रविवार, 31 जुलाई 2022

हाइड्रोसेफलस का आधुनिक तकनीक से हुआ पहली बार पीजीआई में इलाज-पहली बार हाइड्रोसेफलस ग्रस्त में लगा प्रोग्राम्ड शंट

 




नया शंट नियंत्रित रखेगा दिमाग में पानी

हाइड्रोसेफलस का आधुनिक तकनीक से हुआ पहली बार पीजीआई में इलाज

अब दोबारा बिना सर्जरी नियंत्रित किया जाएगा दिमाग में पानी

पहली बार  हाइड्रोसेफलस ग्रस्त में लगा प्रोग्राम्ड शंट

 


 

संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के न्यूरो सर्जरी विभाग के विशेषज्ञों ने पहली बार   हाइड्रोसेफलस  से ग्रस्त मरीज में प्रोग्राम्ड शंट रोपित किया है। 55 वर्षीय प्रमोद में यह शंट लगाया गया है। इस शंट की खासियत है कि दिमाग पानी की मात्रा नियंत्रित करने के लिए दोबारा ओपेन सर्जरी नहीं करनी पड़ेगी । इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स के जरिए बाहर से पानी की मात्रा को नियंत्रित किया जा सकेगा। शंट रोपित करने वाले न्यूरो सर्जन प्रो. वेद प्रकाश, प्रो. अरुण श्रीवास्तव एवं विभाग के प्रमुख प्रो. राजकुमार ने बताया कि संस्थान में इस तरह का शंट पहली बार रोपित किया गया। मरीज के हालत में काफी सुधार है। विशेषज्ञों ने बताया कि दिमाग में 24 घंटे में 600 मिलीलीटर पानी बनता है लेकिन दिमाग में केवल 120 से 125 मिलीलीटर ही रहता है बाकी पानी खून के जरिए निकल जाता है। कई बार पानी की अतिरिक्त मात्रा दिमाग से नहीं निकल पाता है जिसके कारण कई तरह की परेशानी होती है। इस परेशानी को दूर करने के लिए दिमाग में शंट लगाया जाता है तो अतिरिक्त पानी को पेट में निकाल देता है। सामान्य शंट( छाबड़ा शंट) जो अब तक लगते रहे है इसमें पानी की मात्रा अधिक या कम हो सकती है दिमाग में । इस परेशानी को दूर करने के लिए दोबारा सर्जरी की जरूरत पड़ती है । प्रोग्राम्ड शंट में पानी की मात्रा को प्रोग्राम डिवाइस के जरिए शंट के चेंबर को एडजस्ट किया जाता है जिससे पानी की मात्रा जरूरत के अनुसार दिमाग में रखा जाता है। यह मरीज पार्किंसंस की आशंका के साथ न्यूरोलॉजी में आए थे लेकिन बीमारी दूसरी निकली।

 

  

 

 क्या होता है शंट

 

शंट एक ट्यूब बहुत ही पतला ट्यूब होता है जिसे दिमाग के निलय से पेट में जोडा जाता है। इससे दिमाग का अतिरिक्त पानी( सीएसएफ) पेट में निकल जाता है।

 

 

 

क्या है हाइड्रोसेफलस

 

 हाइड्रोसेफलस में  दिमाग के  वेंट्रिकल्स (गुहाओं) में तरल पदार्थ के तय मात्रा से अधिक बनना होता है। अत्यधिक तरल पदार्थ गुहाओं के आकार को बढ़ाता है और मस्तिष्क पर अत्यधिक दबाव डालता है। सेरेब्रोस्पाइनल तरल पदार्थ के रूप में जाना जाने वाला द्रव रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क में बहता है। अत्यधिक सेरेब्रोस्पाइनल तरल पदार्थ का दबाव मस्तिष्क के ऊतकों को नष्ट करता है और मस्तिष्क में गंभीर हानि का कारण बनता है।

 

 

 

नार्मल प्रेशर हाइड्रोसेफलस में यह होती है परेशानी

 

-   याददाश्त में कमी होती है जो बढ़ती जाती है

 

-   पेशाब और मल पर नियंत्रण खत्म का कम हो जाता है

 

-   चलने की गति कम हो जाती हैपैर में भारीपन आ जाता है

 

शनिवार, 16 जुलाई 2022

हिंदू मुस्लिम भाई भाई जीन में मिली समानता

 हिंदू मुस्लिम भाई -भाई 

प्रदेश के मुसलमानों की जीन हिंदुओं से नहीं है अलग

विश्व के तीन संस्थानों ने २४ सौ लोगों के जीन स्टडी के बाद किया खुलासा

प्रदेश के हिंदु और मुसलमान आपस में भाई-भाई हैं। अमूमन सामाजिक सौहार्द के लिए लगाये जाने वाले नारे को विज्ञानियों ने  लखनऊ, बरेली , कानपुर , रामपुर के २४ सौ  मुसलामानों और हिंदुओं पर अनुवांशिकी शोध  के बाद सही साबित किया है। विज्ञानियों ने देखा है कि  प्रदेश के  शिया,  सुन्नी  मुसलमान और हिंदओं के जीन में  कोई अंतर नहीं है।  इतना ही नहीं विज्ञानियों ने  तुलनात्मक अध्ययन भारतीय हिंदुओं, अरब देशों, सेंट्रल एशिया, नार्थ ईस्ट अफ्रीकी देशों के मुसलमानों के जीन के बीच किया तो पाया कि भारतीय मुसलमानों के जीन भारतीय हिंदुओं से पूरी तरह मेल खाते हैं। इनके जीन विदेशी  मुसलमानों से मेल नहीं खाते हैं। कहने का मतलब है कि भारतीय खास तौर पर प्रदेश के मुसलमान की जड़े यहीं है न कि किसी दूसरे मुल्क से जुड़ी है। इनके जीन में काफी समानता हिंदुओं  से है न कि अरब या किसी दूसरे देश के लोगों से मिलती है। इस तथ्य का खुलासा डिर्पाटमेंट आफ बायोलाजिकल साइंस फ्लोरिडा इंटरनेशनल विवि के डा. एमसी टेरास, डेयान रोवाल्ड , रेने जे हेरेरा, डिपार्टमेंट आफ जेनटिक्स यूनिवर्सटी डि विगो स्पेन के डा. जेवियर आर ल्यूस एवं संजय गांधी पीजीआई के अनुवांशिकी रोग विभाग की प्रो.सुरक्षा अग्रवाल एवं डा. फैजल खान ने शिया और सुन्नी मुसलमानों के जीन पर लंबे शोध के बाद किया है। इनके शोध को अमेरिकन जर्नल आफ फिजिकल एंथ्रोपालजी ने भी स्वीकार किया।

प्रो. सुरक्षा अग्रवाल के मुताबिक  मुसलमानों के साथ ब्राह्मण, कायस्थ, खत्री, वैश्य, चतुर्वेदी, भार्गव और अनसूचित जाति एवं पिछड़ी जाति के लोगों के जीन का तुलनात्मक अध्ययन किया तो पाया इन सभी जातियों के जीन आपस में एक होने के साथ ही मुसलमान के जीन से भी मिलते हैं।  hamaresehatkhabar.blogspot.com