अत्यंत चिंताजनक मुद्दा है कि यदि ऐसा ही जारी रहता है और डॉक्टर अस्पताल छोड़ते रहते हैं, तो डॉक्टर साहब जहां बैठेंगे वहां उनकी दुकान चल जाएगी, जिससे हमारे और आपके लिए भी फर्क पड़ेगा क्योंकि जो सलाह हमें पहले ₹50 में मिलती थी वही इलाज और सलाह अब हमें ₹1500 में मिलेगी।



1. सरकारी डॉक्टरों पर अत्यधिक दबाव और जांचें: छोटी-मोटी त्रुटियों पर कठोर कार्यवाही जैसे निलंबन और बर्खास्तगी से डॉक्टरों का मनोबल टूट रहा है।



2. कॉर्पोरेट अस्पतालों का बढ़ता प्रभाव: सरकार से नाराज़ होकर या दबाव से बचने के लिए डॉक्टर कॉर्पोरेट अस्पतालों का रुख कर रहे हैं, जिससे इलाज महँगा हो रहा है।



3. गरीब जनता का नुकसान: पहले जो इलाज ₹50 में मिलता था, वह अब ₹1000+ में मिलेगा, जिससे गरीबों को भारी मार झेलनी पड़ेगी।



4. चिकित्सकों की अंतरराष्ट्रीय योग्यता: KGMU, PGI, SGPGI जैसे संस्थानों से निकले डॉक्टर कहीं भी सफलता पा सकते हैं — वे किसी एक संस्था के मोहताज नहीं हैं।



5. न्यायिक प्रक्रिया का उल्लंघन: डॉक्टरों पर बिना ठोस प्रमाण के वित्तीय और प्रशासनिक कार्यवाही करना न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था को कमजोर करता है।






निश्चित ही यह बात सही है कि डॉक्टर एक अत्यंत मेहनत और संघर्ष से निकले हुए वर्ग से आते हैं। यदि उन्हें उनके कार्यस्थल पर उचित सम्मान, सहयोग और सुरक्षा नहीं मिलेगी, तो उनका पलायन रोक पाना मुश्किल होगा।


सरकार को यह समझना होगा कि यदि डॉक्टर नहीं होंगे, तो सरकारी अस्पताल ईंट-पत्थर की इमारत बनकर रह जाएंगे।


 "संस्था प्रमुख छोटी गलतियों पर चेतावनी या अन्य हल्की कार्यवाही करें", एक बहुत ही व्यावहारिक और संतुलित दृष्टिकोण है।





1. चिकित्सकों के लिए एक न्यायसंगत अनुशासनात्मक प्रणाली बनाई जानी चाहिए, जिसमें निष्पक्ष जांच और बचाव का पूरा अवसर मिले।



2. चिकित्सकों के साथ संवाद बढ़ाया जाए ताकि उनकी चिंताओं को सुना और समझा जा सके।



3. सरकारी संस्थानों को चिकित्सकों के लिए अनुकूल कार्य वातावरण उपलब्ध कराना चाहिए।




 

 बाक़ी यह समाज प्रबुद्ध वर्ग से भरा पड़ा हैं ,ख़ुद विचार करे की मैंने ग़लत लिखा या सही? इस पोस्ट से किसी को तनिक भी पीड़ा पहुँचे तो मैं पहले ही माफ़ी माँग ले रहा हूँ।

सोमवार, 7 अप्रैल 2025

इन मन्त्रों का जप कर ही रुद्राक्ष करे धारण

 


शिव पुराण के २५ वे अध्याय के अनुसार

रुद्राक्ष धारण के मंत्र  – (1) 'ॐ ह्रीं नमः', (2) 'ॐ नमः', (3) 'क्लीं नमः', (4) 'ॐ ह्रीं नमः', (5) 'ॐ ह्रीं नमः', (6) 'ॐ ह्रीं हुं नमः', (7) 'ॐ हुं नमः', (8) 'ॐ हुं नमः', (9) 'ॐ हुं नमः', (10) 'ॐ हृ हुं नमः', (11) ॐ ह्रीं हुं नमः', (12) 'ॐ हुं नमः', (13) 'ॐ क्रौं क्षौरो नमः' तथा (14) ॐ ह्रीं नमः । इन चौदह मंत्रों द्वारा क्रमशः एक से लेकर चौदह मुख वाले रुद्राक्ष को धारण करने का विधान है।  श्रद्धाभक्ति से मंत्रों द्वारा रुद्राक्ष धारण करना चाहिए



गुरुवार, 3 अप्रैल 2025

विवाह संस्कार है फंक्शन मत बनाए

 

विवाह संस्कार है फंक्शन मत   बनाए 


सनातन में मेहदी कोई संस्कार नहीं लेकिन हो रहा है





संस्कार केवल विवाह है लेकिन विवाह फंक्शन हो गया है। आज कल मेहदी पता नहीं कहा से आ गया है। सारे  विवाह का सत्यानाश फोटो  सेशन में हों रहा है। पंडित जी रहा देखते रहते है मंडप में पंडित जी से जल्दी करने को कहते है। संस्कार को फंक्शन मत बनाए। एल डी ए कॉलोनी सेक्टर एल में आयोजित भागवत कथा में श्री राम शरण शास्त्री ने कहा कि रामायण का ठेका हो रहा है। कोई खुद पढ़ने वाला नहीं है। बच्चों और खुद पांच दस दोहा पढ़वाए। संस्कार जिंदा रखिए। बहुत तेजी से संस्कार का हनन हो रहा है। सुंदरता के लिए महिलाएं मां गौरी और पुरुष अश्विनी कुमार की पूजा करे । नारद जी ने अश्वनी कुमार की पूजा किया कहा जेहि विधि नाथ होय हित मोरा करहूं वेगी दास में तोरा ,,,अश्वनी कुमार ने वही रूप दिया जिसमें नारद जी का हित था। शास्त्री जी ने कहा कि हम जहां रहे वही की बात करे। पुत्र के सामने दूसरे के पुत्र , पत्नी के सामने दूसरे स्त्री की बात न करे। कथा में मानवेंद्र सिंह, पीयूष श्रीवास्तव, सत्य प्रकाश गुप्ता, संजय गुप्ता, अमन मिश्रा , मनीषा मिश्रा, प्रीति चौरसिया,मधु सिंह, ईशान यादव,राकेश श्रीवास्तव सहित तमाम लोग के सहयोग से साहूहिक कथा हो रही है।

आज स्त्री उतनी आकर्षक नहीं है, जितनी सदा थी

 




इतनी मत मिल जाना किसी को कि अमोह पैदा हो जाए। बस, मिलना और न मिलना, इनके बीच सदा खेल को चलाते रहना। पास बुलाना किसी को और दूर हो जाना। कोई निकट आ पाए कि सरक जाना। बुलाना भर, मिल ही मत जाना, क्योंकि मिल ही गए कि मोह नष्ट हो जाता है। व


स्त्रियां थीं पृथ्वी की घूंघट में दबी, अंधेरे में छिपी। पति भी नहीं देख पाता था सूरज की रोशनी में। कभी खुले में बात भी नहीं कर पाता था। अपनी पत्नी से भी बात चोरी से ही होती थी, रात के अंधेरे में, वह भी खुसुर—फुसुर। क्योंकि सारा बड़ा परिवार होता था, कोई सुन न ले! आकर्षण गहरा था, मोह जिंदगीभर चलता था।


स्त्री उघड़ी, परदा गया—अच्छा हुआ, स्त्री के लिए बहुत अच्छा हुआ—सूरज की रोशनी आई। लेकिन साथ ही मोह क्षीण हुआ। स्त्री और पुरुष आज कम मोहग्रस्त हैं। आज स्त्री उतनी आकर्षक नहीं है, जितनी सदा थी। और यूरोप और अमेरिका में और भी अनाकर्षक हो गई है, क्योंकि चेहरा ही नहीं उघड़ा, पूरा शरीर भी उघड़ा। आज यूरोप और अमेरिका के समुद्र—तट पर स्त्री करीब—करीब नग्न है, पास से चलने वाला रुककर भी तो नहीं देखता, पास से गुजरने वाला ठहरकर भी तो नहीं देखता कि नग्न स्त्री है।


कभी आपने देखा, बुरके में ढकी औरत जाती हो, तो पूरी सड़क उत्सुक हो जाती है। ढके का आकर्षण है, क्योंकि ढके में बाधा है। जहां बाधा है, वहां मोह है। जहां बाधा नहीं है, वहां मोह नहीं है। स्त्री और पुरुष का आकर्षण जितना सेक्यूअल है, जितना कामुक है, उससे ज्यादा सोशल है, कल्वरल है। जितना ज्यादा काम से पैदा हुआ है, उतना काम में डाली गई सामाजिक बाधाओं से पैदा हुआ है।


अब मैं मानता हूं कि आज नहीं कल, पचास साल के भीतर, सारी दुनिया में घूंघट वापस लौट सकता है। आज कहना बहुत मुश्किल मालूम पड़ता है, यह भविष्यवाणी करता हूं पचास साल में घूंघट वापस लौट आएगा। क्योंकि स्त्री—पुरुष इतनी अनाकर्षक हालत में जी न सकेंगे। वे आकर्षण फिर पैदा करना चाहेंगे। आने वाले पचास वर्षों में स्त्रियों के वस्त्र फिर बड़े होंगे, फिर उनका शरीर ढकेगा।


बर्ट्रेड रसेल ने लिखा है कि जब वह बच्चा था, तो विक्टोरियन युग समाप्त हो रहा था। और स्त्रियों के पैर का अंगूठा भी देखना मुश्किल था। घाघरा ऐसा होता था, जो जमीन छूता था। तो बर्ट्रेंड रसेल ने लिखा है कि अगर किसी स्त्री के पैर का अंगूठा भी दिख जाता था, तो चित्त में बिजली कौंध जाती थी। और उसने लिखा है कि अब कल्पना करने को भी कुछ नहीं बचा है। स्त्री पूरी दिखाई पड़ जाती है और चित्त में कोई बिजली नहीं कौंधती।


नग्न स्त्री उतनी आकर्षक नहीं है, नग्न पुरुष उतना आकर्षक नहीं है।